नगरपालिका चुनावों में चेयरमैन पद के आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती, हरियाणा सरकार को नोटिस
याचिकाकर्ता के वकील ने बहस के दौरान बेंच को बताया कि सरकार नियमों के विपरीत मनमाने ढंग से पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित कर रही है। कोर्ट से आग्रह किया कि कोर्ट हरियाणा नगरपालिका चुनाव (संशोधन) नियम, 2020 के नियम 70ए को रद करने का आदेश दे।;
हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा नगरपालिका चुनावों में पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित करने की नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बावल निवासी राम किशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने बहस के दौरान बेंच को बताया कि सरकार नियमों के विपरीत मनमाने ढंग से पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित कर रही है। कोर्ट से आग्रह किया कि कोर्ट हरियाणा नगरपालिका चुनाव (संशोधन) नियम, 2020 के नियम 70ए को रद करने का आदेश दे। इसी नियम के तहत स्थानीय निकाय में बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित किया गया। कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने बिना आधार बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित करने का निर्णय लिया है। आज से पहले कभी भी बीसी के लिए स्थानीय निकाय का प्रधान का पद आरक्षित नहीं किया गया था। सरकार का यह फैसला स्पष्ट रूप से अवैध, भेदभावपूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक है।
कोर्ट को बताया गया कि सरकार के पास बीसी श्रेणी की जनसंख्या का आंकड़ा नहीं है। 2011 की अखिल भारतीय जनगणना में भारत के लोगों की आयु, लिंग, साक्षरता आदि जानकारी एकत्रित की गई थी। फिर सरकार किस आधार पर बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित कर रहीं है। कोर्ट को बताया गया कि पहले स्थानीय निकाय में निर्वाचित सदस्यों में से प्रधान व उपप्रधान का चुनाव किया जाता था।लेकिन सरकार ने अब संशोधन कर प्रधान का सीधा चुनाव करवाने का निर्णय लिया और इसी के तहत बीसी के लिए प्रधान पद की सीट आरक्षित कर दी।