मौसम में ठंड के साथ गर्म हो रहा रजाई का व्यवसाय
मौसम(Weather) में आए इस बदलाव के चलते अब गर्म वस्त्रों और रजाइयों की बिक्री भी शुरू हो गई है। अनाज मंडी (Anaj mandi) सहित शहर के अन्य हिस्सों में रजाई की तगाई-भराई तेजी से चल रही है। हालांकि कंबलों के बढ़ते चलन से रजाई के काम पर असर पड़ा है लेकिन दुकानदारों (Shopkeepers) को इस बार अच्छे व्यवसाय की उम्मीद है।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
सुबह-शाम सर्दी का अहसास होने लगा है। मौसम में आए इस बदलाव के चलते अब गर्म वस्त्रों और रजाइयों की बिक्री भी शुरू हो गई है। अनाज मंडी सहित शहर के अन्य हिस्सों में रजाई की तगाई-भराई तेजी से चल रही है। हालांकि कंबलों के बढ़ते चलन से रजाई के काम पर असर पड़ा है लेकिन दुकानदारों को इस बार अच्छे व्यवसाय की उम्मीद है।
बहादुरगढ़ में इन दिनों अनाज मंडी, झज्जर रोड सहित कुछ अन्य जगहों पर रजाइयों की तगाई-भराई चल रही है। उत्तर प्रदेश से आए पेशेवर कारीगर इस काम में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी ठंड ज्यादा नहीं है लेकिन लोग भी अपनी रजाइयों को भरवाने के लिए इन कारीगरों के पास आ रहे हैं। अनाज मंडी में बड़े स्तर पर देसी रजाई-गद्दों का काम करने वाले विजय कुमार ने बताया कि वह पिछले करीब 30 साल से यह काम कर रहे हैं। इस काम के लिए बाहर से कारीगरों को बुलवाते हैं। फिलहाल काम शुरू हो चुका है। लोग अपनी रजाइयों को भरवाने आ रहे हैं। आगामी कुछ दिनों में बिक्री भी तेजी पकड़ जाएगी। हां, पिछले कुछ वर्षों से रजाइयों के व्यवसाय का स्तर गिर रहा है, लेकिन इन्हें खरीदने वालों में इतनी कमी भी नहीं आई है कि यह व्यवसाय छोड़ दिया जाए।
इस दफा रजाई का रेट साढ़े 300 रुपये से शुरू है। यदि कोई ग्राहक थोक में लेता है तो रेट हलका ऊपर-नीचे हो सकता है। इसके अलावा रूई 100 रुपये किलो है। दस किलो पर एक किलो रूई मुफ्त है। एक कारीगर ने बताया कि वह पिछले 20 साल से रजाई-गद्दों को भरने का काम करता है। पिछले चार से पांच साल में कंबल का चलन अधिक बढ़ा है। कंबल थोड़ा जल्द गर्म होते हैं। रजाई के मुकाबले हलके होते हैं। अपनी सुविधा के लिए लोग कंबलों को तवज्जो देते हैं, लेकिन जो काम रजाई करती है वो कंबल नहीं कर सकते। उम्मीद है इस बार काम अच्छा रहेगा।