पशुओं में थनैला बीमारी का प्रकोप, किसानों में भय का माहौल
इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद पशु खाना खाना बंद करने के साथ दूध देना बंद कर देते हैं। पशुपालन विभाग उपमंडलाधिकारी डॉ सुदर्शन ने कहा कि यह थनों में होने वाली बीमारी है। जिसके होने पर ग्वार पाठा का लेप उपयोगी रहता है।;
हरिभूमि न्यूज, बावल (रेवाड़ी)
कस्बे के मोहल्ला जटवाड़ा में पशुओं में थनैला बीमारी का प्रकोप बढ़ने से पशुपालक डरे हुए हैं। बीमारी की चपेट में आने से अब तक एक गाय की मौत हो चुकी है तथा आधा दर्जन से अधिक पशु बीमारी की चपेट में आए हुए हैं। पशुपालक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बीते दिनों थनैला बीमारी की चपेट में आई उसकी गाय की कई दिन चले उपचार के बाद भी मौत हो गई। उनके आसपास भी आधा दर्जन से अधिक पशु बीमारी की चपेट में आए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद पशु खाना खाना बंद करने के साथ दूध देना बंद कर देते हैं। जिससे पशुपालकों में चिंता का माहौल बना हुआ है। रवि व सोना ने बताया कि पशुओं में थनैला बीमारी की चपेट में आने से भय का माहौल बना हुआ है। कई पशुपालकों ने तो कर्ज उठाकर पशु खरीदे हुए हैं तथा जटिल प्रक्रिया होने के कारण पशुओं का बीमा करवाने से बचते हैं।
पशुपालन विभाग उपमंडलाधिकारी डॉ सुदर्शन ने कहा कि यह थनों में होने वाली बीमारी है। जिसके होने पर ग्वार पाठा का लेप उपयोगी रहता है। दुग्ध दोहने के आधे घंटे तक पशुओं को बैठने दे तथा चिकित्सक की सलाह ले। बीमारी के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। भैंसों की बजाय गायों में यह बीमारी अधिक देखने को मिलती है, परंतु बावल में बीमारी फैलने की फिलहाल उनके पास कोई जानकारी नहीं है।