कैथल महापंचायत में बोले राकेश टिकैत : पांच राज्यों में चुनाव के बाद सरकार के खिलाफ होगा युद्ध का आगाज, नहीं करेंगे चढूनी का समर्थन

किसान नेता ने कहा कि पांचों राज्यों में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार जनहित से जुड़े विषयों की बजाए पहनवाने, जाति और अन्य आधारहीन मुद्दों को लेकर जनता का ध्यान भटकाने की कवायद में लगी है।;

Update: 2022-02-12 13:04 GMT

हरिभूमि न्यूज. कलायत/कैथल

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव के बाद देश में जनक्रांति और सरकार के खिलाफ 36 बिरादरी के हितों को लेकर युद्ध का आगाज होगा। किसी भी राजनैतिक दल को डा. भीम राव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। नेशनल हाई-वे की बजाए गांव की सड़कों पर सरकार विकास का मॉडल प्रस्तुत करे तो जानें? उन्हाेंने प्रदेश में जारी आंगनबाड़ी-हेल्पर यूनियन के विरोध प्रदर्शन और मुख्यमंत्री सिटी में प्रस्तावित पड़ाव में संभव सहयोग देने का भरोसा दिलाया।

राकेश टिकैत शनिवार को भाकियू द्वारा कैथल के शहर कलायत अनाज मंडी में आयोजित किसान, मजदूर व जवान सम्मान महापंचायत में बोल रहे थे। इससे पहले कलायत नेशनल हाई-वे से युवाओं का मोटर साइकिल सवार कारवां रेलवे रोड से होता हुआ राष्ट्रीय प्रवक्ता को भाकियू प्रांतीय संयोजक गुरनाम सहारण और दूसरे किसान नेताओं के साथ पुरजोर अभिनंदन के साथ महापंचायत में लेकर पहुंचा।

राकेश टिकैत ने करीब आधा घंटे के अपने संबोधन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्हाेंने कहा कि देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार जनहित से जुड़े विषयों की बजाए पहनवाने, जाति और अन्य आधारहीन मुद्दों को लेकर जनता का ध्यान भटकाने की कवायद में लगी है। जबकि चुनावी जन संपर्क अभियान चला रहे नेताओं से जनता बंद स्कूल, खुले शराब के ठेकों, बीमार अस्पताल, ठप्प खेल स्टेडियम, टूटी सड़कों और कमजोर बुनियादी सुविधाओं पर नेताओं से जवाब मांग रही है। तानाशाही का रुख अपनाने वालों की अब खैर नहीं। उन्हें हर सूरत में सत्ता से बाहर जाना होगा। 

चढूनी को राजनीतिक समर्थन देने से साफ इंकार

राकेश टिकैत ने गुरनाम चढूनी को किसी तरह का राजनैतिक समर्थन देने से साफ इंकार किया। न तो राकेश टिकैत किसी राजनैतिक दल का गठन करेंगे और न ही किसी विशेष दल को समर्थन देंगे। वे अपनी अंतिम सांस तक 36 बिरादरी के बीच सड़कों पर रहकर उनकी आवाज बुलंद करते रहेंगे। उन्हें लोकसभा, विधानसभा और किसी सरकारी पद की लालसा नहीं है।

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