मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना में देरी पर हरियाणा के 3 अधिकारियों को 5 लाख का कारण बताओ नोटिस
सिरसा की किरण रानी ने मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना का लाभ लेने में एक साल से अधिक की देरी होने की एक शिकायत दी थी। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने तुरंत शिकायत का संज्ञान लिया।;
चंडीगढ़। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ( डब्ल्यूएससीबीसी ) के तीन अधिकारियों नामत: मुख्य लेखा अधिकारी अमिता गोयल, सांख्यिकीय अधिकारी बिशन और उपाधीक्षक ओम प्रकाश को 'मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना' के 1500 मामलों में अधिसूचित सेवाओं के वितरण में विलंब करने के संबंध में 5 लाख रुपये का कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह योजना अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की अधिसूचित योजना है जिसके अनुसार गैर-अनुसूचित जाति लडक़ी या लडक़े की शादी अनुसूचित जाति की लडक़ी या लडक़े के साथ होने पर जोड़े को 2,50,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि 3 साल की लॉक इन अवधि के लिए जोड़े के संयुक्त खाते में जमा की जाती है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि सिरसा की किरण रानी ने मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना का लाभ लेने में एक साल से अधिक की देरी होने की एक शिकायत दी थी। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने तुरंत शिकायत का संज्ञान लिया और मामले के संबंध में जिला कल्याण अधिकारी सिरसा से तत्काल रिपोर्ट मांगी। मामले की जांच की गई और यह पाया गया कि संबंधित आवेदन समय पर स्वीकृत कर दिया गया था लेकिन लाभार्थी को लाभ वितरित नहीं किया गया और मामला अभी भी विभाग के पास लंबित है। मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना से संबंधित 1500 से अधिक मामले विभाग में लंबित पड़े हैं।
हरियाणा के वित्त एवं योजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा हरियाणा अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के निदेशक विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति में उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की गई। विभाग की लेखा शाखा के प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि जुलाई 2022 से डब्ल्यूएससीबीसी विभाग से लंबित लाभों को वितरित करने के लिए वित्त विभाग हरियाणा को अतिरिक्त बजट की मांग भेजी गई थी। आयोग ने जांच में पाया कि कई लाभार्थी अभी भी लंबित लाभों के वितरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17 (2) के तहत आयोग को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुख्य लेखा अधिकारी श्रीमती अमिता गोयल, सांख्यिकीय अधिकारी बिशन और उप अधीक्षक ओम प्रकाश को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। हरियाणा सेवा का अधिकार तय मापदंडों के अनुसार प्रत्येक मामले में 20,000 रुपये के अुनसार यह राशि करोड़ों रुपये में पहुंच जाती है। आयोग इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी कर यह स्पष्टीकरण चाहता है कि सेवाओं की देरी के लिए इन अधिकारियों व कर्मचारियों पर 5,00,000 रुपये जुर्माना क्यों न लगाया जाए।