हरियाणा में नगर निकाय चुनाव के बदलेंगे नियम, यूपी की तर्ज पर लाया जाएगा बिल

हरियाणा में पहले नगर निगम में पार्षद चुने जाने के बाद में मेयर को चुना करते थे। लेकिन यूपी व कई राज्यों की तर्ज पर अब जब जनता सीधे मेयर (Mayor) चुनने लगी।;

Update: 2020-11-05 06:02 GMT

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़

प्रदेश की नगर निगमों (Municipal corporations) में एक बार चुनकर कुर्सी पर बैठने और अपने पार्षदों की सुनवाई नहीं करने वालों पर लगाम लगाने के लिए गुरुवार से हरियाणा विधानसभा सत्र (Session of Haryana Vidhan Sabha) में बिल पेश किया जाएगा। इसके लिए फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसके आने के बाद में किसी भी नगर निगमों में अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने वाले प्रतिनिधियों को अपने पार्षदों की सुनवाई भी ठीक ढंग से करनी होगी।

यहां पर बता दें कि सूबे की मनोहरलाल सरकार द्वारा ही नगर निगमों में सीधे मेयर का चुनाव कराने का फैसला लिया गया था। इतना ही नहीं राज्य की मनोहरलाल सरकार तो नगर परिषद, नगर पालिका में भी सीधे ही अध्यक्ष पद के लिए चुने जाने के हक में हरी झंडी दे चुकी है। उक्त मामला अभी लंबित चल रहा है। हरियाणा में पहले नगर निगम में पार्षद चुने जाने के बाद में मेयर को चुना करते थे। लेकिन यूपी व कई राज्यों की तर्ज पर अब जब जनता सीधे मेयर चुनने लगी, तो कई शहरों में मेयर द्वारा विधायकों और पार्षदों तक की सुनवाई नहीं करते, जिसके कारण इन पर लगाम लगाने की सरकार ने खास तैयारी कर ली है। अर्थात एक बिल इसी बार के सत्र में पेश किया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि इस बिल के पेश हो जाने के बाद में नगर निगमों में मेयर अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे अर्थात सदन में मौजूदा संख्या के पार्षद में से पचास फीसदी ने अगर बिगुल बजा दिया तो अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस ठीक मांगा जाएगा। इसके अलावा दो तिहाई अगर झंडा बुलंद करेंगे, तो अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जाएगा। इसका मसौदा तैयार हो गया है, इसी सत्र में बिल लाने की तैयारी है। अगर नगर परिषद और नगर पालिका में भी सीधे चुनाव कराने का फैसला हुआ, तो नगर निगम वाली व्यवस्था नगरषद व पालिका में भी लागू होगी।

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