Panchayat Election : कैथल के गांव ने बनाए रखी चुनाव से दूरी, इकलौते वोटर ने भी नहीं किया मतदान, जानें क्यों
आजादी के बाद से ही इस गांव को पड़ोसी गांव की पंचायत के साथ जोड़ा गया है। किसी समय में खडालवा एक आबाद गांव का था। बाहरी आक्रमणकारियों ने इस गांव को तबाह कर दिया था। इसके उपरांत दोबारा यह गांव आबाद नहीं हुआ।;
हरिभूमि न्यूज : कलायत ( कैथल )
हरियाणा में जिला परिषद और ब्लाक समिति चुनाव के दौरान कैथल के कलायत खंड के बेचिराग गांव खड़ालवा चुनावी प्रक्रिया से दूरी बनाए रहा। मतदान के दौरान गांव खड़ालवा स्थित प्राचीन शिव मंदिर के मुख्य महंत रघुनाथ गिरी व बाबा प्रभात गिरी श्रद्धालुओं के साथ धार्मिक संस्कृति को लेकर चर्चा में लगे हैं। जबकि खडालवा गांव के एकलौते वोटर बाबा लाल गिरी रोजाना की तरह अपनी दिनचर्या में मसरूफ रहे। महंत के आदेश अनुसार उन्होंने मतदान नहीं किया।
आदेश में यह तर्क दिया गया था कि पंचायती राज चुनाव ग्रामीणों की अपनी सरकार का चुनाव है। इसलिए साधु समाज ने इस चुनाव में हिस्सा न लेने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही महंत ने प्रदेश सरकार से खड़ालवा को अपने से पंचायत का अलग से दर्जा देने की मांग की है। आजादी के बाद से ही इस गांव को पड़ोसी गांव मटौर की पंचायत के साथ जोड़ा गया है। बताते हैं कि किसी समय में खडालवा एक आबाद गांव का था। बाहरी आक्रमणकारियों ने इस गांव को तबाह कर दिया था। इसके उपरांत दोबारा यह गांव आबाद नहीं हुआ। पांच हजार वर्ष से अधिक समय से गांव में प्राचीन शिव मंदिर, गौशाला, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, धर्मशाला, बस अड्डा और दूसरी सुविधाएं हैं। गांव में बाबा लालगिरी को छोड़कर कोई मतदाता नहीं है।
कौलेखां और शिमला में सर्वसम्मति से चुनी पूरी पंचायत
खंड के गांव शिमला में सरपंच-पंचों व ब्लाक समिति सदस्य की सर्व सम्मति के चलते केवल जिला परिषद के लिए मतदान हुआ। जबकि कौलेखां गांव में ब्लाक समिति और जिला परिषद के लिए वोट डाले गए। इस गांव में भी सरपंच और सभी पंच सर्वसम्मति से चुने जा चुके हैं। इसके चलते इन गांवों में अन्य की तुलना में चुनावी सरगर्मी अपेक्षाकृत कम रही।
एक नई पहल के राही बने सुशील कुमार
पंचायती राज चुनाव के बीच कलायत खंड के गांव कमालपुर के पोलिंग स्टेशन के बाहर जिला न्यायालय में अहलमद के पद पर सेवारत उच्च शिक्षित युवा सुशील कुमार ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के जरिये बुनियादी सुविधाओं को लेकर जागरूकता की अलख जगाने में लगे रहे। ये युवा अपने सीने पर पेयजल और पानी निकासी के अहम मुद्दे को लेकर काबिल उम्मीदवारों के पक्ष में वोट की अपील कर रहे थे। सुशील कुमार ने बताया कि ग्रामीण अंचल में लंबे समय से पेयजल संकट और पानी निकासी की समस्या सिर उठाए है। हर बार चुनाव में उम्मीदवार लंबे चौड़े वादे जनता से करते हैं। जबकि चुनाव के बाद मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। ऐसे में समस्याएं सुलझने की बजाए गंभीर होती जा रही है।