नया मोड़ : अब बाढड़ा नगरपालिका के पक्ष में आने लगे लोग, सर्वे रिपोर्ट में 89.19 % ने की थी ग्राम पंचायत की मांग

जो लोग नगर पालिका बरकरार रखने के पक्ष में हैं उनके द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि नगर पालिका के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के बाद छह सप्ताह की समयावधि में कोई आपत्ती नहीं लगाई गई।;

Update: 2022-07-13 16:56 GMT

संदीप श्योराण  : बाढड़ा  ( चरखी दादरी )

बाढड़ा नगर पालिका का मामला बीते कुछ समय से दादरी जिले में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। खासकर बाढड़ा क्षेत्र में जहां कहीं भी दो लोग आपस में मिलते हैं तो हालचाल पूछने के साथ ही उनकी जुबान पर एक ही सवाल है कि नगर पालिका का क्या रहेगा। नगर पालिका का दर्जा रद्द करवाने के लिए जिस प्रकार प्रतिनिधिमंडल ने एक के बाद अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों से मिलकर बात को सीएम तक पहुंचाया और जिसके बाद सीएम ने दादरी में आयोजित रैली में इसको लेकर लोगों की राय लेने के लिए सर्वे रिपोर्ट करवाने के आदेश दिए थे ताकि उसके आधार पर अंतिम निर्णय लिया जा सके। उसके बाद से तो नगर पालिका तुड़वाने वाले लोगो की बांछे खिल गई थी। वहीं जब डोर टू डोर सर्वे की रिपोर्ट सामने आई तो उसमें 89.19 प्रतिशत लोग नगर पालिका के खिलाफ थे। जिसके बाद तो बाढड़ा से नगर पालिका खत्म होती दिखाई दे रही थी। लेकिन एकाएक इसमें बड़ा ट्विस्ट आ गया है और नगरपालिका बरकरार रखने वाले लोग सक्रिय होकर अधिकारियों से मिलकर सर्वे रिपोर्ट में गड़बड़ी व कोर्ट केस का हवाला देकर अपना पक्ष रख रहे हैं। जिसके चलते बाढड़ा नगर पालिका को लेकर सीएम ने बुधवार तक जो अंतिम निर्णय लेने की बात कही थी अब उसमे समय लगता दिख रहा है और सर्वे रिपोर्ट के बाद नपा रद्द होने की जो तस्वीर साफ होती दिख रही थी वह भी अब दोबारा से धूंधली होने लगी है।

बाढड़ा व हंसावास खुर्द के ग्रामीणों द्वारा नगर पालिका को तुड़वाने के लिए काफी जोर लगाया गया है। ग्रामीण बाढड़ा से लेकर चंडीगढ़ तक जन प्रतिनिधियों के दरबार पर पहुंचे हैं और नपा का दर्जा रद्द करने की मांग की गई। इसके बाद आठ जुलाई को भी प्रतिनिधिमंडल दादरी आगमन पर सीएम से मिला और बाढड़ा के पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी ने मंच पर भी अपने संबोधन के दौरान इस मुद्दे को उठाया। जब सीएम के संबोधन की बारी आई तो उन्होंने बाढड़ा नगर पालिका के मुद्दे को लेकर उसी समय दादरी जिला उपायुक्त को सर्वे के आदेश दिए थे और बुधवार तक अंतिम निर्णय लेने की बात कही थी। जिला उपायुक्त ने भी सीएम के आदेशों की पालना करते हुए उसी दिन कमेटी का गठन कर दो दिनों में ही डोर टू डोर सर्वे का कार्य पूरा करवा दिया था। सर्वे रिपोर्ट में 1018 लोगों में से महज 78 लोगों ने ही नगर पालिका बरकरार रखने का पक्ष रखा था। जिसके बाद बाढड़ा नगर पालिका के रहने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। लेकिन सर्वे रिपोर्ट के बाद लगातार तीन दिनों तक जिस प्रकार नपा बरकरार रखने के लिए धड़ाधड़ एक के बाद एक ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं उससे मामले ने नया मोड़ ले लिया है नपा को लेकर भविष्य में क्या होगा इसको लेकर भी असमंजस बन गया है। फिलहाल नपा को लेकर तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट भी दादरी से आगे नहीं जा पाई है।

तीन दिनों में दिए जा चुके हैं चार ज्ञापन

जिस तेजी से नगरपालिका को रद्द करने के लिए ज्ञापन सौंपे गए थे अब उसी गति से ही नगर पालिका को बरकरार रखने के लिए लगातार ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। सोमवार को ब्रह्मा किसान सभा ने ज्ञापन सौंपकर नपा बरकरारी की मांग की थी। वहीं मंगलवार को युवाओं ने बाढड़ा एसडीएम संजय सिंह को व बुधवार को दादरी जिला उपायुक्त श्यामलाल पुनिया को व दादरी स्थित बाढड़ा विधायक नैना चौटाला के कार्यालय में ज्ञापन देकर नपा जारी रखने की मांग की है। जिसके बाद इसी सप्ताह नगर पालिका के रद्द होने के जो कयास लगाए जा रहे थे अब उनकी संभावना ना के बराबर ही नजर आ रही है।

राजनीतिक रंग लेता दिख रहा नपा का मामला

बाढड़ा नगर पालिका का मामला अब धीरे-धीरे राजनैतिक रंग लेता दिखाई दे रहा है। बाढड़ा के पूर्व विधायक सुखिवंद्र मांढी जहां दादरी रैली में खुले मंच से नपा रद्द करवाने की मांग कर चुके है वहीं बाढड़ा विधायक नैना चौटाला बाढड़ा को नपा का दर्जा दिलाना अपनी अहम उपलब्धी मानती हैं और वे नहीं चाहती की किसी भी सूरत में बाढड़ा नगर पालिका रद्द हो। हालांकि उन्होंने खुलकर मामले को लेकर अभी तक अपना पक्ष नहीं रखा है। जब हमने उनका पक्ष जानना चाहा तो यहीं बताया गया कि बाढड़ा के विकास के लिए लोगों की मांग पर कड़े संघर्ष के बाद बाढड़ा को नपा का दर्जा मिल पाया था और नपा बाढड़ा के विकास में सहायक है। वहीं ये भी कहा गया कि लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा।

सर्वे रिपोर्ट में गड़बड़ी व कोर्ट केस का दिया जा रहा हवाला 

जो लोग नगर पालिका बरकरार रखने के पक्ष में हैं उनके द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि नगर पालिका के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के बाद छह सप्ताह की समयावधि में कोई आपत्ती नहीं लगाई गई। वहीं ये भी आरोप है कि सर्वे में पूरी तरह गड़बड़ी की गई है और यहां के करीब 1500 दुकानदारों को सर्वे शामिल न करके उनकी अनदेखी की गई है। इसके अलावा उन्होंने हाई कोर्ट के केस का भी हवाला दिया है।

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