Pitru Paksha 2022 : पितृ पक्ष 10 सितम्बर से शुरू होंगे, इस बार पुष्य नक्षत्र का योग, जानें- क्यों करते हैं श्राद्ध
इस बार पित्तरों के तृपण करने का पित्तृपक्ष में सात सर्वार्थ सिद्धि योग है, 5 सिद्धि योग, 7 अमृत योग, एक अमृत सिद्धि योग, एक त्रिपुष्कर योग आएगा। अपने पित्तरों के प्रति श्रद्धा भावना रखना और पित्तृ तृपण और श्राद्ध कर्म करना अति आवश्यक है।;
Pitru Paksha 2022 : पित्तृ पक्ष इस बार 10 सितम्बर से आरंभ हो रहा है। पितृ पक्ष का यह पर्व सर्वपितृ अमावस्या 25 सितम्बर तक चलेगा। यानि, 10 सितम्बर पूर्णिमा से 25 सितम्बर अमावस्या तक श्राद्ध रहेंगे। श्री श्याम मंदिर के पुजारी राजेश शर्मा के अनुसार इस बार पितृ पक्ष में पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा, जिससे इन दिनों में भी आमजन खरीददारी कर सकेंगे।
यह पहली बार होगा कि पितृ पक्ष में लोग खरीददारी कर सकेंगे। इस बार पित्तरों के तृपण करने का पित्तृपक्ष में सात सर्वार्थ सिद्धि योग है, 5 सिद्धि योग, 7 अमृत योग, एक अमृत सिद्धि योग, एक त्रिपुष्कर योग आएगा। अपने पित्तरों के प्रति श्रद्धा भावना रखना और पितृ तृपण और श्राद्ध कर्म करना अति आवश्यक है। ऐसा करने से व्यक्ति स्वस्थ, समृद्ध, दीर्घायु और सुख-शांति पाता है। व्यक्ति का वंश आगे बढ़ता है और उत्तम संतान भी पाता है। पितरों के प्रति जो श्रद्धापूर्वक कार्य किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहते हैं।
श्याम मंदिर के ही शास्त्री श्रीनिवास ने बताया कि इस वर्ष 25 सितम्बर को श्राद्ध खत्म होंगे। 25 सितम्बर अमावस को पितृ विर्सजन होगा। इससे अगले दिन ही 26 सितम्बर से नवरात्रे शुरू हो जाएंगे, जो 4 अक्टूबर तक चलेंगे। 26 सितम्बर से नवरात्रे के व्रत रखे जाएंगे। इन दिनों से बाजार में खूब गहमा-गहमी बढ़ जाएगी। पंडित राजेश शर्मा ने बताया कि इस बार पित्तृपक्ष में 17 सितम्बर को श्राद्ध की तिथि नहीं है। उनके अनुसार इस बार सप्तमी तिथि का श्राद्ध 16 सितम्बर को जबकि अष्टमी का श्राद्ध एक दिन छोड़कर 18 सितम्बर को मनाया जाएगा।
क्यों मनाये जाते हैं श्राद्ध
शास्त्री श्रीनिवास के अनुसार श्राद्ध का अर्थ श्रद्धापूर्वक अपने पित्तरों को प्रसन्न करने से है। सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्याग कर चले गए, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। जिस किसी के परिजन चाहे विवाहित हो या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरूष, उनकी मृत्यु हो चुकी है, उन्हें पितृ कहा जाता है। पितृ पक्ष में मृत्युलोक से पित्तर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।