शिक्षिका को सलाम : दिव्यांग बच्चे के दिल में था छेद, खुद दस्तावेज तैयार करवाए, डेढ़ लाख की सहायता से फोर्टिस अस्पताल में करवाया उपचार

दिव्यांग बच्चों को प्रशक्षिण, आर्थिक सहायता, चिकित्सा एवं रेलवे/परिवहन रियायती प्रमाण पत्र समय पर उपलब्ध हों पाएं इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चा किसी सरकारी विद्यालय में नामांकित हो। ऐसे बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक खंड में न केवल बीआरसी-आईईडी केंद्रों की स्थापना की गई है।;

Update: 2021-08-04 05:56 GMT

हरिभूमि न्यूज : अंबाला

दिव्यांग बच्चों को अब घर पर ही शिक्षा विभाग की ओर से उपयोगी कौशलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसकी समीक्षा के लिए अहम मीटिंग हुई। समग्र शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयक सुधीर कालड़ा ने बताया कि समग्र शिक्षा के तहत ऐसे बच्चों को राज्य सरकार की ओर से कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। मीटिंग में ज़िले में कार्यरत सभी 16 संसाधन एवं विशेष शिक्षक भी मौजूद थे।

दिव्यांग बच्चों को प्रशक्षिण, आर्थिक सहायता, चिकित्सा एवं रेलवे/परिवहन रियायती प्रमाण पत्र समय पर उपलब्ध हों पाएं इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चा किसी सरकारी विद्यालय में नामांकित हो। ऐसे बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक खंड में न केवल बीआरसी-आईईडी केंद्रों की स्थापना की गई है बल्कि प्रत्येक केंद्र पर संसाधन एवं विशेष शिक्षकों की तैनाती भी की गई है। एपीसी सूर्यकांत ने बताया कि जुलाई मास में सभी विशेष शिक्षकों द्वारा निर्धारित शैड्यूल के अनुरूप गृह आधारित दिव्यांग विद्यार्थियों को उनके घर जाकर जीवन कौशलों का प्रशक्षिण दिया गया है। चालू माह का विजिट शेड्यूल भी डीपीसी कार्यालय को उपलब्ध करा दिया गया है। कालड़ा ने कहा कि सभी विशेष शक्षिक अपना विजिट शेड्यूल गृह आधारित दिव्यांग बच्चे के माता पिता और कक्षा अध्यापक से भी सांझा करें। जीवन कौशल प्रशिक्षण के दौरान बच्चे के माता पिता या बड़े भाई बहन को भी मौजूद रहने के लिए कहें ताकि बाद में वे भी बच्चे से उस कौशल का अभ्यास करवा सकें।

विशेष शिक्षिका पुष्पा ने बताया कि जीपीएस पुलिस लाइन में एक गृह आधारित दिव्यांग बच्चा है। उसके दिल में छेद था। उसने इस बच्चे के परिजनों को राष्ट्रीय स्वास्थ ग्रामीण मिशन की पूरी जानकारी दी। इसके बाद नागरिक अस्पताल में जाकर बच्चे के उपचार से जुड़े तमाम दस्तावेज तैयार करवाए गए। इसके बाद बच्चे को बीमारी के उपचार के लिए डेढ़ लाख रुपये का मिशन की ओर से आर्थिक सहयोग मिला। तब मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में बच्चे के दिल के छेद का उपचार हो गया। अब यह बच्चा पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी रहा है।

हालांकि दूसरे विशेष अध्यापकों प्रवीन कुमार, मीनाक्षी, सरिता, कुमुद और सुषमा ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को जो एक्टिविटी करवाई जाती है परिजन उसका अभ्यास नहीं करवाते। इसके कारण बच्चों की दिव्यांगता बढ़ती जाती है। अभिभावक इसका दोष विशेष शिक्षकों के सिर मढ़ देते हैं। कालड़ा ने विशेष शिक्षका पुष्पा के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि दिव्यांग बच्चों का साधारण बच्चों के मुकाबले देश के संसाधनों व हमारे प्रेम और स्नेह पर ज्यादा अधिकार है इसलिए हमें हमेशा उनकी सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए।

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