आटा-दाल के भाव फिर बढ़े : आटा 40 रुपये, प्याज-टमाटर 60 रुपये, दाल-चने 100 रुपये प्रति किलो के पार
आटे के दाम कंट्रोल में आने की बजाय लगातार बढ़ रहे हैं। गेहूं के दाम बढ़ने का एक कारण रूस-यूके्रन युद्ध के चलते विदेशों में भारतीय गेहूं की बढ़ती डिमांड भी है।;
सुरेन्द्र असीजा/फतेहाबाद। पिछले एक महीने में खाद्य पदार्थों में बेतहाशा वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। पिछले एक महीनेे में महंगाई की दर ऐसी बढ़ी कि आटा 40 रुपये प्रति किलो, प्याज-टमाटर 60 रुपये, चीनी 45 रुपये, अरहर दाल 170 रुपये प्रति किलो और अन्य दालें 130 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। यह तो वह चीजें है जो आम आदमी अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में प्रयोग में लाता है। इसके अतिरिक्त ऐसी बहुत से किरयाणा व सब्जी की वस्तुएं हैं, जिनके रेट दोगुणा हो गए हैं। हालांकि एफसीआई ने हिसार जोन में ही ओपन मार्किट में तीन महीनों में 63 हजार एमटी गेहूं की ऑनलाइन बिक्री की है लेकिन आटे के दाम कंट्रोल में आने की बजाय लगातार बढ़ रहे हैं। गेहूं के दाम बढ़ने का एक कारण रूस-यूके्रन युद्ध के चलते विदेशों में भारतीय गेहूं की बढ़ती डिमांड भी है। 'हरिभूमि' ने 21 अप्रैल 2023 के अंक में 'खरीद बंद होते ही आसमान छूएंगे गेहूं के दाम' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इसकी आशंका जताई थी।
दीपावली से पहले बाजार में धान, मुआवजा, पेंशन, वेतन वृद्धि का 3 से 4 हजार करोड़ रुपये मार्केट में आने से ऐसी उम्मीद बढ़ी थी कि बाजार में पैसा आने से महंगाई कम हो जाएगी। हुआ इसके विपरीत। राष्ट्रीय स्तर पर आटे, दाल व सब्जियों के भाव बढ़ने से प्रदेश भी अछूता नहीं रहा। वास्तविकता यह है कि अप्रैल-मई में जब गेहूं की फसल आई तो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल था। तब सरकार की खरीद से ज्यादा निजी व्यापारियों ने गेहूं की खरीद की थी। उसी से अंदाजा लग गया था कि इस बार गेहूं के दाम बढ़ेंगे। आज हालात यह है कि गेहूं के दाम दीपावली के बाद से बढ़ते-बढ़ते इतने बढ़ गए कि खुले बाजार में साधारण आटा 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है जबकि ब्रांडेड आटे का रेट 45 रुपये प्रति किलो है।
बात करें सब्जियों की तो 15 दिन पहले टमाटर-प्याज के भाव 20 रुपये प्रति किलो के आसपास थे, जो आज बढ़कर 60 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचे। सब्जी के व्यापारियों का कहना है कि देवउठनी एकादशी के बाद शादी-ब्याह का बहुत बड़ा सीजन चल रहा है। ऐसे में सब्जियों की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यही कारण है कि अब भिंडी के भाव 120 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। यही भिंडी 10 दिन पहले केवल 20 रुपये प्रति किलो बिक रही थी। इसी तरह अरबी 100 रुपये, मशरूम 200 रुपये प्रति किलो की दर पर पहुंच गए।
किरयाणा व्यापारियों के अनुसार, एक महीने पहले चीनी का भाव 40 रुपये प्रति किलो था। अब यह बढ़कर 45 रुपये प्रति किलो हो गया है। इसी तरह गुड़ 40 से 60, चना दाल 70 से 85, चने 120 से 160, मिर्च 225 से 400, हल्दी 180 से 240 रुपये प्रति किलो हो गई है। रिफाइंड तेल 120 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।
विदेशों में बढ़ी भारतीय गेहूं की डिमांड
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते पिछले काफी समय से यूक्रेन के बंदरगाहों से गेहूं की आपूर्ति बंद है। इस वजह से दुनिया की लगभग एक चौथाई से ज्यादा गेहूं की जरूरत को पूरा करने वाले देश रूस और यूक्रेन से गेहूं का निर्यात बाधित है। यूक्रेन गेहूं का बढ़ा उत्पादक देश है। निर्यात ठप होने से भारत के गेहूं की डिमांड विदेशों में काफी बढ़ गई थी, जिस कारण भारत से कई देशों में निर्यात भी किया गया।
भारतीय खाद्य निगम गेहूं को खुले बाजार में बेचने के लिए ओपन मार्केट सेल यानि ओएमएस स्कीम के तहत ऑनलाइन गेहूं की बिक्री कर रही है। पिछले शुक्रवार को यहां 2450 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं की नीलामी हुई। नियमों के अनुसार यहां अधिकतम 100 एमटी ही गेहूं खरीदी जा सकती है। अभी तक हिसार जोन में एफसीआई ने पिछले तीन महीनों में 63 हजार एमटी गेहूं 2396 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ओपन मार्केट में बेचा है। - सविता मालवी, प्रबंधक वाणिज्य, एफसीआई हिसार