Selja बोलीं : हरियाणवियों के हक पर बाहरियों का डाका
- एचपीएससी चेयरमैन को बर्खास्त कर हरियाणवी को सौंपें जिम्मेदारी
- गठबंधन सरकार की आंख का तारा बने हैं लगातार विवादों में रहने वाले चेयरमैन
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Haryana : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि लगातार विवादों में रहने वाले हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) ने एडीओ भर्ती में बाहरी उम्मीदवारों का चयन कर पढ़े-लिखे हरियाणवियों के हक पर डाका मारने का कार्य किया है। एचपीएससी के चेयरमैन की कारगुजारी शुरू से ही संदिग्ध रही हैं, लेकिन फिर भी ये भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की आंख का तारा बने हुए हैं। प्रदेश सरकार को चेयरमैन आलोक वर्मा को तुरंत बर्खास्त करते हुए इनकी जगह किसी हरियाणवी को आयोग की कमान सौंपनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एचपीएससी ने साल 2022 में सहायक कृषि अधिकारी (एडीओ) के 600 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की। लेकिन, लिखित परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने की शर्त लगातार हजारों आवेदकों को एक ही झटके में भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया। इसका पूरे प्रदेश में जोर-शोर से विरोध भी हुआ, लेकिन आयोग अपनी हठधर्मिता पर अड़ा रहा। अब जब भर्ती किए गए एडीओ से स्टेशन अलॉट हुए तो पता चला कि आयोग ने हरियाणवियों को बाहर रखने के लिए मनमर्जी से नियम तय किए और नई-नई शर्तें अभ्यर्थियों पर थोप दी। 600 पदों की एवज में सिर्फ 42 को ही भर्ती किया गया, जिसमें सामान्य श्रेणी के 23 युवाओं का चयन किया गया, जिसमें से 16 पदों पर अन्य राज्यों के युवा भर्ती किए गए हैं। यह सब इसलिए हुआ है, क्योंकि एचपीएससी चेयरमैन भी बाहरी है। एचसीएस की लगातार दो भर्तियों में यही चेयरमैन विवादों से घिरे हुए हैं।
डेंटल सर्जन व एचसीएस परीक्षा पास कराने की एवज में नोटों से भरे सूटकेस इनके कार्यकाल में ही एचपीएससी से बरामद हुए हैं। इसके अलावा कितनी ही भर्तियों को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट या तो रद्द कर चुका है या फिर स्टे कर चुका है। जबकि, फजीहत से बचने के लिए खुद एचपीएससी भी भर्तियों को रद्द करने की घोषणा कर चुका है। उन्होंने कहा कि जब तक क्लास-वन व टू की भर्तियां करने वाले एचपीएससी में चेयरमैन की कुर्सी पर हरियाणा मूल का व्यक्ति नहीं काबिज होगा, हरियाणवियों के साथ भेदभाव होता रहेगा। ऐसे में प्रदेश सरकार को तुरंत संज्ञान लेते हुए चेयरमैन आलोक वर्मा को बर्खास्त कर देना चाहिए। इनके समय में हुई भर्तियों की जांच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस से कराई जानी चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
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