अब एचएयू किसानों को देगा ग्राफटिड सब्जियों की पौध
विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग (Department of Vegetable Sciences) में कुलपति प्रोफेसर ने वैजीटेबल ग्राफटिंग यूनिट की आधारशिला रखी है। डाॅ. वीसी समर सिंह (VC Dr. Samar Singh) ने कहा कि इससे बिना रसायन के प्रयोग से भी मृदा जनित बीमारियों तथा नेमाटोड (सूत्रकृमि) की समस्या से राहत मिलेगी।;
हिसार : हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Haryana Agricultural University) जल्द किसानों को सब्जियों की ग्राफटिड तकनीक से तैयार पौध उपलब्ध करवाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग में कुलपति प्रोफेसर ने वैजीटेबल ग्राफटिंग यूनिट की आधारशिला रखी है। डॉ . वीसी समर सिंह ने कहा कि इससे बिना रसायन के प्रयोग से भी मृदा जनित बीमारियों तथा नेमाटोड (सूत्रकृमि) की समस्या से राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस यूनिट की स्थापना 1.75 करोड़ की राशि से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ्तार परियोजना के तहत की जाएगी जिसके बाद न केवल हरियाणा बल्कि देश में भी निकट भविष्य में ग्राफ्टिंग तकनीक के अनुसंधान कार्य और व्यवसायीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इस यूनिट के तहत ग्राफटिंग करने के लिए हाइटेक ग्रीन हाउस सहित नौ ढांचों का निर्माण किया जाएगा। इस तकनीक के प्रचलन के साथ ही किसानों की आय को भी बढ़ाया जा सकेगा जिससे सब्जी उत्पादकों को भी विशेष लाभ होगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा प्रदेश में एक बार प्रतिरोधी रूटस्टॉक्स पहचान किए जाने के बाद इससे न केवल कृषि-रसायनों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि इस तकनीक के साथ हमारे किसानों की प्रमुख समस्याओं का भी समाधान होगा। इसके लिए प्रदेश में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने रूटस्टॉक्स की पहचान के उद्देश्यों के साथ अनुसंधान कार्य शुरू कर दिए हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में संरक्षित खेती में निमेटोड की समस्या, लवणता अथवा क्षारियता की समस्या, कुकुर्बिट्स और सॉलानसियस सब्जियों में फ्यूसैरियम या बैक्टीरियल विल्ट की समस्या आदि प्रमुख हैं। इसके साथ पौधे की शक्तिऔर उपज में वृद्धि के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट की परियोजना अधिकारी डॉ. इंदू अरोड़ा के अनुसार ग्राफ्टिंग अनूठी बागवानी तकनीक है जिसका उपयोग दुनियाभर में संरक्षित खेती में निमाटोड तथा मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए अथवा विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार पौधे की शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है।
परियोजना में विभागाध्यक्ष डॉ. एके भाटिया, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. वीके बत्तरा तथा सहायक वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप भी अनुसंधान कार्य में सहयोग कर रहे हैं। आधारशिला रखने के बाद विवि कुलपति तथा अन्य अधिकारियों ने सब्जी विज्ञान विभाग में ग्राफटिंग तकनीक से तैयार किए गए पौधों, खेत में उगाई गई ग्राफटिड सब्जियों तथा अनुसंधान कार्यों का भी अवलोकन किया।