Sonipat शुगर मिल : फर्जी हस्ताक्षर कर टेंडर लगाने का मामला, अधिकारियों ने सिरे से नकारे आरोप

अधिकारियों का कहना है कि इस रिपोर्ट को मुख्यालय भेजा गया है, ताकि शुगर मिल प्रबंधन के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाते हुए समाज में छवि खराब करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।;

Update: 2023-08-03 06:24 GMT

Sonipat News : शुगर मिल के सस्पेंड चीफ इंजीनियर द्वारा शुगर मिल प्रबंधन पर फर्जी हस्ताक्षरों के आरोप के मामले में मिल के अधिकारियों ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इस संदर्भ में मिल के 7 अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी, जिनमें ज्यादातर ने फर्जी हस्ताक्षरों की बात को नकार दिया है। सातों अधिकारियों ने मिल प्रबंधन को अपने जवाब दे दिए हैं, जिनमें से अधिकतर ने स्पष्ट किया है कि ये हस्ताक्षर फर्जी नहीं है, बल्कि तत्कालीन चीफ इंजीनियर द्वारा ही किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस रिपोर्ट को मुख्यालय भेजा गया है, ताकि शुगर मिल प्रबंधन के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाते हुए समाज में छवि खराब करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

बता दें कि शुगर मिल में चीफ इंजीनियर देवेंद्र पहल को 17 जून को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद कुछ समय पहले ही देवेंद्र पहल ने आरोप लगाया कि 17 जून को उनके सस्पेंड होने बाद 20 जुलाई को मिल प्रबंधन की तरफ से 12 बजे हरियाणा ई-टेंडर साइट पर मिल कारखाने की रिपेयरिंग व उसे चलाने का पांच करोड़ का टेंडर अपलोड किया गया था। जिसमें देवेंद्र पहल के पेज नंबर 42 से 45 तक हस्ताक्षर हैं। देवेंद्र का आरोप था कि ये हस्ताक्षर फर्जी हैं, जिसकी शिकायत उसने हरियाणा सहकारिता चीनी मिल निदेशक को भेजी थी। इसी मामले में मिल प्रबंधन ने टेंडर से संबंधित सात अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी। इन अधिकारियों में मुख्य रसायनज्ञ, कार्यकारी मुख्य अभियंता, कार्यकारी गन्ना प्रबंधक, कार्यकारी उप-मुख्य लेखा अधिकारी, कार्यकारी चीनी विक्रय प्रबंधक, कार्यकारी कार्यालय अधीक्षक, कार्यकारी सहायक क्रय अधिकारी शामिल हैं। उपरोक्त सातों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट दे दी है, जिसमें से अधिकतर ने फर्जी हस्ताक्षर की बात को नकार दिया है।

सस्पेंशन से पहले के हैं हस्ताक्षर, कैसे हो गए फर्जी

अधिकारियों ने जो जवाब मिल प्रबंधन को भेजा है, उसमें बताया गया है कि 26 जून को प्रशासक मंडल की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में टेंडर अपलोड किए गए थे, उस पर मिल प्रबंधन द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों के साथ तत्कालीन मुख्य अभियंता देवेंद्र पहल के भी हस्ताक्षर थे। प्रशासक मंडल की बैठक 26 जून को नहीं हो पाई थी, जिसे 28 जून को दोबारा से बुलाया गया। उस बैठक में पुरानी बैठक वाले टैंडर के 42 से 45 नंबर पेज को बिना किसी बदलाव के टेंडर में शामिल किया गया था। पुराने टेंडर के पेज नंबर 42 से 45 को ही सत्यापित करके क्रय अधिकारी को सौंपा गया था, जिसके बाद टेंडर अपलोड किया गया। वहीं कार्यकारी कार्यालय अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि टेंडर अपलोड की प्रक्रिया मुख्य अभियंता के निलंबन से पूर्व की गई थी। इसीलिए कमेटी के सदस्य होने के नाते उसके द्वारा उक्त दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हुए थे। 26 को जो बैठक होनी थी, उसमें वो ही टेंडर अपलोड किया गया। बैठक स्थगित होने के बाद जब 28 को बैठक हुई तो फिर वो ही टेंडर अपलोड किया गया। इसमें पेज नंबर 42 से 45 तक कागजात पुराने थे, जिसके चलते इनकी फोटोकॉपी पर अधिकारियों ने हस्ताक्षर कर टेंडर को सत्यापित करते हुए अपलोड कर दिया।

क्रय अधिकारी की होती है जिम्मेदारी

जिन सात अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी, उन में से अधिकतर ने कहा कि टेंडर में कोई भी हस्ताक्षर फर्जी नहीं है। वैसे भी टेंडर को अपलोड करने का कार्य क्रय अधिकारी का होता और डिजिटल सिग्नेचर भी केवल क्रय अधिकारी के ही होते हैं और उन्हीं के हस्ताक्षर से ही टेंडर को अपलोड कराया जाता है, इसीलिए टेंडर में कोई हस्ताक्षर फर्जी नहीं है।

पूर्व चीफ इंजीनियर द्वारा जो आरोप लगाए गए थे, उनकी सत्यता जांचने के लिए अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी। रिपोर्ट में सभी ने अपने जवाब दे दिए हैं। पूर्व अधिकारी द्वारा जो आरोप लगाए गए थे, वे गलत हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए भी पत्र लिखा गया है।- अनुपमा मलिक, प्रबंध निदेशक, दी सोनीपत सहकारी चीनी मिल्ज लि.

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