हरियाणा के कानून में अब नहीं दिखेगा पंजाब का नाम

कानून एवं विधि विभाग के लीगल रिमेम्ब्रेन्सर एवं प्रशासनिक सचिव की अध्यक्षता में गठित यह कमेटी 1968 के आदेश (order) के अंतर्गत स्वीकृत अधिनियमों के उप-शीर्षकों के संशोधन के विषय में पुनरावलोकन एवं परीक्षण करेगी।;

Update: 2020-10-22 14:26 GMT

चण्डीगढ़। हरियाणा ने अपने कानूनों से पंजाब का नाम हटाने के लिए कमर कस ली है। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता (Gyan Chand Gupta) द्वारा इस संबंध में प्रयास शुरू करने के बाद अब राज्य सरकार ने इसके लिए कमेटी का गठन कर दिया है।

कानून एवं विधि विभाग के लीगल रिमेम्ब्रेन्सर एवं प्रशासनिक सचिव की अध्यक्षता में गठित यह कमेटी 1968 के आदेश के अंतर्गत स्वीकृत अधिनियमों के उप-शीर्षकों के संशोधन के विषय में पुनरावलोकन एवं परीक्षण करेगी। इस कमेटी को एक माह के भीतर मुख्य सचिव को रिपोर्ट (Report) देनी होगी। राज्य सरकार ने कमेटी के गठन को लेकर हरियाणा विधान सभा सचिवालय को सूचित कर दिया है।

मुख्य सचिव विजय वर्धन की ओर से जारी आदेशानुसार इस कमेटी में कानून एवं विधि विभाग के ओएसडी, राजनीति एवं संसदीय मामले विभाग के उप-सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के ओएसडी (नियम) बतौर सदस्य शामिल होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के उप-सचिव को कमेटी में सदस्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

विदित रहे कि हरियाणा को विरासत में जो कानून मिले थे, वे सभी पंजाब के नाम पर थे और गत 54 वर्षों से हरियाणा की शासन व्यवस्था इन्हीं कानूनों के आधार पर चल रही है। इसके चलते प्रदेश की जनता और जनप्रतिनिधि इन कानूनों को हरियाणा के नाम पर करने की मांग करते रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता इसे हरियाणा के स्वाभिमान का विषय मानते हैं।



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