सतलोक आश्रम संचालक रामपाल को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, लगाई थी यह याचिका
रामपाल ने याचिका दायर कर हिसार ट्रायल कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2018 को सुनाई गई सजा को निलंबित करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सजा के खिलाफ उसकी अपील हाई कोर्ट में विचाराधीन है, जब तक हाई कोर्ट अपील पर फैसला नहीं लेता तब तक उसकी सजा को निलंबित किया जाए।;
स्वयंभू संत रामपाल को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 17 फरवरी तक स्थगित कर दी। कोर्ट के आदेश पर पर जेल प्रशासन ने कोर्ट में रामपाल का कस्टडी प्रमाण पत्र पेश किया जिसके तहत उसकी कस्टडी की वास्तविक अवधि 6 साल, 4 महीने और 14 दिन बताई गई थी।
रामपाल ने याचिका दायर कर हिसार ट्रायल कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2018 को सुनाई गई सजा को निलंबित करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सजा के खिलाफ उसकी अपील हाई कोर्ट में विचाराधीन है, जब तक हाई कोर्ट अपील पर फैसला नहीं लेता तब तक उसकी सजा को निलंबित किया जाए। कोर्ट को बताया गया कि वह पांच साल आठ महीने से सलाखों के पीछे है। इस मामले में उसके साथ के 10 अन्य सह आरोपियों की सजा को हाई कोर्ट अपील विचाराधीन रहने के कारण निलंबित कर चुका है। ऐसे में उसकी सजा को भी निलंबित किया जाए। हरियाणा के बरवाला के सतलोक आश्रम प्रकरण में हिसार कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2018 को हत्या के एक मामले में दोषी रामपाल को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। रामपाल को एफआइआर नंबर 430 के तहत यह सजा दी गई है।
19 नवंबर 2014 को हिसार के बरवाला शहर के सतलोक आश्रम में एक बच्चे और चार महिलाओं की लाश मिलने के बाद रामपाल और उसके 27 अनुयायियों के खिलाफ हत्या और बंधक बनाए जाने के तहत केस दर्ज किया गया था। एक अन्य केस रामपाल और उसके अनुयायियों के खिलाफ तब दर्ज हुआ, जब आश्रम में 18 नवंबर को एक महिला का शव बरामद हुआ था। इस सजा के खिलाफ रामपाल ने हाई कोर्ट में अपील दायर की हुई है, जो अभी डिवीजन बेंच के सामने विचाराधीन है।
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