Sugarcane Farming : नई विधि से गन्ने की खेती कर दो भाइयों ने दोगुनी की आय और बन गए मालामाल, जानिये सफलता की कहानी

इन किसान भाइयों ने बताया कि गेहूं व धान की फसल में लागत से ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। उपरोक्त खेती में कीटनाशक दवाइयां व यूरिया खाद की खपत अपेक्षाकृत अधिक होती थी। जो उपजाऊ जमीन को बंजर बनाने की दिशा में जा रही थी, इसलिए रासायनिक खाद एवं दवाइयों के उपयोग से अनाज में भी जहरीले अंश पहुंचते थे।;

Update: 2022-01-30 16:26 GMT

दलबीर सिंह : भूना ( फतेहाबाद ) 

गांव भूथनकलां के किसान रेहड़ा राम के दो बेटे अपने खेत में नई विधि से खेती कर आय बढ़ाकर मालामाल हो गए हैं। वर्ष 2014 में जहां ट्रायल के तौर पर एक एकड़ में ईंख की बिजाई की थी। अब वर्तमान में 18 एकड़ भूमि में ईंख की पैदावार खेतों में लहरा रही है। अब दो सगे भाइयों का परंपरागत खेती से मोहभंग हो गया है और ईंख की खेती कर खुद की आय बढ़ाने के साथ दूसरों के लिए मिसाल साबित हो रहे हैं।

गेहूं व धान की फसल में लागत से ज्यादा मुनाफा नहीं 

किसान राजेंद्र सिंह गढ़वाल ने बताया कि गेहूं व धान की फसल में लागत से ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। उपरोक्त खेती में कीटनाशक दवाइयां व यूरिया खाद की खपत अपेक्षाकृत अधिक होती थी। जो उपजाऊ जमीन को बंजर बनाने की दिशा में जा रही थी, इसलिए रासायनिक खाद एवं दवाइयों के उपयोग से अनाज में भी जहरीले अंश पहुंचते थे। उन्होंने परंपरागत फसल को छोड़ने की हिम्मत करके खेती की विधि को बदलने के लिए वर्ष 2014-15 में एक एकड़ में ईंख की बिजाई ट्रायल के तौर पर की थी। पहले वर्ष में ही कम खर्च और ज्यादा आमदनी हुई। इसके चलते वर्ष 2015-16 में दो एकड़ ईंख बोया था, जिससे प्रभावित होकर किसान के बड़े भाई देवेंद्र सिंह गढ़वाल ने भी खेती की विधि को बदल लिया।

कुल 18 एकड़ में ईंख की फसल

वर्ष 2021-22 में देवेंद्र गढ़वाल के पास 11 एकड़ तथा राजेंद्र गढ़वाल के पास 7 एकड़ में ईंख की फसल को वैज्ञानिक तरीके से बोया हुआ है। कुल 18 एकड़ में ईंख की फसल पककर तैयार हो चुकी है। दोनों सगे भाई किसानों ने बताया कि वर्ष 2022-23 में ईख की बिजाई 25 एकड़ भूमि में की जाएगी। क्योंकि ईंख की फसल से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है वहीं खरपतवार नाम की कोई चीज नहीं रहती। ईंख की खेती वैज्ञानिक तरीके से करने को लेकर वे प्रशिक्षण भी ले रहे हैं। दोनों भाई किसान मेलों में अपने गन्ने आदि फसलों का भी प्रदर्शन कर दूसरे किसानों को जानकारी देने में भी पीछे नहीं रहते।

ईंख की फसल से किया रिकार्ड गन्ना उत्पादन

किसान देवेंद्र सिंह गढ़वाल व राजेंद्र सिंह गढ़वाल ने ईंख की खेती से रिकार्ड गन्ना उत्पादन प्राप्त कर चुके हैं। इस फसल से वह लाखों रुपये की आमदनी ले रहे हैं। दोनों किसान भाइयों ने बताया कि वह प्रति एकड़ रिकार्ड 550 क्विंटल के हिसाब से पैदावार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके खेत में गन्ने की लंबाई 11 फुट से अधिक है। ईंख की फसल में यूरिया खाद तथा पेस्टिसाइड दवाइयों का न्यूनतम स्तर पर इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं, जबकि यूरिया खाद पूरे वर्ष में प्रति एकड़ मात्र आधा कट्टा ही डाला जाता है। पेस्टिसाइड दवाइयां गोभ में कीड़े लगने के दौरान ही उपयोग करते हैं। मौके पर बारिश हो जाए तो कीटनाशक छिड़काव की कोई जरूरत नहीं होती, इसलिए कम खर्च में प्रति एकड़ दो लाख से भी अधिक का मुनाफा हो रहा है।

जो ठेकदार गन्ने की छिलाई से लेकर कटाई तक का पूरा खर्चा वहन करता है। अगर किसान गन्ने की स्वयं छिलाई करके प्राइवेट जूस विक्रेताओं को गन्ना सप्लाई करता है तो उसे 4 से 5 लाख रुपये तक की प्रति एकड़ आमदनी हो सकती है। उन्होंने दो वर्ष ऐसा करके देखा था, मगर इसमें इधर-उधर भटकना ज्यादा पड़ता है। उनका गन्ना आजादपुर मंडी दिल्ली, जयपुर, सीकर, अलवर, लुधियाना, बठिंडा, कुचामन गुड़गांव में सप्लाई के अतिरिक्त स्थानीय हिसार व सिरसा के जूस विक्रेता के पास सप्लाई करने वाले थोक खरीददार लेकर जाते हैं। इसका रिटेल भाव पर एक हजार रुपए से लेकर 12 सौ रुपये तक का मिल रहा हैं।

ईंख की फसल किसानों के लिए फायदेमंद : उप निदेशक

परंपरागत खेती को छोड़कर ईख की पैदावार किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, जिसमें कम खर्च में ज्यादा आमदनी किसान देवेंद्र सिंह गढ़वाल व राजेंद्र सिंह गढ़वाल ने मेहनत करके हासिल की है। यदि इसी तरह का तरीका दूसरे किसान अपनाए तो वह भी ईख की खेती से अधिक से अधिक कमाई कर सकते हैं। इस तरह की खेती करने के लिए विभाग की ओर से भी किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। -सुभाष चंद्र, उप निदेशक बागवानी भूना

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