संकष्टी चतुर्थी आज : जानिये व्रत का महत्व, श्रीगणेश जी की पूजन विधि और समय
संकट चौथ के दिन श्री गणेश पूजन तथा व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान गणपति की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर-परिवार पर आ रही विघ्न -बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं।;
हरिभूमि न्यूज. कुरुक्षेत्र
21 जनवरी को माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि, मघा नक्षत्र, सौभाग्य योग व चन्द्रमा सिंह राशि में संकट गणेश चौथ व्रत किया जाएगा। वक्रतुण्ड चतुर्थी, तिलकुटा चौथ भी इसी चतुर्थी के नाम है। संकट चौथ के दिन श्री गणेश पूजन तथा व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान गणपति की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर-परिवार पर आ रही विघ्न -बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस तिथि में गणेश जी की पूजा भालचंद्र नाम से भी की जाती है। इस चतुर्थी में चन्द्रमा के दर्शन करने से गणेश जी के दर्शन का पुण्य फल मिलता है। इस दिन स्त्रियां अपने संतान की दीघार्यु और सफलता के लिए व्रत करती हैं और कथा सुनती हैं।
संकट गणेश चौथ व्रत का पौराणिक आधार
कुरुक्षेत्र के श्रीदुर्गा देवी मन्दिर पिपली के अध्यक्ष डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ कहा जाता है। पद्म पुराण के अनुसार यह व्रत स्वयं भगवान गणेश ने मां पार्वती को बताया था। इस व्रत की विशेषता है कि घर का कोई भी सदस्य इस व्रत को कर सकता है। प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी गणेश चतुर्थी कहलाती है, परन्तु माघ मास की चतुर्थी संकट चौथ कहलाती है। नियमित रूप से व्रत करने से बुद्धि, ऋद्धि और सिद्धि की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही समस्त विघ्न बाधाओं का नाश भी होता है। संतान को भगवान श्री गणेश सभी कष्टों से बचाते हैं। आज का पूजन छात्रों को अत्यंत मेधावी बनाता है। भगवान श्रीगणेश को चतुर्थी का व्रत प्रिय है। चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश जी का जन्म हुआ था।
भगवान श्रीगणेश जी की पूजन विधि
पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। गणेश की मूर्ति स्थापित कर रोली चंदन सिंदूर लगा कर दूर्वा एवं पुष्प अर्पित करें। उन्हें पीले वस्त्र तथा आभूषण धारण कराएं एवं बंदन पूजन करें। पूजा के दौरान गणेश मंत्र का जाप करें। गणेश जी को प्रसाद में तिल और गुड़ से बने प्रसाद या मोदक व लड्डू का भोग लगाएं। भगवान शिव एवं आदि शक्ति मां पार्वती का भी पूजन करें। दिन भर निर्जला व्रत रखें। सौभाग्य योग दोपहर तीन बजकर छह मिनट तक रहेगा। इसके बाद शोभन योग शुरू होगा। वहीं चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह आठ बजकर 51 मिनट से शुरू होगी और 22 जनवरी को सुबह नौ बजकर 14 मिनट तक चलेगी। संकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा करने से ग्रहों की अशुभता दूर करने में मदद मिलती है। भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन कर शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर व्रत का समापन करें।