अब हाई रिस्क प्रेग्नेंसी पर रिसर्च करेगा पीजीआई और ऑस्ट्रेलिया का इंस्टीट्यूट
इस नए प्रोजैक्ट को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी कम्युनिटी मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉ. वरुण अरोड़ा को सौंपी गई है। निदेशक डॉ. एसएस लोहचब ने संस्थान में गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं को दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया।;
हरिभूमि न्यूज :रोहतक
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (High Risk Pregnancy) को लेकर अब आस्ट्रेलिया का ज्योर्ज इंस्टीट्यूट और रोहतक पीजीआई के साथ मिलकर रिसर्च करेगा करेगा। डिलीवरी जोखिम भरी होती जा रही है, क्योंकि पीजीआई में पिछले एक साल में 10 हजार डिलीवरी हुई, इनमें से 78 प्रतिशत हाई रिस्क प्रेगनेंसी थी। अब डिलिवरी या उसके बाद महिलाओं को होने वाले खतरे से बचाने के लिए यह रिसर्च किया जाएगा। इससे पहले भी इस इंस्िट्यूट के साथ दो प्रोजैक्ट किए जा चुके हैं।
मंगलवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अस्पताल, लंदन और जॉर्ज इंस्टीट्यूट से डॉ. जेन हर्स्टो और डॉ. निकोल वोट्रूबा के प्रतिनिधिमंडल संस्थान में घूमा और कार्यप्रणाली जानी। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना व अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना ने कहा कि जॉर्ज इंस्टीट्यूट द्वारा हाई रिस्क प्रेगनेंसी पर कार्य किया जा रहे रिसर्च से प्रदेश की महिलाओं को लाभ मिलेगा।
इस नए प्रोजैक्ट को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी कम्युनिटी मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉ. वरुण अरोड़ा को सौंपी गई है। निदेशक डॉ. एसएस लोहचब ने संस्थान में गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं को दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया। डॉ. लोहचब ने कहा कि इस रिसर्च प्रोजैक्ट के लिए संस्थान पूरा सहयोग देगा। डॉ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि बहुत जल्द यूएचएस जार्ज इंस्टीट्यूट के साथ एक एमओयू साइन करेगी और इससे नए आयाम स्थापित होंगे और इसका सीधा लाभ मरीजों को मिल पाएगा। डॉ. आरबी जैन ने बताया कि आशा वर्कर मरीज की बीमारी की जल्दी जानकारी दे सकती हैं, जिससे मरीज को जल्दी इलाज मिल सकता है।
10 हजार 346 डिलिवरी
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग से डॉ. सविता सिंगल ने बताया कि पिछले साल संस्थान में 10 हजार 346 डिलीवरी हुई थीं, जिसमें से करीब 78 प्रतिशत हाई रिस्क प्रेग्नेंसी थीं जो ना केवल रोहतक बल्कि आसपास के जिलों से भी पीजीआईएमएस में रेफर की जाती है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का मुख्य कारण एनिमिया व उच्च रक्तचाप रहा।
टीकाकरण का प्रतिशत गिरा
डॉ. जगजीत दलाल ने संस्थान में नवजात शिशुओं को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया। सिविल सर्जन कार्यालय से डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. प्रितेेव ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान में गर्भवती महिलाओं में अनिमिया एवं बच्चों में टीकाकरण का प्रतिशत भी गिरा है। मनोरोग विभाग से डॉ. योगेंद्र मलिक ने गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले मानसिक प्रभाव के बारे में बताया। इस अवसर पर डॉ. मिनाक्षी, डॉ. एलडो राजन भी उपस्थित रहे।
वहीं डॉ. वरुण अरोड़ा ने बताया कि डॉ. जेन हर्स्टो और डॉ. निकोल वोट्रूबा भारत के हेल्थ केयर रिसर्च अध्यक्ष डॉ. डी. प्रवीण के साथ एक दिवसीय दौरे पर पीजीआईएमएस में आए हैं। नई रिसर्च की शुरुआत होगी और इससे हरियाणा की महिलाओं के जीवन मेंं होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकेगा।
डिलीवरी के एक साल बाद तक फॉलोअप
डॉक्टरों की कमी होते हुए भी संस्थान में गर्भवती महिलाओं को अच्छी सुविधाएं प्रदान दी रही हैं। स्मार्ट हेल्थ प्रेगनेंसी के अंर्तगत तेलंगाना और हरियाणा में अगले दो साल में आशा वर्कर्स और एएनएम द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का मोबाइल टेबलेट से अवलोकन किया जाएगा। इससे समय रहते हाई रिस्क पे्रगनेंसी की पहचान करके उन्हें हायर सेंटर पर भेजा जाएगा और एक साल तक डिलीवरी के बाद भी फोलोअप किया जाएगा। -डॉ. जेन हर्स्टो, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी