Selja बोलीं : गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने का षड्यंत्र रज रही सरकार
- चिराग योजना के तहत दाखिले में जानबूझकर की जा रही देरी
- गठबंधन सरकार नहीं चाहती कि गरीबों के बच्चे पढ़ें
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Haryana : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा (Kumari Selja) ने कहा कि चिराग योजना की आड़ में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने का षड्यंत्र रचने में लगी है। शिक्षा विभाग जानबूझकर इस योजना के तहत दाखिलों में देरी करता है, ताकि ये बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाएं और फिर परीक्षा में फेल हो जाएं। समय पर दाखिले न होने से साफ है कि गठबंधन सरकार और शिक्षा विभाग नहीं चाहते कि गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले।
उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक गरीब परिवारों के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री हरियाणा समान शिक्षा राहत, सहायता एवं अनुदान (चिराग) योजना शुरू की गई है। जबकि काम इसके नाम के एकदम विपरित किया जा रहा है। सभी जानते हैं कि 1 अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक इस योजना के तहत निजी स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया मुकम्मल नहीं हो पाई। मौलिक शक्षिा विभाग ने नए सिरे से स्कूलों से योजना के तहत खुद को रजिस्टर्ड कराने के आवेदन मांग लिए है। विभाग की वेबसाइट पर बाकायदा इस बात का जिक्र किया गया है। जब जून के महीने में स्कूलों से आवेदन मांगे जा रहे हैं तो फिर जुलाई महीने के अंत तक भी छात्रों का दाखिल होना मुश्किल काम है। इससे पहले भी इस योजना के तहत दाखिले की प्रक्रिया शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले ही शुरू करने की बजाय देरी से ही मई महीने में शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि देर से दाखिले होने की सूरत में इन छात्रों की पढ़ाई में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के पास कोई प्लान नहीं है। इससे पता चलता है कि सरकार की मंशा इन्हें पढ़ाने की नहीं, बल्कि और अधिक पीछे धकेलने की है। सरकार खुद नहीं चाहती कि किसी गरीब परिवार का बच्चा पढ़-लिख कर बड़ा अधिकारी बने, इसलिए सोची-समझी साजिश के तहत इन बच्चों के देरी से दाखिले कराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। जब सभी को पता है कि नया शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू होता है तो फिर इनके दाखिले मार्च महीने के अंतिम सप्ताह या फिर अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में ही क्यों नहीं करवाए गए। इस बारे में लोग पूछ रहे हैं तो सरकार चुप्पी धारण कर लेती है। दाखिलों में देरी के लिए शिक्षा विभाग के जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, प्रदेश सरकार को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि बाकी को भी इससे सबक मिल सके।