बसंत पंचमी पर अबूझ मुहूर्त मेें गूंजी शहनाई : रात भर बैंडबाजे की धुन पर बराती झूमते और सड़कों पर लोग जाम से जूझते रहे
ऋतुराज बसंत की पंचमी को शहर में शादी व अन्य मांगलिक समारोहों की भी बहार रही। शादी समारोह का आलम यह था कि कोई भी गेस्ट हाउस, होटल, धर्मशाला खाली नहीं रहा।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
बसंत पंचमी के अबूझ मुहूर्त पर शनिवार को चारों तरफ बैंड और शहनाई की धुन ने माहौल को मंगलमय कर दिया। सीजन की सबसे बड़ी विवाह बेला पर क्षेत्र में सैकड़ों जोड़ों ने अग्नि को साक्षी मानते हुए जीवन पथ पर साथ चलने का वचन लिया। शाम होते ही सड़क पर बारातों का 'सैलाब' उमड़ पड़ा। बारातों के साथ चकाचौंध कर देने वाली रंगीन रोशनी ने माहौल को और हसीन बना दिया। जिधर देखो बैंड की धुन पर बाराती झूमते नजर आए। कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के बावजूद लोग जगह-जगह सड़कों पर जाम से जूझते रहे।
जी हां, ऋतुराज बसंत की पंचमी को शहर में शादी व अन्य मांगलिक समारोहों की भी बहार रही। शादी समारोह का आलम यह था कि कोई भी गेस्ट हाउस, होटल, धर्मशाला खाली नहीं रहा। इसके अलावा पार्क, सड़क व मैदान में टेंट लगाकर शादी समारोह हुए। दरअसल, बसंत पंचमी के लिए तीन महीने पहले से ही बुकिंग हो गई थी। वहीं ब्यूटी पार्लरों में भी जबरदस्त भीड़ दिखी। सड़कों पर भी बारात के लिए गाडि़यां सजती रही। दिनभर जाम के हालात बने रहे।
पंंडित शिव पाराशर ने बताया कि माघ माह की पंचमी यानी बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार महाराजा सिंधु की पुत्री रमा (लक्ष्मी जी) ने इस दिन जगत पालक भगवान श्री विष्णु के गले में वरमाला डालकर उनको पति के रूप वरण किया था। यानी इस दिन को भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी का विवाहोत्सव का दिन भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसी वजह से बसंत पंचमी का मुहूर्त अबूझ मुहूर्त माना जाता है। यही नहीं इसी दिन भगवान विष्णु के कहने पर सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी ने मानव को वाणी शक्ति दी थी।
बहादुरगढ़ : रोहतक रोड पर बारात में जाने के लिए सजती एक कार।