कारगिल विजय दिवस पर विशेष : मनोहर लाल की शहादत के बाद कमजोर नहीं हुए गांव के युवा
कारगिल युद्ध के बाद ढाणी डूल्ट के 10 युवा सेना में भर्ती हो चुके हैं, वहीं दर्जनों की संख्या में युवा सेना में भर्ती होने के लिए रेवाड़ी व हिसार में कोचिंग एवं प्रशिक्षण ले रहे हैं। ढाणी डूल्ट के युवाओं में देशभक्ति का जुनून सिर चढ़कर बोल रहा है।;
दलबीर सिंह : भूना
गांव ढाणी डूल्ट के मनोहर लाल की कारगिल की लड़ाई में शहादत के बाद गांव के युवाओं में सेना में भर्ती को लेकर जबरदस्त जज्बा पैदा हुआ है। गांव के युवा मनोहर लाल की शहादत के बाद कमजोर नहीं हुए, बल्कि सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करने व दुश्मनों के दांत खट्टे करने के इरादे से ही आगे बढ़ रहे हैं।
कारगिल युद्ध के बाद ढाणी डूल्ट के 10 युवा सेना में भर्ती हो चुके हैं, वहीं दर्जनों की संख्या में युवा सेना में भर्ती होने के लिए रेवाड़ी व हिसार में कोचिंग एवं प्रशिक्षण ले रहे हैं। ढाणी डूल्ट के युवाओं में देशभक्ति का जुनून सिर चढ़कर बोल रहा है। कारगिल युद्ध के दौरान ढाणी डूल्ट के मनोहर लाल 13 जून 1999 की शाम को आठ बजे ऑपरेशन विजय के दौरान दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। मनोहर लाल ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा के संकल्प को पूरा करके दिखाया था। इस जांबाज की हिम्मत और देश रक्षा के अटल विश्वास ने ऑपरेशन विजय के दौरान दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। शहीद मनोहर लाल के पिता रामेश्वर दास मावलिया व माता हरकोरी देवी ने बताया कि मनोहर लाल ने देश पर अपना जीवन न्यौछावर कर दिया था, लेकिन सरकार ने 22 साल बीत जाने के बावजूद शहीद की यादगार में जिला हेडक्वार्टर पर कोई भी स्मारक या पार्क इत्यादि नहीं बनाया, जिसका उन्हें आज तक दु:ख है। शहीद के परिवार ने बताया कि स्मारक बनाए जाने को लेकर पिछले कई वषोंर् से प्रक्रिया चल रही है, मगर यह मात्र कागजों तक सीमित रह गई है।
शहीद मनोहर लाल का पारिवारिक परिचय
गांव ढाणी डूल्ट के रामेश्वर दास मावलिया व हरकोरी देवी ने दो बच्चों को जन्म दिया, जिनमें मनोहर लाल व राजेश कुमार शामिल थे। मनोहर लाल दसवीं पास करने के बाद 19 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हुए थे। जब वह 24 वर्ष के हुए तो पिता रामेश्वर दास उसकी शादी के लिए रिश्ता देख रहे थे, परंतु मनोहर लाल ने शादी से पहले ही देश पर अपनी जान न्यौछावर कर दी। मनोहर लाल के शहीद होने के बाद उसके भाई राजेश कुमार को सरकारी नौकरी मिली और उसका विवाह कर दिया। शहीद मनोहर लाल के परिवार में पिता रामेश्वर दास, माता हरकोरी देवी, भाई राजेश कुमार, भाई की पत्नी संतरो देवी व भतीजी मनीषा, महक, वीना, हीना तथा भतीजा जयंत शामिल है।
शहादत के पांच दिन बाद लेफ्टिनेंट ज्वाइनिंग लेटर पहुंचा था घर
