रोडवेज बसों की कमी का फायदा उठा रही प्राइवेट बसें, लोकल रूटों पर जमा रखा एकाधिकार

नारनौल रोडवेज डिपो में स्वीकृत 180 बसों की तुलना में चल रही मात्र 127 बसें, जिस कारण निजी बस ऑपरेटर कर लेते हैं मनमानी।;

Update: 2023-07-24 01:32 GMT

Narnaul News : हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) बसों की कमी आम सवारियों पर भारी पड़ रही है। जिले में अनेक रूटों पर या तो रोडवेज की बसें ही नहीं हैं या फिर पर नाममात्र को एक-दो चक्कर ही लगाती है, जिसका फायदा निजी बस ऑपरेटर जमकर उठा रहे हैं और एकाधिकार सा जमा रखा है। निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी इस कद्र है कि यह सवारियों से मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं। इनके विरुद्ध रोडवेज के अधिकारी संज्ञान नहीं लेते हैं और जिनको संज्ञान की पॉवर है, उस आरटीए विभाग (RTA Department) के अधिकारी एवं कर्मचारियों से यह निजी बस ऑपरेटर सांठगांठ रखते हैं। ऐसा करके यह राज्य सरकार को राजस्व को मोटा नुकसान प्रतिदिन पहुंचा रहे हैं तथा खुद की जेबें भरने में लगे हुए हैं।

बता दें कि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल में बस डिपो तथा महेंद्रगढ़ में सब बस डिपो बना हुआ है। दोनों का ही संचालन मुख्य रूप से जिला हैडक्वार्टर नारनौल से होता है। नारनौल बस डिपो में इस समय 107 बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं, जबकि 20 बसें ऐसी निजी बसें हैं, जो सरकार ने किलोमीटर स्कीम में रोडवेज के तहत ही चलाई हुई हैं। वैसे तो नारनौल डिपो में लगभग 180 बसें स्वीकृत हैं, लेकिन इन आंकड़ों पर गौर करें तो केवल 127 बसें ही सड़कों पर दौड़ रही हैं। करीब दस बसें रोजाना ही खराब होने की वजह से रूट पूरे नहीं कर पाती हैं तथा बसों की कमी का असर सवारियों पर पड़ रहा है, जिसका फायदा निजी बस ऑपरेटर उठा रहे हैं।

रोडवेज की बसों का फोकस लंबे रूटों पर:

हरियाणा रोडवेज व किलोमीटर स्कीम की जो बसें चल रही हैं, उनका फोकस मूलत: लंबे रूटों पर रहता है। इनमें से अधिकांश बसें नारनौल से दिल्ली, जयपुर, अलवर, झुंझुंनू, रोहतक व चंडीगढ़ आदि रूटों पर चलती हैं, जबकि लोकल रूटों पर रोडवेज बसों की संख्या न के बराबर है। उदाहरण के तौर पर नारनौल से कनीना, बहरोड़, खेतड़ी आदि ऐसे रूट हैं, जहां प्राइवेट बसों का जमावड़ा रहता है। इन हालातों में जिले के ग्रामीण रूटों पर रोडवेज की बसों की स्थिति नगण्य रहती है और लोग ऑटो या अन्य साधनों से गांव से शहर आने को मजबूर हो रहे हैं। कई ग्रामीण रूटों की स्थिति तो ऐसी है, जहां न रोडवेज बसें चलती हैं और न ही प्राइवेट। जिस कारण ऑटो में लोग सफर तय करने को मजबूत होते रहते हैं।

किराया वसूली में करते हैं मनमानी:

निजी रूटों पर निजी बसें चलती हैं, उन रूटों पर इन बस संचालकों की पूरी मनमानी चलती है। यह न केवल किराया अधिक वसूलते हैं, बल्कि सवारियों के साथ दुर्व्यवहार भी करते हैं। जो सवारी इनके खिलाफ ईमानदारी की बात करती है या फिर रोडवेज जितनी ही किराया देती हैं, उसे बीच रास्ते में ही उतार दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर बहरोड से नारनौल आने के लिए एक सवारी बहरोड की बजाए बीच गांव नासरपुर से बैठी तो उससे किराया बहरोड का ही वसूला जाता है, जबकि बहरोड से नासरपुर का किराया दस रुपये लगता है, जो कम होना चाहिए, लेकिन नासरपुर स्टैंड पर रोडवेज की बसें रूकती नहीं हैं। ऐसे में निजी बस संचालक बहरोड से नारनौल का पूरा किराया वसूलते हैं।

नारनौल से गुरुग्राम तक भी खूब चलती हैं प्राइवेट बसें:

प्राइवेट बस संचालक इस कद्र हावी हैं कि नारनौल-गुरुग्राम जैसे प्रमुख कमाई वाले रूट पर भी इनकी भरमार है। अनेक प्राइवेट बसें दिल्ली-गुरुग्राम-नारनौल-झुंझंुनू तक का बोर्ड लगाकर चलती हैं, लेकिन कमाल की बात है कि इनके पास गत्ता-कापी यानि अनुमति किसी के पास झुंझुंनू तो दूर रेवाड़ी या नारनौल क्रॉस करने की अनुमति नहीं होती, लेकिन बोर्ड पर झुंझुनूं लिखकर सवारियों को सरेआम धोखा देते हैं और सवारियों को ठूंस-ठूंसकर भर लेते हैं। शुक्रवार देर शाम एवं शनिवार शाम को गुरुग्राम से नारनौल की तरफ आने के लिए प्राइवेट बसों में छत्त तक सवारियां भरी होती हैं।

नहीं देते हैं किसी को टिकट:

रोडवेज बसों में टिकट का नियम है, लेकिन प्राइवेट बसों में कोई नियम नहीं है। सवारियों से किराया तो लेते हैं, लेकिन टिकट नहीं देते हैं। किराया भी मनमाना होता है तथा पांच-दस रुपये की प्रति सवारी हेराफेरी कर ही लेते हैं। बात करने पर निजी संचालक बताते हैं कि प्राइवेट वाले आरटीए में लम-शम में मासिक के हिसाब से टैक्स भरते हैं। ऐसे में प्रति सवारी टैक्स अदा करने की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे में हिसाब कभी नहीं लग पाता कि कितनी सवारी बस में बैठी और कितना टैक्स बना।

बसों की डिमांड की गई

रोडवेज के डीआई रोहतास ने बताया कि रोडवेज बेड़े में हाल ही में करीब दस नई बसें शामिल हुई थी तथा और बसों की डिमांड की गई है। जैसे ही नई बसें मिलेंगी, उन्हें वंचित रूटों पर भी चलाया जाएगा।

प्राइवेट बसों को चेक किया जाता

दूसरी ओर आरटीए कार्यालय के अधिकारी राजकुमार ने बताया कि समय-समय पर प्राइवेट बसों को चेक किया जाता है, जो नियमों के विरुद्ध चलती हुई पाई जाती हैं, उनके विरुद्ध कार्यवाही भी करते हैं।

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