दशकों बाद हरियाणा विधान सभा में बनी प्रवर समिति
विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता (Gian Chand Gupta) की पहल पर हरियाणा विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम क्रमांक 132 के तहत गठित इस समिति में प्रदेश के तीनों प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और जजपा के सदस्य शामिल किए गए हैं।;
हरियाणा विधान सभा (Haryana Legislative Assembly) में एक विधेयक के मसौदे पर विपक्ष के संशयों को दूर करने के लिए करीब तीन दशक बाद प्रवर समिति (Select committee) का गठन किया गया है। विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता (Gian Chand Gupta) की पहल पर हरियाणा विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम क्रमांक 132 के तहत गठित इस समिति में प्रदेश के तीनों प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और जजपा के सदस्य शामिल किए गए हैं।
गौरतलब है कि मार्च 2021 में आयोजित बजट सत्र में सरकार की ओर बिल क्रमांक 8 हरियाणा खेल विश्वविद्यालय अधिनियम का मसौदा पेश किया गया था। विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य विपक्षी सदस्यों ने इस बिल पर कुछ आपत्तियां जताई थीं। इसके चलते 13 मार्च को यह विधेयक वापस कर दिया गया।
विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने उनकी आपत्तियों के निवारण के लिए सदन की राय जाननी चाही। सदन में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि बिल प्रवर समिति को भेजा जाए। यह भी निर्णय लिया गया कि तीनों बड़े दल अपनी-अपनी पार्टी के सदस्यों के नाम अध्यक्ष महोदय को भेज देंगे, ताकि प्रवर समिति का गठन किया जा सके। अब तीनों राजनीतिक दल भाजपा, कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी से सदस्यों की सूची प्राप्त विधान सभा अध्यक्ष को प्राप्त हो गई हैं। इसके आधार पर विस अध्यक्ष ने प्रवर समिति का गठन कर दिया है।
प्रवर समिति में सबंधित विभाग के मंत्री बतौर इंचार्ज बिल, विधान सभा उपाध्यक्ष और एक पैनल ऑफ चेयरपर्सन में से एक सदस्य को भी समिति का सदस्य बनाया गया है। अब इस समिति में विधान सभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा, खेल मंत्री संदीप सिंह, विधायक अभय सिंह यादव, असीम गोयल, हरविंदर कल्याण, महिपाल ढांडा, ईश्वर सिंह, जगबीर सिंह मलिक, गीता भुक्कल, भारत भूषण बत्रा और रणधीर सिंह गोलन शामिल हैं।
गौरतलब है कि इससे पूर्व 16 नवंबर 1973 और 12 दिसंबर 1986 को भी विधेयकों के प्रारूप प्रवर समिति को भेजे गए थे। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार की तरफ से किसी भी बिल का मसौदा सदन पटल पर प्रस्तुत किया जाता है तो विपक्ष को उस पर अपनी राय प्रकट करने का पूरा अधिकार है। अगर विपक्ष को विधेयक के मसौदे पर कुछ खामियां नजर आती है तो उनका निवारण करना आवश्यक है। इन आशंकाओं का निवारण करने के लिए इस प्रवर समिति का गठन किया गया है। समिति संसदीय परंपरा के मुताबिक बिल पर काम करेगी। इसीलिए इसमें सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के सदस्य भी शामिल किए गए हैं। आपत्तियों के निवारण के बाद अगर समिति चाहेगी तो बिल का मसौदा दोबारा सदन पटल पर पेश किया जाएगा।