शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे लोग, वाटर सप्लायरों का कारोबार फलने-फूलने लगा

दुकानदार हो या कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारी सभी महंगी दरों पर पीने का पानी खरीदने को मजबूर हैं। निजी सप्लायर 15 से 25 रुपए प्रति कैंपर के हिसाब से लोगों को पानी बेच रहे हैं।;

Update: 2021-04-20 07:02 GMT

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

गर्मी की शुरुआत होते ही निजी वाटर सप्लायरों का कारोबार फलने-फूलने लगा है। शुद्ध पानी की भारी कमी के चलते आम आदमी हो, दुकानदार हो या कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारी सभी महंगी दरों पर पीने का पानी खरीदने को मजबूर हैं। निजी सप्लायर 15 से 25 रुपए प्रति कैंपर के हिसाब से लोगों को पानी बेच रहे हैं।

सर्दियां तो जैसे-तैसे कट जाती हैं, लेकिन गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी की मांग बढ़ जाती है। लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरसते नजर आते हैं। पीने का पानी न तो सरकारी कार्यालयों में है और न ही आम दुकानदारों के पास। ऐसे में प्यास बुझाने का एक मात्र सहारा मोल खरीदकर पानी पीना है। निजी सप्लायर द्वारा सप्लाई किए जाने वाला पानी शुद्ध है या नहीं, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। पर लोग मजबूरी में ठंडे पानी के चक्कर में इनके फेर में फंस रहे हैं।

निजी स्तर पर इस काम में जुटे लोगों की पौ बारह हो रही है, लेकिन पानी शुद्ध या अशुद्ध इसका न कोई पैमाना है और न ही प्रशासनिक अंकुश। पानी माफिया लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर खूब चांदी कूट रहे हैं। अकेले बहादुरगढ़ शहर में ही करीब 20 निजी सप्लायर हैं और शहर की हर मार्केट में इनका धंधा जोरों से चल रहा है। जो पानी की बोतलें व जार सप्लाई किया जा रहा है, उस पर न तो आईएसआई मार्का है और न ही प्रशासन व सरकार से अनुमति प्राप्त है।

बोतल व थैलियों में पानी

शहर के रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर बोतलों व थैलियों में पानी भर कर बेचने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही इस काम में और तेजी आ गई है। मजबूरीवश लोग इस पानी को खरीद कर पीने को मजबूर हैं।

मशीन से ठंडा करते पानी

यह पानी ठंडी करने वाली एक विशेष मशीन पर ठंडा किया जाता है। उस मशीन पर मयूर जगों व जारों को लगाकर पानी भरा जाता है। बाद में उसे बाजारों में सप्लाई किया जाता है। मशीनों द्वारा ठंडा करने पर पानी करीब सात से आठ घंटे तक जग व बोतलों में ठंडा रहता है।

घरों में भी हो रही सप्लाई

लोगों का कहना है कि विभाग द्वारा सप्लाई किए जाने वाला पानी इतना दूषित होता है कि इसे पीया नहीं जा सकता। बीमारियों से बचने के चक्कर में वे मजबूरी में निजी सप्लायरों से पानी के कैंपर व जग खरीदकर पानी पी रहे हैं।

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