Rewari: फर्जी वसीयत से 4 हजार वर्ग जमीन पर डाका डालने का प्रयास, डीसी ने मां-बेटे के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराने के दिए आदेश
हरियाणा के रेवाड़ी जिले में हरी ज्ञान एजुकेशन सोसायटी के अधीन चल रहे शहर के चर्चित शिशुशाला स्कूल की करोड़ों रुपए की जमीन हड़प कर स्कूल को बर्बाद करने के प्रयास नाकाम हो गए।;
नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी: हरी ज्ञान एजुकेशन सोसायटी के अधीन चल रहे शहर के चर्चित शिशुशाला स्कूल की करोड़ों रुपए की जमीन हड़प कर स्कूल को बर्बाद करने के प्रयास नाकाम हो गए। तमाम तथ्यों की तह तक जाते हुए डीसी अशोक कुमार गर्ग स्कूल की जमीन को तो बचा ही गए, साथ ही जमीन हड़पने के लिए फर्जी वसीयत तैयार करने के आरोप में मां-बेटे के साथ अन्य संबंधित लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराने आदेश दिए हैं।
शिशुशाला स्कूल की स्थापना शांति दत्ता ने की थी। स्कूल की जमीन का बड़ा हिस्सा शांति दत्ता की बहन चंद्र दत्ता के नाम था। दोनों बहनों ने शादी नहीं की थी। उनके कोई भाई भी नहीं था। इस केस के अनुसार सुनंदा दत्ता ने चंद्र दत्ता के फर्जी साइन करते हुए 4 हजार वर्ग गज जमीन का फर्जी वसीयतनामा कराने के नाम उसकी रजिस्ट्री अपने बेटे कर्ण दत्ता के नाम करा दी। इसके साथ ही स्कूल की करोड़ों रुपए की जमीन हाथ से निकलने के आसार बन गए थे। स्कूल को बचाने के लिए प्रिंसिपल आशु अरोड़ा ने विजय सोमाणी, वीके जैन, रामसिंह व अशोक सोमानी समेत 6 ट्रस्टियों की मदद से वर्ष 2019 में लड़ाई शुरू की।
तत्कालीन डीसी यशेंद्र सिंह ने आदेश पर तत्कालीन एसडीएम रविंद यादव और एडीसी ने अपनी जांच में वसीयत को फर्जी करार दे दिया था। कुशल कटारिया को प्रशासक नियुक्त किया गया था। रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से भी दो बार की गई जांच में स्कूल के पक्ष में ही रिपोर्ट दी गई, लेकिन इस रिपोर्ट को जिला स्तर पर ए आर कार्यालय के दो अधिकारियों ने दबाने का काम किया। नए सिरे से जांच होने के बाद डीसी अशोक कुमार गर्ग ने सुनंदा दत्ता की अपने बेटे के नाम हस्तांतरित कराई गई स्कूल की जमीन गलत तरीके से की गई कार्यवाही करार देते हुए दोनों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराने के आदेश जारी किए हैं।
पूर्व तहसीलदार पर भी होगी कार्रवाई
इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में डीसी ने संज्ञान लेते हुए प्रशासन की ओर से भविष्य में स्कूल एवं सोसायटी का संचालन प्रशासन द्वारा करने, सोसायटी द्वारा नियम विरूद्ध किए गए प्रस्ताव पर सदस्यों को सोसायटी से बाहर करने, जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं समितियां कार्यालय के खिलाफ जांच बैठाने, जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं समितियां तथा सहायक जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं समितियां रेवाड़ी को जांच में शामिल करने, भविष्य के लिए संस्था के हित को ध्यान में रखते हुए एसडीएम को प्रशासक रखने बारे आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
एडीसी की जांच में सामने आई जालसाजी
डीसी अशोक कुमार गर्ग ने बताया कि उपरोक्त मामले में की गई कार्रवाई उपरांत संस्था एवं जमीन को संचालन के लिए प्रशासन को सौंपा जाना उचित है। इस मामले में जांच अधिकारी एवं एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने जांच में पाया कि वसीका नंबर 6103, 14 मार्च 2017 के माध्यम से सुनन्दा दत्ता द्वारा अपने पुत्र करण दत्ता के हक में 4000 वर्ग गज जगह/मकान मॉडल टाउन को हस्तांतरित किया गया था। इस वसीका में सुनंदा दत्ता ने दावा किया था कि वह उक्त 4000 वर्ग गज जगह की पंजीकृत वसीयत वसीका नंबर 3702 की 27 मार्च 2011 के माध्यम से मालिक है। एडीसी ने जांच में वसीयत को ही फर्जी पाया।
तहसीलदार को केस दर्ज कराने के आदेश
डीसी अशोक कुमार गर्ग ने तहसीलदार को आदेश दिए कि धोखाधड़ी से फर्जी रिकॉर्ड वसीयत तैयार कर निजी स्वार्थ के लिए हस्तांतरण कराने के लिए सुनन्दा दत्ता, करण दत्ता व सम्बंधित के विरूद्ध पुलिस में एफआईआर दर्ज कराना सुनिश्चित करें। अपने आदेश में डीसी ने सुनंदा दत्ता, करण दत्ता व तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद इन लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है।
जिला रजिस्ट्रार कार्यालय भी जांच के दायरे में
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसी ने स्टेट रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी हरियाणा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग हरियाणा को अवगत कराया कि भविष्य में स्कूल एवं सोसायटी का संचालन प्रशासन द्वारा किया जाएगा, साथ ही सोसायटी के नियम के विरूद्ध किए गए प्रस्ताव पर सदस्यों को सोसायटी से बाहर किया जाए, जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं समितियां कार्यालय के खिलाफ जांच बैठाई जाए चूंकि मामले को समय रहते समाधान की ओर नहीं ले जाया गया। कार्यवाही एवं सोसायटी के नियमों को बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया।
अधिकारियों की भूमिका सराहनीय
डीसी अशोक कुमार गर्ग समेत एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल, एसडीएम होशियार सिंह, तहसीलदार प्रदीप देशवाल और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने इस शिक्षण संस्था को बचाने के लिए ईमानदारी के साथ सराहनीय कार्य किया है। निष्पक्ष तरीके से की गई जांच के बाद ही जमीन का बचना सुनिश्चित हो सका है। ----आशु अरोड़ा, प्राचार्य शिशु शाला स्कूल।
निष्पक्ष जांच से बची जमीन
स्कूल की करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन को बचाने के लिए 6 ट्रस्टी स्कूल प्रबंधन के साथ थे। अधिकारियों की निष्पक्ष जांच और सटीक निर्णय से ही जालसाजी की योजना सिरे चढ़ने से बच गई। इसमें डीसी अशोक कुमार गर्ग भी भूमिका काफी सकारात्मक रही है। ------विजय सोमाणी, ट्रस्टी, हरी ज्ञान एजुकेशन सोसायटी