ग्राम पंचायतों को दोबारा दी शक्तियां, पांच लाख तक काम करवा सकेंगी

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि 15 फरवरी 2021 को ग्राम पंचायतों व अन्य पंचायतीराज संस्थाओं के सभी वित्तीय लेने-देन पर सरकार ने जो रोक लगा दी गई थी, वह कल 8 मार्च से हटा दी गई है बशर्ते वे संस्थाएं अपने-अपने प्रशासक की मॉनिटरिंग में कार्य करेंगी।;

Update: 2021-03-07 14:00 GMT

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि 15 फरवरी 2021 को ग्राम पंचायतों व अन्य पंचायतीराज संस्थाओं के सभी वित्तीय लेने-देन पर सरकार ने जो रोक लगा दी गई थी, वह कल 8 मार्च से हटा दी गई है बशर्ते वे संस्थाएं अपने-अपने प्रशासक की मॉनिटरिंग में कार्य करेंगी। उन्होंने बताया कि 5 लाख से ज्यादा लागत के कार्य के लिए ऑनलाइन टैंडर करवाने होंगे।

निजी संस्थाओं में 75 प्रतिशत नौकरियों के लिए नियम बनाने के लिए सुझाव लेंगे

डिप्टी सीएम ने यह भी बताया कि प्राइवेट कंपनियों व अन्य संस्थाओं में प्रदेश के युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण के नियम बनाने के लिए देशभर की औद्योगिक एसोसिएशनों, चैंबर आदि से इसी सप्ताह ई-मेल, पत्र आदि से सुझाव लेंगे, जरूरत पड़ी तो वीडियो कान्फ्रैंसिंग से भी बात करेंगे।

मनरेगा में ढ़ाई गुणा ज्यादा कार्य दिया

दुष्यंत चौटाला, जिनके पास ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग का प्रभार भी है, ने बताया कि हरियाणा सरकार ने ग्रामीण आंचल को मजबूती देते हुए मनरेगा योजना के तहत प्रदेश के मजदूरों को पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब ढ़ाई गुणा ज्यादा कार्य दिया है। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में जहां मनरेगा योजना के तहत 91 लाख 19 हजार कार्यदिवस का काम दिया गया जिसके एवज में मजदूरों को 387.95 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। इस वर्ष कोविड-19 में मजदूरों को अधिक से अधिक कार्य देकर उनकी अर्थिक दशा बेहतर करने की सोच रखते हुए राज्य सरकार ने मजदूरों को 6 मार्च तक 170.48 लाख कार्यदिवस काम दिया जिसके लिए 861.60 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। यह राशि पिछले वर्ष की तुलना में करीब ढ़ाई गुणा है। प्रदेश के सभी सीईओ से वीडियो कान्फ्रैंसिंग से बात की है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार का 1,000 करोड़ रूपए मनरेगा के तहत खर्च करने का लक्ष्य है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष 415 ग्राम पंचायतें, जो शहरी क्षेत्र के अधीन आ चुकी हैं, को छोडकऱ बाकी प्रत्येक पंचायत में मनरेगा योजना के तहत कार्य किया गया है। जबकि पिछले साल 1800 ऐसी पंचायतें थी जिनमें कोई भी मनरेगा का कार्य नहीं हुआ था।



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