हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर लगाए जाएंगे पिलर

करनाल जिले के डीसी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इस काम को शुरू करेंगे। पिलर का डिजाइन तैयार हो गया है, जो पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चण्डीगढ़ से करवाया गया है। लोक निर्माण विभाग की ओर से पिलरों के खर्च 1 करोड़ 74 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति का पत्र चण्डीगढ़ मुख्यालय भेज दिया गया है।;

Update: 2021-01-15 12:29 GMT

हरिभूमि : करनाल

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा विवाद निपटाने के लिए यमुना नदी में बाउण्डरी निश्चित करने के मकसद से पिलर लगाने का काम जल्द शुरू होगा। शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग (बी. एंड आर.) व राजस्व अधिकारियों के साथ इस सम्बंध में की गई एक बैठक के दौरान उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने यह जानकारी दी।

डीसी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इस काम को शुरू करेंगे। पिलर का डिजाइन तैयार हो गया है, जो पंजाब इंजीनयरिंग कॉलेज चण्डीगढ़ से करवाया गया है। लोक निर्माण विभाग की ओर से पिलरों के खर्च 1 करोड़ 74 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति का पत्र चण्डीगढ़ मुख्यालय भेज दिया गया है, जो जल्द मिल जाएगी। इस पर उपायुक्त ने बी. एंड आर. के अधिकारियों से कहा कि वे कार्य के टैण्डर लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दें, ताकि काम जल्द शुरू हो।

यह होगा पिलरों का साइज : मीटिंग में डीसी ने बताया कि प्रत्येक पिलर की ऊंचाई 21.5 मीटर ली गई है। पानी के अंदर लगने वाले पाइल पिलर होने के कारण यह 17 मीटर नीचे जमीन में गाढ़े जाएंगे, ताकि लम्बे समय तक अपने वजूद में रह सकें। पिलर लगाने का कार्य बी. एंड आर.-1 की सुपरविजन में होगा। पिलर कहां-कहां लगेंगे, इसके निशान सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से कुछ समय पहले ही दे दिए गए थे। उन्होंने बताया कि पिलरों को खड़ा करने की एक्यूरेसी के लिए 7 सब रेफरेंस पिलर पहले ही किनारों पर लगाए जा चुके हैं, जिनसे बाउण्डरी की लोकेशन तय होगी।

पायलट प्रोजेक्ट में हैं 2 गांव :  डीसी ने बताया कि पिलर लगाने का काम पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है, इसमें 2 गांव लिए गए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के शामली का चकबड़ी और हरियाणा के करनाल का बड़ी गांव है। दोनों राज्यों के अधिकारियों के साथ इस काम को लेकर पहले ही मीटिंग मुकम्मल की जा चुकी है।

ऑड-ईवन पर लगेंगे पिलर :  उपायुक्त ने बताया कि पिलर लगाने का काम ऑड-ईवन पर किया जाएगा। ऑड नम्बर हरियाणा के लिए और ईवन यूपी के लिए हैं। यह सब भी दोनों राज्यों के बीच विगत में हुई बैठक में तय हो गया था। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के आदेशो के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने निजी रुचि लेकर पायलट आधार पर पिलर लगाने की योजना बनाई थी। पिलर लगने पर दोनों ओर के मुख्यमंत्रियों की इसे देखने की इच्छा जाहिर है।

बता दें कि पिलर लग जाने के बाद यमुना में खेती करने वाले किसानों के बीच बाउण्डरी तय हो जाने से किसी तरह का विवाद नहीं होगा। पिलर लगाने का काम दीक्षित ऑवार्ड-1974 को आधार मानकर किया जा रहा है। इससे पहले भी वर्ष 2007 में दोनों राज्यों की यमुना में बाउण्डरी निर्धारण के लिए पिलर लगाए गए थे, जिनमेें से बहुत से पिलर पानी में बह गए, बताए गए हैं। अब दोबारा से इस काम को किया जा रहा है। मीटिंग में उपायुक्त ने बी. एंड आर. के अधिकारियों से कहा कि वे इस काम को स्पीड-अप करें। मीटिंग में जिला राजस्व अधिकारी सुरेश कुमार, तहसीलदार राज बक्श, बी. एंड आर. के एसडीई अमित मैहला और जेई ईशम सिंह मौजूद रहे। 

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