चीनी मिल पेराई सत्र : पेराई क्षमता बढ़ने के बाद भी चीनी उत्पादन में पिछड़ा चीनी मिल सोनीपत
प्रदेश के अन्य चीनी मिलों से बेहतर चीनी रिकवरी देने वाले मिल में पेराई के आखिरी दिनों में चीनी उत्पादन के आकड़े नीचे गिरते चले गए। मिल के कैन विभाग की लापरवाही के चलते मिल को करोड़ो रुपये के नुकसान व चीनी उत्पादन में अन्य चीनी मिलों से पिछड़ना पड़ा।;
हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
दी सहकारिता चीनी मिल सोनीपत के पेराई सत्र के आखिरी दिनों में चीनी का उत्पादन न के बराबर हुआ। कारखाने में चीनी की बजाय महज सीरा ही बन पाया। जिसके चलते चीनी मिल में चीनी उत्पादन गत पेराई सत्र से कम रहा हैं।प्रदेश के अन्य चीनी मिलों से बेहतर चीनी रिकवरी देने वाले मिल में पेराई के आखिरी दिनों में चीनी उत्पादन के आकड़े नीचे गिरते चले गए। मिल के कैन विभाग की लापरवाही के चलते मिल को करोड़ो रुपये के नुकसान व चीनी उत्पादन में अन्य चीनी मिलों से पिछड़ना पड़ा।
बता दें कि शहर के कामी सड़क मार्ग स्थित दी सहकारिता चीनी मिल का वर्ष 2021-22 को पेराई सत्र हर वर्ष से करीब एक सप्ताह पहले शुरू किया गया था। मिल की पेराई क्षमता कागजों में 22 हजार क्विंटल गन्ने की बताई जाती हैं, लेकिन धरातल पर पेराई क्षमता के हिसाब से कारखाना नहीं चल पाया। शुरूआती दिनों में बॉयलर व तकनीकि खराबियों के चलते पेराई सत्र को पटरी पर लाने के लिए कर्मचारियों व अधिकारियों के पसीने छुट गए। आमतौर पर पेराई सत्र अप्रैल या मई माह के पहले सप्ताह तक ही चलता है। परन्तु इस बार पेराई सत्र जून माह तक खींच गया। जिसका कारण केन विभाग की तरफ से बरती गई लापरवाही होना बताया जा रहा हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केन विभाग की तरफ से नियमों को ताक पर रखकर काम किया गया। जिसके चलते पेराई सत्र बेहद लंबा चला। पेराई सत्र के आखिरी 20 दिनों में मिल को करोड़ों रुपये के नुकसान का सामना करने पर मजबूर होना पड़ा। चीनी मिल के पेराई सत्र वर्ष 2020-21 में चीनी उत्पादन तीन लाख 300 क्विंटल हुआ तो इस बार पेराई सत्र में महज दो लाख 76 हजार ही चीनी का उत्पादन कारखाने में हो पाया।
पेराई सत्र के दौरान बार-बार किसानों को झेलने पड़े ब्रेक डाउन
मिल में समाप्त हुए पेराई सत्र के दौरान किसानों को इस बार काफी ब्रेक डाउन की घटनाएं झेलनी पड़ी थी। पेराई सत्र की शुरूआत में ही बॉयलर में तकनीकी खराबी आने की वजह से कई दिनों तक पेराई बंद रही थी। वहीं इसके बाद भी बार-बार ब्रेक डाउन किसानों को झेलने पड़े। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पेराई सत्र में करीब 500 घंटे का ब्रेक डाउन किसानों को झेलना पड़ा। पेराई सत्र के दौरान करीब 30 लाख 80 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई की गई थी। जोकि अपेक्षाकृत काफी कम है। गत पेराई सत्र में यह आंकड़ा करीब 32 लाख क्विंटल था, जबकि पेराई सत्र भी अपेक्षाकृत छोटा हैं। जबकि मिल प्रबंधन ने गन्ना उत्पादकों के साथ 36 हजार क्विंटल गन्ने की बॉडिग की थी।
स्थाई एमडी न होने से झेलनी पड़ी रही मिल प्रबंधन को परेशानी
दी सहकारिता चीनी मिल के वर्ष 2021-22 पेराई सत्र के आखिरी पड़ाव के दौरान एमडी जितेंद्र जोशी का तबादला कर दिया गया। जिसके बाद कई दिनों तक मिल एमडी के पद को नहीं भरा गया। उसके बाद आरटीओ मानव मलिक को एमडी का पदभार सौंपा गया, लेकिन दो अलग-अलग चार्ज होने के चलते मिल में समय नहीं दे पाएं। उसके बाद गोहाना एसडीएम को मिल का एमडी का अतिरिक्त भार सौंपा गया हैं। उनके पास एमडी आहुलाना चीनी मिल व एसडीएम गोहाना को भार होने के चलते चीनी मिल सोनीपत में समय नहीं दे पा रहे हैं। हाल के दिनों में पानीपत के एमडी को सोनीपत चीनी मिला का अतिरिक्त भार सौंपा गया हैं। एमडी महीने में केवल पांच दिन ही चीनी मिल सोनीपत का कार्यभार देख पा रहे हैं।
कारखाने को चलाने के लिए कर्मचारियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। आखिरी दिनों में गर्मी ज्यादा होने व पेराई सत्र लंबा खींचने के कारण चीनी के उत्पादन पर असर पड़ा था। इस पेराई सत्र में महज दो लाख 76 हजार क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ हैं। जोकि गत वर्ष से कम हैं। नवदीप सिंह, एमडी चीनी मिल सोनीपत।