दि सहकारिता चीनी मिल सोनीपत में लापरवाही उजागर : पेराई के अखिरी 20 दिनों में चीनी का उत्पादन ना के बराबर, करोड़ों का नुकसान

कारखाने में सूखा गन्ना पहुुंचने के कारण महज सीरा ही बन पाया। जिसके कारण मिल प्रबंधन का चीनी रिकवरी रेट धड़ाम से नीचे गिर गया। एमडी के ट्रांसफर के बाद केन विभाग की तरफ से नियमों को ताक पर रखकर पर्चियां जारी करने व समय रहते किसानों को पर्चियां न देने के चलते पेराई सत्र लंबा खींचता चला गया।;

Update: 2022-06-17 05:18 GMT

हरिभूमि न्यूज : सोनीपत

दी सहकारिता चीनी मिल सोनीपत के पेराई सत्र के आखिरी दिनों में करोड़ों रुपये के नुकसान होने का अनुमान लगाया गया हैं। पेराई सत्र के आखिरी 20 दिनों में मिल प्रबंधन को चीनी उत्पादन ना के बराबर मिला। कारखाने में सूखा गन्ना पहुुंचने के कारण महज सीरा ही बन पाया। जिसके कारण मिल प्रबंधन का चीनी रिकवरी रेट धड़ाम से नीचे गिर गया। एमडी के ट्रांसफर के बाद केन विभाग की तरफ से नियमों को ताक पर रखकर पर्चियां जारी करने व समय रहते किसानों को पर्चियां न देने के चलते पेराई सत्र लंबा खींचता चला गया। प्रदेश की अन्य मिलो में समय रहते पेराई सत्र का समापन हो गया, लेकिन सोनीपत चीनी मिल का पेराई सत्र लंबा चला। हालांकि बॉडिंग के हिसाब से गन्ना भी पेराई नहीं हो पाया।

बता दें कि शहर के कामी सड़क मार्ग स्थित दी सहकारिता चीनी मिल का वर्ष 2021-22 को पेराई सत्र हर वर्ष से करीब एक सप्ताह पहले शुरू किया गया था। मिल की पेराई क्षमता कागजों में 22 हजार क्विंटल गन्ने की बताई जाती हैं, लेकिन धरातल पर पेराई क्षमता के हिसाब से कारखाना नहीं चल पाया। शुरूआती दिनों में बॉयलर व तकनीकि खराबियों के चलते पेराई सत्र को पटरी पर लाने के लिए कर्मचारियों व अधिकारियों के पसीने छूट गए। आमतौर पर पेराई सत्र अप्रैल या मई माह के पहले सप्ताह तक ही चलता है। परन्तु इस बार पेराई सत्र जून माह तक खींच गया। जिसका कारण केन विभाग की तरफ से बरती गई लापरवाही होना बताया जा रहा हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केन विभाग की तरफ से नियमों को ताक पर रखकर काम किया गया। जिसके चलते पेराई सत्र बेहद लंबा चला। पेराई सत्र के आखिरी 20 दिनों में मिल को करोड़ों रुपये के नुकसान का सामना करने पर मजबूर होना पड़ा।

इतने बड़े नुकसान का जिम्मेवार कौन, अधिकारी इस संबंध में मौन

पेराई सत्र के प्रथम चरण में तकनीकि खराबियों ने मिल प्रबंधन व गन्ना उत्पादको के पसीने छुृटा दिए थे। कड़ी व दिन रात की मशक्त करने के बाद पेराई सत्र को चलाने काम किया गया। हालांकि पेराई सत्र अपनी क्षमता के हिसाब से नहीं चल पाया। मिल प्रबंधन की तरफ से 7 लाख क्विंटल गन्ने को पानीपत, आहुलाना चीनी मिल, करनाल चीनी मिल में ट्रांसफर किया गया। ताकि समय रहते मिल के पेराई सत्र को समाप्त किया जा सके, लेकिन ट्रांसफर किए गन्ने को किसान अन्य मिलों में लेकर नाममात्र संख्या में पहुंचे। उसके बाद पर्ची जारी करने वाले केन विभाग की तरफ से उक्त गन्ने की पर्चियों को जारी करने का काम शुरू कर दिया। जिसके बाद पेराई सत्र करीब एक माह तक लंबा खींच गया। आखिरी दिनों में मिल प्रबंधन को महज सीरा ही हाथ लग पाया। जिसमे ओने-पोने दामों में देने पर मजबूर होना पड़ा। आखिर इतने बड़े नुकसान का जिम्मेवार कौन हैं, इस संबंध में मिल प्रबंधन के अधिकारी मौन हैं।

