खिलाड़ी राष्ट्र के होते हैं, मजहब के नहीं
टी-20 विश्वकप के लीग मैच में पाक से हार के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह तेज गेंदगाज मो. शमी को ट्रोल किया गया और उनके लिए जो अपशब्द प्रयोग किए गए, वह निंदनीय है। खेल कोई भी हो, खिलाड़ी हमेशा राष्ट्र के लिए खेलता है, वे भारत को रिप्रजेंट कर रहे होते हैं, वे किसी मजहब या जाति को रिप्रजेंट नहीं करते।;
Haribhoomi Editorial : खेल को खेल की भावना से देखा जाना चाहिए। हार और जीत खेल का हिस्सा है। क्रिकेट विश्वकप के 29 साल के इतिहास में भारत पहली बार पाकिस्तान से हारा है। इसलिए भारत की क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। इससे पहले सभी मैच में भारत ने पाकिस्तान को हराया है। तो यह बात न ही भारतीयों को भूलने की जरूरत है और न ही पाकिस्तान को। महज एक जीत भर से पाक की टीम भारत से श्रेष्ठ नहीं हो जाती है।
टी-20 विश्वकप के लीग मैच में पाक से हार के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह तेज गेंदगाज मो. शमी को ट्रोल किया गया और उनके लिए जो अपशब्द प्रयोग किए गए, वह निंदनीय है। खेल कोई भी हो, खिलाड़ी हमेशा राष्ट्र के लिए खेलता है, वे भारत को रिप्रजेंट कर रहे होते हैं, वे किसी मजहब या जाति को रिप्रजेंट नहीं करते। राष्ट्रीय टीम में किसी भी खिलाड़ी का चयन उनकी प्रतिभा व काबिलियत के चलते होता है, मजहब या जाति के अधार पर नहीं। मो. शमी भी देश के लिए खेलते हैं, भारत को रिप्रजेंट करते हैं और टीम इंडिया में उनका चयन भी उनकी काबिलियत की बदौलत हुआ है। समूचा राष्ट्र टीम इंडिया के प्रतिभावान गेंद्रबाज मो. शमी के साथ खड़ा है। टीम इंडिया में शमी का शानदार प्रदर्शन रहा है। वे अब तक 54 टेस्ट में 195, 79 वनडे में 148 और 12 टी-20 में 12 विकेट टीम इंडिया में खेलते हुए ले चुके हैं। यानी उनके खाते में 355 विकेट हैं, जो एक गेंदबाज के लिए गौरव की बात है। पाकिस्तान से हार के लिए टीम इंडिया के सभी 11 खिलाड़ी जो मैदान पर थे, जिम्मेदार हैं। टीम इंडिया व प्रबंधन को इस हार की विवेचना करनी चाहिए और उससे सीख लेकर विश्वकप में शानदार प्रदर्शन करना चाहिए। इस वक्त भारतीयों को चाहिए कि वे अपने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाए, न कि किसी को ट्रोल करें। भारत सरकार के खेल मंत्रालय को भी मो. शमी समेत सभी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाना चाहिए और ट्रोलर्स की निंदा करनी चाहिए।
पाक की जीत पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिस बड़बोले अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है, वह एक राष्ट्राध्यक्ष के लिए शर्मनाक है। इमरान को नहीं भूलना चाहिए कि वे भी एक खिलाड़ी व कप्तान रहे हैं और भारत से विश्वकप में कभी जीत नहीं पाए थे। उन्हें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि एक हार या जीत से किसी टीम का अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पाक से भारत ने अधिक मैच जीते हैं। खेल में हार-जीत एक चक्र की तरह है। इमरान खान को एक राष्ट्र प्रमुख के अनुरूप आचरण करना चाहिए। पाकिस्तानी मीडिया में जिस तरह मो. शमी को बहाना बनाकर भारत में अल्पसंख्यक के सुरक्षित नहीं होने की खबर परोसी गई है, उसी मीडिया को पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर रिपोर्ट देनी चाहिए। पाक और बांग्लादेश के मीडिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके यहां से अधिक मुस्लिम भारत में रहते हैं और भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।
पाक मीडिया का रवैया गैरजिम्मेदाराना है। टी-20 क्रिकेट विश्वकप के इस लीग मैच में भारत की हार पर भारत में कुछेक अल्पसंख्यकों द्वारा सोशल मीडिया पर खुशी मनाना, डीपी लगाना आदि राष्ट्र विरोधी हरकत है, यह भी निंदनीय है। हर भारतीय को चाहिए कि उनका मुल्क पहले है और धार्मिक आधार पर भारत में रहते हुए उनका दिल किसी और मुल्क के लिए नहीं धड़कना चाहिए। भारतीयों की भावना अपने खिलाड़ियों के लिए होनी चाहिए। दूसरे मुल्क के खिलाड़ियों की तारीफ करने में भी कोई हर्ज नहीं है, आईपीएल में कई मुल्कों के क्रिकेटर भारत में खेलते हैं, लेकिन भारत पर पाक की जीत का जश्न किसी भारतीय द्वारा मनाना सरासर राष्ट्र विरोधी हरकत के दायरे में होगा। राष्ट्रवाद अपने मुल्क को सर्वोपरि मानता है, हर भारतीय राष्ट्रवादी बनें, मजहब को राष्ट्र की एकता-अखंडता की राह में आड़े ना आने दें। धर्मनिरपेक्षता हमारी ताकत है।