Shardiya Navratri 2023 : शारदीय नवरात्रि कल से, हांसी में कोलकाता व दिल्ली के फूलों से सजाया जाएगा माता रानी का दरबार
मंदिर पुजारी पंडित बृज ब्रजभूषण शास्त्री ने बताया कि श्री काली देवी मंदिर 15 से 23 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्रि पर्व मनाया जाएगा उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर को माता रानी का पहला नवरात्रा है।;
हरिभूमि न्यूज, हांसी। शारदीय नवरात्रि महोत्सव को लेकर शहर के सबसे प्राचीनतम श्री काली देवी मंदिर परिसर में लाइट व फूलों से मंदिर की भव्य सजावट की गई है। मंदिर पुजारी पंडित बृज ब्रजभूषण शास्त्री ने बताया कि श्री काली देवी मंदिर 15 से 23 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्रि पर्व मनाया जाएगा उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर को माता रानी का पहला नवरात्रा है। उन्होंने बताया कि नवरात्रि महोत्सव में 22 अक्टूबर को रात 8 बजे नव दुर्गा पाठ के समापन पर मंदिर परिसर में हवन यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। तथा 23 अक्टूबर को नवरात्रि महोत्सव के समापन पर भंडारा व प्रसाद वितरण का कार्य किया जाएगा। शहर के प्रसिद्ध श्री काली देवी मंदिर में श्रद्धालु सुबह 5 से दोपहर 12 तथा शाम 4 से रात 10 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। श्री काली देवी मंदिर में हर वर्ष नवरात्र पर्व को पूरे उल्लास से उत्साह के साथ मनाया जाता है और शारदीय नवरात्र महोत्सव के लिए श्री काली देवी मंदिर में पिछले कई दिनों से मंदिर की सजावट व अन्य तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।
श्री काली देवी मंदिर सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। नवरात्रि महोत्सव में 9 दिन तक माता रानी का कोलकाता व दिल्ली सहित अन्य शहरों से मंगवाएं गए फूलों व विशिष्ट पोशाक द्वारा श्रृंगार किया जाता है और उनके दरबार सजाया जाता है। माता रानी के श्रृंगार में गुलाब, चमेली, चंपा व गेंदें के फूलों सहित अनेकों प्रकार फूलों से सजाया जाएगा। नवरात्रि महोत्सव में मंदिर व माता रानी के श्रृंगार व मंदिर की सजावट का कार्य कोलकाता से आए कारीगरों द्वारा किया जाएगा वहीं मंदिर में लगाई गई लाइटों का कार्य बठिंडा से आए कारीगरों द्वारा किया जा रहा है।
श्री काली देवी मंदिर परिसर में प्रत्येक नवरात्रि महोत्सव में श्रद्धालुओं द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करवाई जाती है। मंदिर में हर वर्ष श्रद्धालुओं द्वारा 2000 से ज्यादा अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करवाई है। लोगों की आस्था है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करने से माता रानी उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है। मनोकामना पूर्ण होने के बाद श्रद्धालु यहां आकर सवामणी भी लगाते हैं। श्री काली देवी मंदिर में लगाई गई अखंड ज्योति की देखरेख प्रशिक्षित पंडितों द्वारा की जाती है। और ये लगातार नौ दिन तक जलती रहती हैं। हांसी का श्री काली देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है। मान्यता है कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मां की पूजा अर्चना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है।
वर्षों पुराना है मंदिर का इतिहास
श्री काली देवी मंदिर हांसी की प्रतिष्ठा कब हुई, इसके बारे में स्थानीय लोगों को बहुत ही कम जानकारी है। माना जाता है माता रानी द्वारा अपने किसी भक्त की भक्त की मनोकामना पूर्ण होने पर मां की इच्छानुसार 400 वर्ष पहले उनकी मूर्ति को हांसी में स्थापित किया था। इतिहास इस प्रकार भी है कि किसी अज्ञात नाम के संत द्वारा मनुष्यों का कल्याण करने की इच्छा से महामाया महाकाली, हांसी की रानी के रूप में प्रकट हुई। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यहां पर मिलिट्री का एक कैम्प पड़ा था। उसमें बंगाली सिपाही थे। उनकी कालीदेवी की पूजा करने की इच्छा हुई और सबसे पहले उन्हीं लोगों में से मिलिट्री के एक मेजर ने इस श्मशान भूमि में श्री कालीदेवी मंदिर की स्थापना की और पूजा प्रारंभ कर दी। मंदिर के पुजारी ब्रजभूषण भारद्वाज ने बताया कि मंदिर में काली माता, भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, शनिदेव, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, विष्णु भगवान, शिव परिवार की मूर्ति स्थापित है। जिनकी श्रद्धालु प्रतिदिन विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर में देश के हर कोने से लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते है। इसके साथ-साथ देश के कई लोग जो बाहर रहते है वो भी यहां पर पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। नवरात्रि के उपलक्ष्य पर भंडारे व मेले का आयोजन किया जाता है।
नवरात्रि में देश ही नहीं विदेशों से भी मां के दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु
श्री काली देवी मंदिर में वैसे तो हर दिन भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। परंतु साल में आने वाले दो नवरात्रि महोत्सव में यहां पर देश के सभी राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते है। इस अवसर पर मंदिर में भारी भीड़ दिखने को मिलती है। हर नवरात्र महोत्सव में श्रद्धालुओं द्वारा 2 हजार से अधिक अखंड ज्योति श्रद्धालु द्वारा प्रज्ज्वलित की जाती है और मंदिर प्रबंध समिति द्वारा इन अखंड ज्योति की देखरेख की जाती है। नवरात्रि महोत्सव के समापन नवमी को प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्धालुओं की 125 से ज्यादा सवामणियों के प्रसाद का एक साथ भोग लगाया जाता है।
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