Tokyo Olympics : पैदल चाल में एक बार फिर ओलंपिक में अपना जलवा दिखाएंगे संदीप पूनिया
देवेंद्र यादव : महेंद्रगढ़
कहते हैं कि अगर हौसले बुलंंद हो तो कठिन से कठिन डगर पार कर ली जाती है। यह बात जिला महेंद्रगढ़ के गांव सुरहेती जाखल निवासी संदीप पूनिया पर फिट बैठती है। संदीप ने बेहद गरीब परिवार से होते हुए भी अपने खेल को आगे बढ़ाए रखा। अब वे अंतर्राष्ट्रीय रेस वॉकिंग यानी पैदल चाल में दूसरी बार ओलंपिक में अपना जलवा दिखाएंगे। हालांकि गत रियो ओलंपिक-2016 में भी उन्होंने काफी मेहनत की थी, लेकिन वे देश के लिए कोई मेडल नहीं ला पाए। उस वक्त वह 33वें स्थान पर रहे थे। मगर इस बार संदीप का कहना है कि वह देश के लिए मेडल अवश्य लाएंगे।
गांव सुरहेती जाखल में एक मई 1986 को एक बेहद गरीब परिवार में जन्में संदीप कुमार के पिता बकरी चराने का काम करते थे। आज भी उनके पिता प्रीतम सिंह बकरी चराने व खेतों में मजदूरी का काम ही करते हैं। हालांकि उनके पास पांच एकड़ जमीन भी है। मगर वह ज्यादा उपजाऊ नहीं है। उनके परिवार की यह स्थिति नहीं थी कि वे किसी खेल में अपने दम पर भाग ले सकें। मगर संदीप की रुचि शुरू से ही खेलों की रही है। संदीप की मां ओमपति का करीब 24 साल पहले निधन हो गया था। उस समय संदीप की उम्र महज आठ साल ही थी। जिसके बाद संदीप के पिता ने ही उसको माता व पिता की तरह दोनों का प्यार दिया तथा इस मुकाम तक पहुंचाया। संदीप के परिवार में एक बहन ममता व बड़ा भाई सुरेंद्र है। सुरेंद्र अपने पिता प्रीतम सिंह के साथ खेती का कार्य करते हैं। संदीप के भाई के घर में 20-22 बकरियां पाली हुई हैं। संदीप के पिता प्रीतम सिंह ने मां व बाप दोनों की भूमिका बड़ा संघर्ष करके निभाई।
बचपन में लगाता था संदीप दौड़ : बचपन में पिता के साथ बकरियां चराते समय संदीप दौड़ लगाता रहता था। संदीप ने 50 किलोमीटर वाकिंग में नए रिकार्ड बनाए। उनके सेना में सूबेदार पद पर भर्ती होने के बाद घर के आर्थिक हालात कुछ सुधरे। संदीप ने 2012 में ओलंपिक क्वालीफाई कर लिया था, मगर वे 2012 मंे किन्हीं कारणों के चलते ओलंपिक नहीं जा पाए। संदीप ने इसके बाद 2016 में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। संदीप 2014 व 2018 में एशियन खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
अबकी बार है मेडल की तैयारी : टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के बारे में संदीप से बात की गई तो संदीप ने बताया कि इस बार वे देश के लिए मेडल लाने के लिए तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे करीब नौ माह से अपने परिवार से दूर हैं। वे इस समय भारीतय खेल प्राधिकरण बैंगलुरू में ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खेल प्राधिकरण द्वारा खिलाडि़यों को उनके हिसाब से डाइट देता है। खुराक में वे कोई कमी नहीं छोड़ते तथा दिनभर काफी अभ्यास करते हैं।