मनोहर लाल का जन्म 1 जनवरी 1976 को माता हर कोरी देवी की कोख से हुआ था। गांव में दसवीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण करके मनोहर लाल अपने दादा छज्जू राम मावलिया के पद चिन्हों पर चलकर सेना में भर्ती हो गए। सेना में भर्ती होने के बाद ग्रिनेडियर मनोहर लाल ने एनडीए की परीक्षा भी पास कर ली थी। इसी बीच कारगिल युद्ध छिड़ गया और कारगिल के द्रास सेक्टर में पाकिस्तान घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए 13 जून 1999 को फतेहाबाद का यह वीर जवान शहीद हो गया। मनोहर लाल की शहादत के मात्र 5 दिन बाद मनोहर लाल का बतौर लेफ्टिनेंट ज्वाइनिंग लेटर उनके घर पहुंचा था।
शहीद मनोहर लाल का स्मारक बनाने को लेकर मिल रहे आश्वासन
शहीद मनोहर लाल के पिता रामेश्वर दास मावलिया ने बताया कि ढाणी डूल्ट मे सरकारी स्कूल का नाम शहीद मनोहर लाल राजकीय उच्च विद्यालय रखा और शहीद के नाम पुस्तकालय भी बनाया लेकिन पुस्तकालय में कोई भी ज्ञानवर्धक एवं शहीदों से जुड़ी हुई किताबें तथा अखबार तक की व्यवस्था नहीं है, जिससे उन्हें पीड़ा हो रही है। केंद्र व प्रदेश सरकार से शहीद मनोहर लाल के नाम पर जिला हेड क्वार्टर पर स्मारक बनाने के लिए कई बार गुहार लगा चुके हैं, परंतु झूठे आश्वासनों के सिवाय अभी तक कुछ नहीं हुआ है। शहीद मनोहर लाल के नाम पर फतेहाबाद जिला मुख्यालय पर जल्द से जल्द स्मारक का निर्माण होना चाहिए। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कारगिल के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को पूरा मान सम्मान दिया। सरकार ने शहीद परिवार को गैस एजेंसी देने के साथ शहीद मनोहर लाल के छोटे भाई को सरकारी नौकरी भी दी। उनके छोटे भाई राजेश मावलिया का कहना है कि फतेहाबाद में स्मारक बनाने के साथ-साथ कॉलेज व पार्क का भी नामकरण शहीद मनोहर लाल के नाम होना चाहिए, जिसको लेकर हम पिछले कई वषार्ें से आधिकारियों को लिखित एवं मौखिक रूप से अवगत करवा चुके हैं, परंतु हमें आश्वासन देकर टरकाया जा रहा है।
ढाणी डूल्ट मे शहीद को विजय दिवस पर करते हैं सैल्यूट
गांव ढाणी डूल्ट के निवर्तमान सरपंच जयप्रकाश मावलिया, प्रोफेसर प्रहलाद सिंह आदि का कहना है कि उस दौरान मनोहर लाल की ड्यूटी कश्मीर में थी। जंग की शुरुआत के साथ ही मनोहर लाल की तैनाती कश्मीर के तोलो में की गई। वहां पर उन्होंने लगातार सात दिनों तक दुश्मनों से लोहा लिया और दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर किया। लगातार सात दिनों तक युद्ध के दौरान उन्होंने कई दुश्मनों को मार गिराया। पाकिस्तान के बंकर तबाह कर दिए थे। गांव के ऐसे सपूत को ढाणी डूल्ट नहीं अपितु इलाका के लोग कभी नहीं भुला पाएंगे। ऑपरेशन विजय दिवस पर सार्वजनिक कार्यक्रम के माध्यम से शहीद मनोहर लाल को श्रद्धांजलि देकर उनकी प्रतिमा के सामने नमन करते हैं। उन्होंने बताया कि मनोहर लाल के शहीदी एवं जन्मदिवस पर हर साल कार्यक्रम आयोजित करके श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और उन्हें युगो-युगो तक याद रखा जाएगा।