सूर्य ग्रहण मेला : कुरुक्षेत्र में तीन दिन कर्फ्यू लगाने के आदेश

कुरुक्षेत्र में कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए जिला प्रशासन ने तीन दिन के लिए जिले में कर्फ्यू लगाने के आदेश जारी कर दिए है। कर्फ्यू 19 जून की रात्रि 9 बजे से लेकर 21 जून की शाम 6 बजे तक रहेगा।;

Update: 2020-06-18 12:23 GMT

हरिभूमि न्यूज : कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र में होने वाले सूर्य ग्रहण मेले (Solar eclipse fair) पर कोरोना का ग्रहण लग चुका है। कोरोना(Corona) की बढ़ती रफ्तार को देख जिला प्रशासन ने 19, 20 व 21 तीन दिन के लिए जिले में कर्फ्यू लगाने के आदेश जारी कर दिए है। 19 जून की रात्रि 9 बजे से लेकर 21 जून की शाम 6 बजे तक कर्फ्यू(Curfew)  रहेगा। हालांकि दिन में 2-3 घंटे के लिए कर्फ्यू में रियायत दी जाएगी ताकि लोग जरूरी खाद्य सामान खरीद सके। जिला में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।

उपायुक्त धीरेन्द्र खडगटा ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर इस वर्ष 21 जून को कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। पुराने राीति रिवाज के अनुसार ब्रह्मसरोवर पर एक छोटा से अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा जिसमें लगभग 100 ब्राह्मण एवं साधु शामिल होंगे। अनुष्ठान में शामिल होने वाले ब्राह्मणों एवं साधुओं का पहले कोविड टेस्ट किया जाएगा और इनके बकायदा पास जारी किए जाएंगे। ये ब्राह्मण ब्रह्मसरोवर पर सोशल डिस्टेंस के तहत हवन-यज्ञ व शांति पाठ करेंगे। उपायुक्त ने कहा कि सभी लोग सूर्य ग्रहण के दिन अपने-अपने घरों में रहकर शांतिपाठ करे, क्योंकिब्रह्मसरोवर व आसपास के सरोवरों में किसी भी व्यक्ति को आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सूयग्रहण के महत्व को देखते हुए ब्रह्मसरोवर पर हजारों लोग स्नान के करने के लिए पहुंचते है। लोग सूर्यग्रहण की पूर्व संध्या पर ही आने शुरू हो जाते है। कोरोना महामारी के चलते कुरुक्षेत्र आने वाले श्रद्धालुओं के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसी को देखते हुए कुरुक्षेत्र में तीन के लिए कर्फ्यू लगाया गया है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में भी सूचित कर दिया गया है कि वे भी अपने-अपने जिलों में प्रचार करे कि सूर्यग्रहण पर कुरुक्षेत्र में 21 जून को मेला नही लगेगा।

ग्रहण की अवधि तीन घंटे की रहेगी

सूर्य ग्रहण 21 जून रविवार को आषाढ़ अमावस्या के दिन होगा। कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का समय 10 बजकर 21 मिनट 03 सेकंड से 13 बजकर 47 मिनट 26 सेकंड तक होगा। भारतीय मानक समय अनुसार सूर्य ग्रहण का आरंभ 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर बाद 15 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा। इसका सूतक 20 जून की रात 9 बजे से आरंभ हो जाएगा। ग्रहण का मध्य 12 बजकर 29 मिनट दोपहर पर होगा। इसका मोक्ष दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होगा। ग्रहण की अवधि तीन घंटे की रहेगी और यह अधिकांश भूमंडल पर दिखाई देगा। 

पुलिस प्रशासन की तरफ से की जाएगी नाकाबंदी

पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी ने कहा कि विश्व विख्यात सूर्य ग्रहण के दौरान किसी को स्नान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पूरा विश्व वैश्विक कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इसी दौरान 21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। वैश्विक कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए तीर्थराज कुरुक्षेत्र के 48 कोस की परिधि में पड़ने वाले किसी भी स्थान पर किसी को भी स्नान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए पुलिस प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है।

जिला में 52 जगहों पर नाकाबंदी की जाएगी। इसके साथ-साथ सभी तीर्थ स्थानों पर पैट्रोलिंग भी लगाई गई जायेगीं। इसके लिए सभी स्थानों पर करीब 7 सौ अधिकारी/ कर्मचारियो को ड्यूटी लगाया जायेगा। सूर्य ग्रहण अवधि के दौरान सभी सरोवरों के आसपास प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। अगर किसी ने इस दौरान निषेधाज्ञा का उल्लघंन करने का प्रयास करेगा तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई जाएगी।

सूर्य ग्रहण के बाद कुरुक्षेत्र में किए गए दान का महत्व

गौरतलब है कि सूर्य ग्रहण के बाद कुरुक्षेत्र में किए गए दान का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इस कुंड में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना पुण्य अश्वमेघ यज्ञ को करने के बाद मिलता है। यह कुंड, 1800 फीट लंबा और 1400 फीट चौड़ा है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यग्रहण के समय सभी देवता यहां कुरुक्षेत्र में मौजूद होते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि द्वापर युग में ग्रहण के दौरान भगवान श्रीकृष्ण भी कुरुक्षेत्र में आए थे। भारत के कई प्रदेशों अंग, मगद, वत्स, पांचाल, काशी, कौशल के कई राजा-महाराजा बड़ी संख्या में स्नान करने कुरुक्षेत्र आए थे। द्वारका के दुर्ग को अनिरुद्ध व कृतवर्मा को सौंपकर भगवान श्रीकृष्ण, अक्रूर, वासुदेव, उग्रसेन, गद, प्रद्युम्न, सामव आदि यदुवंशी व उनकी स्त्रियां भी कुरुक्षेत्र स्नान के लिए आई थीं। तभी बृजभूमि से गोपियां भी स्नान करने पहुंची थी। इस स्नान के दौरान ही उनकी भगवान श्रीकृष्ण से भेंट हुई थी। तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें रथ में बैठाकर खुद चलाते हुए मथुरा गए थे।

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