Old Age Pension : बुढा़पा पेंशन के लिए नहीं सहनी होगी लाचारी, 60 पार उम्र होते ही घर पहुंचेंगे कर्मचारी, जानें क्या है योजना
- पायलट प्रोजेक्ट के तहत सीएम मनोहर लाल कर चुके हैं एक माह पूर्व योजना शुरू
- अब जिला मुख्यालयों के पास आने लगी संभावित पात्र लोगों की सूचियां
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नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
वृद्धावस्था पेंशन के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी से लेकर सरकारी अस्पतालों तक के चक्कर लगाने वाले पात्र लोगों के लिए अब पेंशन बनवाने की राह एकदम आसान हो जाएगी। अब ऐसे वृद्धों को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। विभाग के कर्मचारी उनके घर जाकर पूछेंगे कि उन्हें पेंशन चाहिए या नहीं। जिला मुख्यालय को हेडक्वार्टर से पहले ऐसे 79 लोगों की सूची मिली थी। अब 216 लोगों की लिस्ट आ चुकी है, जिनमें शामिल लोगों के घर-घर जाकर पेंशन शुरू कराने के बारे में सहमति ली जा रही है। यह सब संभव हुआ ट्रिपल पी यानि परिवार पहचान पत्र के माध्यम से।
अभी तक वृद्धावस्था पेंशन बनवाने के लिए आयु पूरी होने के बाद वृद्धों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। समाज कल्याण विभाग के कार्यालय में जाने के बाद उन्हें यह साबित करना पड़ता था कि वह 60 की उम्र पार कर चुके हैं। उनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपए या इससे कम है। सबसे अधिक परेशानी उम्र को लेकर होती थी। विभाग पेंशन के लिए एप्लाई करने वाले लोगों की उम्र वैरिफाई करने के लिए उन्हें सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के पास भेज देते थे। डॉक्टरों के पास भी ऐसा कोई पैमाना नहीं होता, जिससे कि वह उनकी आयु का सही आंकलन कर सके। इस प्रक्रिया में शारीरिक रूप से स्वस्थ लोग 60 की उम्र पार करने के बावजूद भी कम उम्र के नजर आने के कारण पेंशन से वंचित रह जाते थे।
इसके विपरीत अस्वस्थ और कमजोर नजर आने वाले लोग पेंशन के पात्र बन जाते थे। लोगों को बार-बार एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसके बाद भी पेंशन नहीं बनने की सूरत में उन्हें उच्चाधिकारियों की शरण लेनी पड़ती थी। मंत्रियों से लेकर विधायकों तक की सिफारिश नई पेंशन बनवाने के लिए लगवाई जाती थीं। इससे भी कई बार अपात्र लोग सिफारिश के आधार पर पेंशन के भागीदार बन जाते थे, जबके पात्र लोग धक्के खाने को मजबूर बने रहते थे।
पीपीपी से आसान हुई पेंशन पाने की राह
सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन को पीपीपी से जोड़कर पेंशन के पात्र लोगों को बड़ी राहत देने का काम किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत गत 7 अप्रैल को सीएम मनोहरलाल ने जब योजना का शुभारंभ किया, तो समाज कल्याण विभाग के मुख्यालय की ओर से जिले के 79 लोगों की सूची भेजी गई थी। इसके बाद अब 216 लोगों की सूची जिला मुख्यालय को मिली है। इस सूची के आधार पर पेंशन की शर्तों को पूरा करने वाले लोगों के पास विभाग के कर्मचारी पूछ रहे हैं कि उन्हें पेंशन चाहिए या नहीं। इसका कारण यह है कि कई वृद्ध दूसरे स्रोतों से पेंशन ले रहे हैं, जबकि कई अन्य कारणों से पेंशन के योग्य नहीं होते। जो लोग इन कर्मचारियों को पेंशन का हकदार बनाते हैं, विभाग की ओर से उनकी पेंशन तत्काल शुरू कर दी जाती है।
उम्र पूरी होते ही प्रिड भेजती है सूची
पीपीपी में दर्ज आंकड़ों के सर्वेक्षण का कार्य प्रिड संस्था करती है। जिला स्तर पर यह कार्य एडीसी के अधीन होता है। प्रिड की ओर से पीपीपी में दर्ज आय व दूसरे ब्योरे की फिजिकल वेरिफिकेशन कराई जाती है। उम्र और आय जैसी पहलुओं की जानकारी पुख्ता पाए जाने के बाद प्रिड की ओर से समाज कल्याण विभाग के मुख्यालय को पेंशन के पात्र लोगों की सूची भेज दी जाती है। यह कार्य प्रदेश स्तर पर किया जाता है। इसके बाद मुख्यालय इस सूची को जिलावार बनाते हुए जिला मुख्यालयों पर भेज देता है। सूची मिलने के बाद जिला मुख्यालय की ओर से इसमें शामिल लोगों के घर जाकर उनसे पेंशन बनवाने के बारे में पूछा जाता है।
पात्र लोगों की पेंशन होगी शुरू
इस योजना के शुरू होने से ऐसे लोगों को पूरा लाभ मिलना शुरू हो गया है, जिन्हें पेंशन की उम्र होने के बाद कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। हमारे कर्मचारी मुख्यालय की ओर से मिलने वाली सूची में शामिल लोगों के घर जाकर पूछताछ करते हैं। पात्र लोगों की पेंशन इसके बाद तुरंत शुरू हो जाती है। - रेणूबाला, जिला समाज कल्याण अधिकारी।