Sonipat : एशिया कप जीतने वाली टीम में सोनीपत की प्रीति व मंजू ने दिखाया शानदार खेल

  • जूनियर महिला हॉकी टीम ने जीता एशिया कप, विश्वकप के लिए किया क्वालीफाई
  • जूनियर महिला हॉकी टीम ने जीता एशिया कप, विश्वकप के लिए किया क्वालीफाई
  • सोनीपत की प्रीति ने संभाली जीत की ट्रॉफी, मंजू के परिजन भी खुश
  • कोच प्रीतम सिवाच ने दोनों खिलाड़ियों को दी बधाई
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Update: 2023-06-13 09:42 GMT

Sonipat : भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम ने एशिया कप जीत कर विश्वकप के लिए क्वालीफाई किया है। इस टीम में सोनीपत की दो बेटियों ने शानदार खेल दिखाते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। टीम में भगत सिंह कॉलोनी सोनीपत की रहने वाली प्रीति ने जहां कप्तान की भूमिका निभाई, वहीं ब्रह्म नगर सोनीपत की रहने वाली मंजू चौरसिया ने डिफेंडर के तौर पर जीत में भूमिका निभाई। सोनीपत की दोनों लाड़लियों की इस उपलब्धि से परिजनों में खुशी का माहौल है, वहीं दोनों की कोच एवं भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान और पूर्व कोच प्रीतम सिवाच भी गर्व महसूस कर रही हैं।

भारतीय महिला हॉकी (Indian Women Hockey) की इस जूनियर टीम ने विश्वकप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। सोनीपत के हॉकी प्रेमियों का मानना है कि टीम विश्वकप में भी जीत दर्ज करेगी।ता दें कि जापान के काकमिगहारा में 2 से 11 जून तक महिला जूनियर एशिया कप-2023 का आयोजन किया गया। जिसमें भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम की कमान सोनीपत की भगत सिंह कॉलॉनी निवासी प्रीति ने संभाली। वहीं सोनीपत के ब्रह्म नगर निवासी मंजू भी डिफेंडर के तौर पर टीम का हिस्सा रही। जिले की लाडलियों ने एशिया कप में शानदार खेल दिखाते हुए टीम को मजबूती दी। प्रीति के नेतृत्व में सभी खिलाड़ियों ने अपना बेहतर खेल दिखाया। बता दें कि एशिया कप से ही शीर्ष तीन टीमों को जूनियर विश्वकप के लिए सीधी टिकट मिलनी थी, ऐसे में एशिया कप जीतकर भारतीय टीम ने सीधे तौर पर विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर लिया है।

उधार की हॉकी से खेलती थी प्रीति

भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम की कप्तान प्रीति की राह हॉकी को लेकर आसान नहीं थी। आर्थिक परेशानियों के चलते प्रीति का खेल संघर्ष के साथ निखरता गया। अच्छी डाइट के लिए पैसे ना होना, उधार की हॉकी लेकर मैदान में अभ्यास करना, इन तकलीफों ने प्रीति को भविष्य के लिए तैयार किया। बता दें कि प्रीति के पिता राजमिस्त्री हैं और मां ने भी मजदूरी करते हुए परिवार का पालन किया। 10 साल की उम्र में प्रीति ने पड़ोस की रहने वाली लड़कियों को ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया स्थित हॉकी मैदान में खेलने जाते देखा तो उसे भी हॉकी में दिलचस्पी हुई। परिवार को बिना बताए हॉकी खेलना शुरू किया। माता-पिता को झूठ बोलकर बाहर खेलने जाती रही। आर्थिक तंगी के चलते प्रीति को पढ़ाना मुश्किल हो रहा था, इसके बावजूद प्रीति ने अभ्यास जारी रखा और फिर जब परिवार को पता चला तो बेटी के समर्पण को देखकर परिवार ने भी साथ दिया।

मंजू के पिता चलाते हैं पान का खोखा

ब्रह्म कॉलोनी निवासी मंजू चौरसिया के पिता वकील भगत पान का खोखा चलाते हुए अपनी बेटी के सपने को साकार करने में लगे हुए हैं। मूलरूप से बिहार के रहने वाले वकील 1984 में सोनीपत आए थे। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसके बावजूद मंजू ने 2006 में जब हॉकी खेलना शुरू किया तो परिवार ने पूरा साथ दिया। इसके बाद बीमार हुई या समय पर खाना ना मिला हो, लेकिन मंजू ने अभ्यास नहीं छोड़ा, जिसका नतीजा उसे एशिया कप की टीम में जगह के साथ मिला। पिता वकील भगत बताते हैं कि कोच प्रीतम सिवाच ने मंजू को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए बहुत योगदान दिया है। प्रीतम ने हर परिस्थिति में मंजू का साथ दिया। मंजू की सफलता के पीछे कोच प्रीतम सिवाच के आशीर्वाद, उसके सिखाए गुर और योगदान का ही हाथ है।

देश व जिले के लिए गर्व की बात :  प्रीतम सिवाच

भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान व प्रशिक्षक प्रीतम सिवाच ने कहा कि भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम ने एशिया कप जीत विश्वकप के लिए क्वालीफाई किया है। टीम का नेतृत्व संभाल रही प्रीति के साथ ही खिलाड़ी मंजू भी सोनीपत की निवासी हैं। यह जिले के लिए गर्व की बात है। दोनों खिलाड़ी सोनीपत के औद्योगिक क्षेत्र स्थित हॉकी मैदान पर लंबे समय से अभ्यास कर रही हैं। दोनों खिलाड़ियों के साथ पूरी टीम को इस शानदार जीत के लिए बधाई।

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