Rice Mills : 67 प्रतिशत सीएमआर डिलीवरी लेकर फतेहाबाद प्रदेश में सातवें स्थान पर पहुंचा
9 मार्च तक इन राइस मिलों ने एफसीआई को 67 प्रतिशत चावल की अदायगी कर दी है जोकि एक रिकार्ड है। बता दें कि 31 मार्च तक इन मिलों ने एफसीआई को 85 प्रतिशत चावल की अदायगी करनी है।;
हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद। जिले की विभिन्न खरीद एजेंसियों द्वारा करीब 239 राइस मिलों में की गई करीब 10 लाख एमटी धान की मिलिंग सीएमआर की वसूली के मामले में फतेहाबाद जिला प्रदेश में सातवें नंबर पर पहुंच गया है। यानि कि 9 मार्च तक इन राइस मिलों ने एफसीआई को 67 प्रतिशत चावल की अदायगी कर दी है जोकि एक रिकार्ड है। बता दें कि 31 मार्च तक इन मिलों ने एफसीआई को 85 प्रतिशत चावल की अदायगी करनी है।
इस बार हैफेड, फूड एंड सप्लाई व हरियाणा वेयर हाऊस ने जिले की 239 राइस मिलों में 9 लाख 87 हजार 417 एमटी धान की मिलिंग की थी। नियमानुसार इन मिलांे द्वारा प्रति क्विंटल धान की एवज में 67 किलो चावल की सीएमआर एफसीआई को देनी होती है। चावलों की कुल अदायगी अप्रैल के अंत तक करनी है। 31 मार्च तक इन मिलों ने एफसीआई को 85 प्रतिशत चावल देना है। 9 मार्च तक राइस मिलें 67 प्रतिशत चावल की अदायगी कर चुके हैं। जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक विनीत जैन ने बताया कि इनमें फूड एंड सप्लाई ने कुल 1 लाख 305 एमटी चावल की डिलीवरी एफसीआई को देनी है, इसमें से अब तक 71992 एमटी चावल डिलीवर किया जा चुका है। इसी तरह हैफेड ने 2 लाख 99 हजार 453 एमटी चावल की डिलीवरी देनी है, जिसमें से 1 लाख 97 हजार 930 एमटी चावल एफसीआई को डिलीवर किया जा चुका है। हरियाणा वेयर हाऊस ने 2 लाख 61 हजार 811 एमटी चावल की डिलीवरी देनी है, जिसमें से 1 लाख 76 हजार 557 एमटी चावल एफसीआई को डिलीवर किया जा चुका है। यानि कि कुल 6 लाख 61 हजार 570 एमटी चावल में से 4 लाख 46 हजार 479 एमटी चावल एफसीआई के पास पहंुच चुका है। इस हिसाब से फतेहाबाद जिला प्रदेशभर में सातवें नंबर पर है।
बता दें कि अभी तक यहां बिहार से आए सस्ते चावलों की डिलीवरी एफसीआई को देने का कोई मामला सामने नहीं आया है। इससे पूर्व क्यास लगाए जा रहे थे कि राइस शैलर बिहार से सस्ती दरों पर लाए गए चावल एफसीआई को डिलीवर कर सकते हैं। इसे रोकने को लेकर सरकार ने कड़े मापदंड भी लागू कर रखे हैं। अब चावल डिलीवरी के समय एफसीआई कर्मचारी कैमिकल डालकर पता लगा लेते हैं कि चावल की ऐज क्या है। पुराना होने पर इसे बिहार का माना जाता है और इसे रिजेक्ट कर दिया जाता है।