पेराई सत्र के दौरान बार-बार किसानों को झेलने पड़े ब्रेक डाउन

पेराई सत्र के दौरान किसानों को इस बार काफी ब्रेक डाउन की घटनाएं झेलनी पड़ी थी। पेराई सत्र की शुरूआत में ही बॉयलर में तकनीकी खराबी आने की वजह से कई दिनों तक पेराई बंद रही थी। वहीं इसके बाद भी बार-बार ब्रेक डाउन किसानों को झेलने पड़े। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पेराई सत्र में करीब 500 घंटे का ब्रेक डाउन किसानों को झेलना पड़ा। पेराई सत्र के दौरान करीब 30 लाख 80 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई की गई थी। जोकि अपेक्षाकृत काफी कम है। गत पेराई सत्र में यह आंकड़ा करीब 32 लाख क्विंटल था, जबकि पेराई सत्र भी अपेक्षाकृत छोटा हैं। जबकि मिल प्रबंधन ने गन्ना उत्पादकों के साथ 36 हजार क्विंटल गन्ने की बॉडिग की थी।

समय रहते ट्रांसफर गन्ने की पर्चियां नहीं हुई जारी, किसानों में बढ़ता चला गया रोष-

सूत्रों की माने तो मिल प्रबंधन ने पेराई सत्र को समय पर समाप्त करने के लिए बॉडिंग किए गन्ने से सात लाख क्विंटल गन्ने को अन्य मिलों में ट्रांसफर किया गया। क्षमता के हिसाब से चलने वाले पानीपत चीनी मिल में समय पर ट्रांसफर किया गन्ना नहीं पहुंचा। वहीं उक्त हाल आहुलाना चीनी मिल व करनाल चीनी मिल में भी रहा। केन विभाग ट्रांसफर किए गन्ने के साथ-साथ किसानों को सोनीपत चीनी मिल में गन्ना डालने के लिए पर्चियां जारी करता रहा। जिसके कारण किसान गन्ने को लेकर अन्य मिलों में नहीं पहुंचे। ट्रांसफर किए गन्ने की पर्चियों को समय पर जारी नहीं किया। जिसके कारण पेराई सत्र को लंबा चलाने पर मिल प्रबंधन को मजबूर होना पड़ा।

स्थाई एमडी न होने से झेलनी पड़ी रही मिल प्रबंधन को परेशानी

दी सहकारिता चीनी मिल के वर्ष 2021-22 पेराई सत्र के आखिरी पड़ाव के दौरान एमडी जितेंद्र जोशी का तबादला कर दिया गया। जिसके बाद कई दिनों तक मिल एमडी के पद को नहीं भरा गया। उसके बाद आरटीओ मानव मलिक को एमडी का पदभार सौंपा गया, लेकिन दो अलग-अलग चार्ज होने के चलते मिल में समय नहीं दे पाएं। उसके बाद गोहाना एसडीएम को मिल का एमडी का अतिरिक्त भार सौंपा गया हैं। उनके पास एमडी आहुलाना चीनी मिल व एसडीएम गोहाना को भार होने के चलते चीनी मिल सोनीपत में समय नहीं दे पा रहे हैं। कागजी कार्रवाई पूरी करने में मिल प्रबंधन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।

कारखाने को चलाने के लिए कर्मचारियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। आखिरी दिनों में गर्मी ज्यादा होने व पेराई सत्र लंबा खींचने के कारण चीनी के उत्पादन पर असर पड़ा। मिल की तरफ से ट्रांसफर किए गन्ने को समय पर अन्य मिलों में किसान लेकर चले जाते तो समय रहते पेराई सत्र को समाप्त किया जा सकता था। आखिरी दिनों में हुए चीनी उत्पादन व गन्ने की पेराई की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जा चुकी हैं। उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देशों पर आगामी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। - आशिष वशिष्ठ, एमडी चीनी मिल सोनीपत।

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