रेवाड़ी नगर परिषद: निदेशालय में धूल फांक रही फाइल, कचरा कलेक्शन की व्यवस्था बदहाल
शहर के लोगों को कचरे के ढेरों से बदबूमय माहौल का सामना करना पड़ रहा है। कचरा कलेक्शन की फाइल पर निकाय विभाग निदेशालय कुंडली मारे बैठा है।;
हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी: पीएम नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत मिशन का असली नजारा शहर में आसानी से देखा जा सकता है। पहले नगर परिषद की अव्यवस्था और भ्रष्टाचार ने शहर को 'नरक' बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब कचरा कलेक्शन की फाइल पर निकाय विभाग निदेशालय कुंडली मारे बैठा है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का टेंडर लंबे समय से अटका पड़ा है, जिससे शहर के लोगों को कचरे के ढेरों से बदबूमय माहौल का सामना करना पड़ रहा है।
नगर परिषद के डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के टेंडर की फाइल बीते साल के अंत में ही निकाय विभाग के निदेशालय के पास पहुंच चुकी थी। इस फाइल में हर वार्ड के लिए कचरा कलेक्शन के लिए वाहन की व्यवस्था करने के साथ-साथ ई-रिक्शा और दूसरे संसाधनों के लिए टेंडर छोड़े जाने की मांग की जा चुकी है। फाइल पर विचार करने के लिए दिसंबर के माह के अंत में डीएमसी व नगर परिषद के अन्य अधिकारियों को निदेशालय बुलाया गया था। बैठक में गारबेज के टेंडर को लेकर चर्चा भी हुई थी, परंतु उसके बाद अभी तक फाइल को स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है।
कचरा कलेक्शन के टेंडर को स्वीकृति नहीं मिलने के कारण नप के अधिकारी भी शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने में लाचार नजर आ रहे हैं। निदेशालय से फाइल निकले बिना शहर की गंदगी के ग्रहण से निजात दिलाना अधिकारियों के वश में भी नहीं है। सूत्रों के अनुसार पूर्व में नगर परिषद में भ्रष्टाचार और दो अधिकारियों के एंटी करप्शन केस में शामिल होने के बाद निदेशालय की ओर से भी फाइल को पास करने में देरी की जा रही है। कई पार्षद लगातार हाउस की मीटिंग में भी अपने वार्डों की बदहाल व्यवस्था को बयां कर चुके हैं, परंतु अभी तक सफाई व्यवस्था के लिए अटकी प्रमुख फाइल पर स्वीकृति नहीं मिल सकी है।
अस्थाई व्यवस्था भी भ्रष्टाचार की भेंट
शहर में लगभग 30 हजार घरों से नगर परिषद प्रॉपर्टी टैक्स के साथ ही कचरा उठाने का चार्ज भी वसूली करती है। इसके बावजूद कचरा नहीं उठने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कचरा उठाने के लिए लगाए गए ट्रैक्टर हकीकत में कम और कागजों में ज्यादा कचरा उठा रहे हैं। तंग गलियों में ट्रैक्टरों का घुसना मुमकिन नहीं है। इसके लिए नगर परिषद के पास अपने छोटे वाहन हैं, लेकिन इन वाहनों को चलाने के लिए नगर परिषद के पास चालक उपलब्ध नहीं हैं। कचरा उठान के नाम पर भारी गोलमाल की आशंकाएं जताई जा रही हैं।
औपचारिकता पूरी कर रहे टैक्टर
नगर परिषद की ओर से अपने स्तर पर ट्रैक्टरों से कचरा उठाने की व्यवस्था शुरू की हुई है, लेकिन यह व्यवस्था भी पूरी तरह संदेह के घेरे में है। पार्षद यह आरोप लगा चुके हैं कि जितने ट्रैक्टर कागजों में दिखाए जा रहे हैं, वास्तव में उतने ट्रैक्टर कचरा उठाने के कार्य में लगे ही नहीं हैं। जो ट्रैक्टर वास्तव में लगे हुए हैं, वह नियमित रूप से कचरा उठाव नहीं कर रहे हैं। जिन वार्डों में यह ट्रैक्टर नहीं घुस पाते, उन वार्डों में कचरे के ढेर लोगों के लिए बीमारियां परोसने की आशंका पैदा कर रहे हैं।
शहर के लिए नासूर नगर परिषद
शहर के विकास के लिए बनी नगर परिषद ही शहर के लिए नासूर साबित हो रही है। पहले भ्रष्टाचार के आरोप में दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज और बाद में अधिकारियों के तबादलों के दौर ने नगर परिषद पर काफी समय तक अव्यवस्था के बादल मंडराए रखे। ईओ की स्थाई नियुक्ति भी हाल ही में हुई है। पर्याप्त संख्या में अभियंताओं की नियुक्ति नहीं होने के कारण विकास कार्यों से संबंधित पोर्टल नहीं चल पा रहे हैं, जिसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
सफाई कर्मियों की भारी कमी
कचरा उठाने के साथ-साथ शहर की सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है। शहर में सफाई के लिए करीब 370 सफाई कर्मचारी तैनात हैं, जबकि आबादी के हिसाब से 500 से अधिक की जरूरत है। शहर के लोगों का आरोप है कि पार्षदों के घरों के आसपास की सफाई व अन्य गलियों में सफाई में अंतर देखा जा सकता है। जो भी पार्षद बनता है सफाई कर्मचारी उसकी गली में शिफ्ट हो जाते हैं। शहर की कई ऐसी गलियां हैं, जहां पर कई दिनों तक सफाई कर्मचारी नहीं पहुंचते हैं।
टेंडर नहीं होने से बदहाल हुई व्यवस्था
पहले जिस ठेकेदार को कचरा कलेक्शन का टेंडर दिया हुआ था, उसने अपने काम को सही तरीके से अंजाम दिया था। टेंडर खत्म होने के बाद लगाए गए ट्रैक्टर से कचरा उठाने की सही व्यवस्था नहीं बन पा रही है। नया टेंडर होने के बाद ही कचरा उठाने की व्यवस्था पटरी पर आ सकती है। -पूनम यादव, चेयरमैन, नप।
अभियंताओं की नियमित नियुक्ति नहीं होना शहर में होने वाले विकास कार्यों के लिए सबसे बड़ी बाधा साबित हुआ है। अब उनकी नियुक्तियां हो रही हैं। कचरा कलेक्शन के टेंडर की फाइल पास करने के लिए निदेशालय में बैठक भी हो चुकी है। इसे पास करना निदेशालय के हाथ में ही है। -डा. सुभिता ढाका, डीएमसी।