अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐसे सुधार कर रहा भारत, पहले सोचा तक नहीं था : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में ‘कल्पना चावला सेंटर फॉर रिसर्च इन स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी' का उदघाटन किया।;

Update: 2022-01-03 16:22 GMT

चंडीगढ़। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में इस तरह के सुधार कर रहा है, जिसके बारे में पहले सोचा तक नहीं गया था। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान जांच से लेकर डेटा-हस्तांतरण और विश्लेषण करने में विश्व को जोड़े रखने में अंतरिक्ष क्षेत्र द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित करे हुए यह कहा। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में 'कल्पना चावला सेंटर फॉर रिसर्च इन स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी' का उदघाटन करने के बाद सिंह ने कहा कि ''हम अंतरिक्ष क्षेत्र में इस तरह के सुधार कर रहे हैं जिसके बारे में पहले सोचा तक नहीं गया था।

उन्होंने तीना सेनाओं (थल सेना, नौ सेना और वायु सेना) के रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए 10 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति योजना भी शुरू की। रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व और इसकी क्षमताओं को समझते हुए सरकार ने इस क्षेत्र को अपने विजन का एक अहम हिस्सा बनाया है। समकालीन समय में क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि यह नक्शा तैयार करने, तस्वीरें लेने और संपर्क सुविधाएं प्रदान करने, त्वरित परिवहन, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन तथा सीमा सुरक्षा से करीबी रूप से जुड़ा हुआ है।

राजनाथ सिंह ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा कि जब मैं भारत का भविष्य जानना चाहता हूं, मैं तारों और ग्रहों को नहीं बल्कि नन्हें बच्चे की आंखें में देखता हूं। यदि उनकी आंखें चमक और उम्मीद से भरी नजर आती है तो भारत का भविष्य सुरक्षित है, नेहरू ने एक बार कहा था। उन्होंने शिक्षा और विज्ञान क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर ले जाने तथा भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सक्रिय और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की अपील की। उन्होंने कहा कि परिपक्व प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण विचारार्थ है। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन एवं अधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के गठन पर उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्र एजेंसी अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े विषयों के लिए एकल खिड़की के तौर पर काम करेगा। राजनाथ सिंह ने कल्पना चावला को याद करते हुए उन्हें महिला सशक्तिकरण का एक प्रतीक बताया, जिन्होंने 'कल्पना' से परे ऊंचाइयों को छुआ। 

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