पंचायत चुनाव : सर्वसम्मति बनाने में खिजूरी ने पेश की मिसाल, निर्विरोध सरपंच बनाने वाला रेवाड़ी का पहला गांव
ग्रामीणों ने पंचायत में काफी देर तक विचार-विमर्श करते हुए निर्णय लिया कि इस बार वह सरपंच पद का चुनाव सर्वसम्मति से करेंगे। इस निर्णय के बाद उनके सामने सरपंच पद के लिए योग्य चेहरे का चुनाव करने की चुनौती थी।;
हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
इन पंचायत चुनावों में सर्वसम्मति से सरपंच पद का चुनाव करने के मामले में खिजूरी गांव के लोगों ने आपसी सौहार्द और भाईचारे की मिसाल पेश कर दी है। खिजूरी ने अगले दो-तीन दिन तक जिले के अन्य गांवों के लोगों को भी सरपंच और पंच पदों का निर्विरोध चुनाव करने का संदेश देने का काम कर दिया है। ग्रामीणों ने भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए इस बार मीर सिंह को सर्वसम्मति से सरपंच चुनने का निर्णय लिया है।
इस गांव में पंचायत चुनावों में गुटबाजी और राजनीति दोनों लंबे समय से हावी रही है। सरपंच पद के लिए लगभग हर चुनाव में दो गुटों के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। इस बार मतदान से पहले ही बिना वोटिंग के सरपंच का चुनाव करने के लिए ग्रामीणों की एक पंचायत गांव की मेन चौपाल में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। राजस्थान की सीमा के साथ इस गांव में जेजेपी के साथ जुड़े मीर सिंह का ग्रामीणों से कभी मन-मुटाव नहीं रहा। इस गांव में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का भी कुछ दिन पूर्व आगमन हुआ था। वह भी मीर सिंह के घर उनकी माता के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए पहुंचे थे।
ग्रामीणों ने पंचायत में काफी देर तक विचार-विमर्श करते हुए निर्णय लिया कि इस बार वह सरपंच पद का चुनाव सर्वसम्मति से करेंगे। इस निर्णय के बाद उनके सामने सरपंच पद के लिए योग्य चेहरे का चुनाव करने की चुनौती थी। आखिरकार सभी ग्रामीणों ने एकमत से मीरसिंह को गांव के भावी सरपंच के रूप में चुनने का निर्णय लिया। जेजेपी के जिलाध्यक्ष विजय पंच गुर्जर ने गांव में सर्वसम्मति बनाने पर सभी ग्रामीणों का आभार व्यक्त करते हुए इसे एक सकारात्मक पहल करार दिया।
अन्य गांव भी करें खिजूरी का अनुशरण
डीसी अशोक कुमार गर्ग ने खिजूरी के ग्रामीणों के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि आपस में भाईचारा कायम रखने की इससे बड़ी मिसाल नहीं हो सकती। प्रदेश सरकार भी भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए निर्विरोध चुनी जाने वाली पंचायतों को प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है, जिससे संबंधित गांव के विकास में मदद मिलती है। उन्होंने खिजूरी के ग्रामीणों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जिले के दूसरे गांवों में भी इस तरह के प्रयास करने के लिए अभी ग्रामीणों के पास समय बचा हुआ है।