Free tablet yojana : बच्चों का पढ़ाई से मोह हो रहा है भंग, टैबलेट में पढ़ाई की बजाय सर्च कर रहे असभ्य साइट

विभाग की ओर से इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए तमाम सुरक्षा सॉफ्टवेयर डाले जा रहें हैं, लेकिन विद्यार्थी उन सब तमाम सुरक्षा सॉफ्टवेयर को 200 से 300 रुपये में टेबलेट्स में चाइनीज सॉफ्टवेयर डलवा कर दुरुपयोग कर रहे हैं, जिसको लेकर अभिभावकों को उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है।;

Update: 2023-08-08 07:23 GMT

Mahendragarh-Narnaul News : कोरोना महामारी के समय विद्यार्थी के लिए पढ़ाई में सहारा बने टेबलेट (Tablet) अब उनके भविष्य के लिए संकट बन सकते हैं। विद्यार्थी (Students) विभाग दिए गए टेबलेट में नए सॉफ्टवेयर (Softwares) डलवा कर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। अधिकांश विद्यार्थी टेबलेट में पढ़ाई करने की बजाय असभ्य साइट सर्च कर रहे हैं।

बता दें कि कोरोना महामारी के समय सरकार की ओर से सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया था, जिसके सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही थी। ऐसे में प्रदेश सरकार की ओर से विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए टेबलेट वितरित किए गए थे, ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो, लेकिन अब विद्यार्थियों को वितरित किए टेबलेट्स अब अभिभावकों के लिए मुसीबत और विभाग के लिए चिंताजनक हो गए हैं।

विभाग की ओर से इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए तमाम सुरक्षा सॉफ्टवेयर डाले जा रहें हैं, लेकिन विद्यार्थी उन सब तमाम सुरक्षा सॉफ्टवेयर को 200 से 300 रुपये में टेबलेट्स में चाइनीज सॉफ्टवेयर डलवा कर दुरुपयोग कर रहे हैं, जिसको लेकर अभिभावकों को उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है। हालांकि इसको लेकर विभाग की ओर सभी टेबलेट में एमडीएम ओएस-13 प्रोटेक्शन सॉफ्टवेयर डाले जा रहे हैं, लेकिन विद्यार्थियों ने उसका भी तोड़ निकाल लिया है। जानकारी में आया है कि विद्यार्थी किसी भी मोबाइल की दुकान पर जाकर टेबलेट्स में चाइनीज सॉफ्टवेयर अपडेट करवा एमडीएम को निष्क्रिय करवा रहे हैं, जिससे वे धड़ल्ले से टेबलेट में पढ़ाई के अतिरिक्त फालतू साइटों का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं शिक्षा विभाग ने ऐसे करने वाले विद्यार्थियों से टेबलेट वापस लेने व लगातार मोनिटरिंग के आदेश दिए हुए हैं, लेकिन इन सबके बावजूद अभिभावकों ने टेबलेट वापस लेने की बात कही है।

टेबलेट में आते हैं दो एप

विभाग की ओर से विद्यार्थियों को जब टेबलेट वितरित किया जाता है, उस समय टेबलेट में केवल दो एप होते हैं। पहला वन स्कूल एप और दूसरा अवसर एप। जिससे विद्यार्थियों को पढ़ाई करनी होती है, लेकिन विद्यार्थी साइबर कैफे पर जाकर दुकानदार से नया चाईनीज सॉफ्टवेयर डलवा लेते हैं, जिसके बाद टेबलेट में सभी एप काम करने लग जाते हैं।

शिक्षक और अभिभावक बच्चों पर रखे निगरानी

ई-अधिगम के नोडल अधिकारी डॉ. माडूराम यादव ने कहा कि इस प्रकार के मामले संज्ञान में आए हैं। शिक्षकों को कहा गया है कि सबसे पहले उन विद्यार्थियों को चिह्नित किया जाए, जो सोशल मीडिया चला रहे हैं। इसके बाद उनके टेबलेट स्कूलों में रख लिए जाएं। वहीं, इन विद्यार्थियों के अभिभावकों को बुलाकर उन्हें समझाएं कि वो अपनी निगरानी में बच्चों को टेबलेट प्रयोग करवाएं।

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