Corona : रोडवेज की बसों में परिचालकों के सीटी बजाने पर रोक लगी

अधिकारियों का कहना है कि इससे कोरोना वायरस (Corona virus) फैलने का खतरा है।रोडवेज की बसों में अब परिचालक बस को रोकने व चलाने के लिए सिटी का प्रयोग नहीं करेंगे। वहीं, यात्रियों को भी अब काउंटरों से टिकट लेकर ही बस में सवार होना पड़ेगा।;

Update: 2020-07-06 06:23 GMT

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

कोरोना से रोज बढ़ रहे मामलों को देखते हुए रोडवेज बसों(Roadways bus) में परिचालकों के सीटी बजाने पर रोक लगा दी गई। अधिकारियों का कहना है कि इससे वायरस फैलने का खतरा है। रोडवेज की बसों में अब परिचालक बस को रोकने व चलाने के लिए सिटी का प्रयोग नहीं करेंगे। वहीं, यात्रियों को भी अब काउंटरों से टिकट लेकर ही बस में सवार होना पड़ेगा। सफर के बीच में चढ़ने वाले यात्री को भी परिचालक के पास जाकर ही टिकट लेनी होगी। वहीं बस में सीट नंबर 1, 2, 3 नंबर सीटों पर यात्रियों को नहीं बैठाया जाएगा।

कोरोना महामारी के बाद बसों के पहिए ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ ली है। बसों के चलने के बाद भी रोडवेज घाटे से नहीं उबर पा रही है। डिपों को हर रोज करीब 10 से 11 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। जहां पहले हर रोज 10 से 12 लाख रुपये की आय होती थी। वहीं, अब केवल 70 से 80 हजार रुपये आय हो रही है। साथ ही प्राइवेट बसों को भी यात्री नहीं मिल रहे है। जिसके कारण प्राइवेट बसें भी बस स्टैंड में खाली खड़ी रहती है। साथ ही कोरोना महामारी को देखते हुए बसों में परिचालक के सिटी बजाने पर भी रोक लगा दी है।

बस स्टैंड पर एक हजार यात्री भी नजर नहीं आ रहे हैं

दरअसल, लॉकडाउन के बाद रोडवेज की बसों का विभिन्न रूटों पर संचालन शुरू कर दिया है। आम दिनों में जहां रोडवेज बस स्टैंड से एक दिन में करीब 15 से 20 हजार यात्री सफर करते थे, कोरोना काल में बस स्टैंड पर करीब एक हजार यात्री भी नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि, रोडवेज की ओर से विभिन्न रूटों पर अलग-अलग समय में बसों का संचालन शुरू किया है, लेकिन बसों को चलाने के लिए रोडवेज को अब यात्री बहुत कम मिल रहे हैं। लॉकडाउन में फ्री बस चलाने के बाद भी अब रोडवेज के खाते में आय नहीं हो पा रही है।

अभी यात्री कम

कोरोना के कारण यात्री तो कम आ रहे हैं। साथ ही डिपों को नुकसान भी हो रहा है, लेकिन धीरे-धीरे सभी बसों को चलाया जा रहा है। जैसे-जैसे जिस रूट के भी यात्री मिलते हैं उन्हें बसों से भेजा जा रहा है। -बिजेंद्र हुड्डा, रोडवेज, जीएम 

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