Nautapa 2021 : 25 मई से 2 जून तक रहेगा नौतपा
25 मई को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में सुबह 8.47 बजे से प्रवेश करेगा और 8 जून सुबह 6.40 बजे तक इसी नक्षत्र में रहेगा। सूर्य के नक्षत्र बदलते ही नौतपा शुरू हो जाएगा। सूर्य की लंबवत किरणें धरती पर पड़नी शुरू हो जाएंगी। इस बार शुक्र तारा उदय होने से इसका प्रभाव तेज रहेगा गर्मी ज्यादा पड़ेगी।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि यानी 25 मई को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में सुबह 8.47 बजे से प्रवेश करेगा और 8 जून सुबह 6.40 बजे तक इसी नक्षत्र में रहेगा। सूर्य के नक्षत्र बदलते ही नौतपा शुरू हो जाएगा। सूर्य की लंबवत किरणें धरती पर पड़नी शुरू हो जाएंगी। इस बार शुक्र तारा उदय होने से इसका प्रभाव तेज रहेगा गर्मी ज्यादा पड़ेगी।
जी हां, इस बार 25 मई से नौतपा प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में सूर्य पृथ्वी के नजदीक होता है। इससे सूर्य की लंबवत किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं। इससे गर्मी भीषण शुरू हो जाती है। इसलिए गर्मी से बचाव करना होता है। साथ ही इस खगोलीय परिवर्तन में तमाम तरह की और दिक्कतें होती हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है, तो यह परिवर्तन होता है।
पंडित शिव पाराशर के अनुसार सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा शुरू हो जाता है। इस वर्ष भी सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में 25 मई को प्रवेश करेंगे। दो जून तक नवतपा रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है, तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लंबवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़़ जाता है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है। सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी रहने पर बारिश के अच्छे योग बनते है। सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला तक रहेगा।
तापमान बढ़ने का कारण
दरअसल, रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है। जबकि चंद्र शीतलता का प्रतीक होता है। सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है, तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है। जिसके कारण ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दौरान ताप बढ़ जाने के कारण पृथ्वी पर आंधी और तूफान की संभावना बढ़ जाती है।