हिसार जिला प्रशासन की अपील, बातचीत के लिए आगे आएं किसान संगठन
सीएम आगमन पर गत 16 मई को पुलिस तथा आंदोलनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़प तथा आंदोलनकारियों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद आंदोलनकारी तथा प्रशासन आमने सामने हैं। इससे पहले मंडल आयुक्त के वार्ता निमंत्रण पर आंदोलनकारियों के कोई जवाब नहीं देने पर आंदोलन लंबा खिंचने के आसार हैं। आंदोलनकारी सोमवार को आयुक्त आवास पर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन को लेकर आरपीएफ बुला ली गई है।;
हिसार जि़ला प्रशासन ने किसानों से अपील करते हुए कहा गया है कि यह समय मिलजुल कर कोरोना महामारी से लड़ाई का समय है, इसलिए महामारी के जड़ से खात्मे के लिए किसान संगठन बातचीत के लिए आगे आएं। बड़े से बड़े मुद्दों का हल बातचीत से ही संभव है। प्रशासन की ओर से पहले भी किसानों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की गई है और अभी भी प्रशासन के दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं।
किसान संगठनों की ओर से जिला प्रशासन को पत्र लिखकर बातचीत करने की मांग की गई थी। इस मांग पर ही जिला प्रशासन की ओर से किसान संगठनों को बातचीत करने के लिए बुलाया गया है। इसलिए किसानों से अपील है कि वे जल्द से जल्द वार्ता के लिए आगे आएं। अभी कोरोना के खिलाफ मिलकर लड़ने का समय है ताकि इस महामारी पर जल्द विजय प्राप्त की जा सके। यदि बातचीत को दरकिनार कर बड़ी संख्या में भीड़ एकत्र की गई तो बड़ी जद्दोजहद के बाद काबू में आई महामारी का स्वरूप फिर से विकराल हो सकता है। 21 मई को हुई वार्ता में किसानों द्वारा हिसार मण्डलायुक्त को रिप्रेजेंटेशन देते हुए अपनी मांगें रखी गई थी। इन मांगों का समाधान करने की दिशा में किसान संगठन के प्रतिनिधियों को मंडलायुक्त द्वारा बातचीत का न्यौता दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि महामारी के इस कठिन दौर में यह जरूरी है कि किसान आंदोलन का हल शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत के जरिए निकाला जाए। टकराव से कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में मुश्किलें पेश आती हैं। इससे यह महामारी मानवता के लिए नुकसानदेह साबित होगी। प्रशासन कोरोना पर नियंत्रण और आमजन को इससे बचाने की दिशा में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रशासन के दरवाजे किसानों के लिए हमेशा खुले हैं क्योंकि आपसी टकराव किसी के भी हित में नहीं है। किसानों को सकारात्मक सोच के साथ किसान आंदोलन का हल निकालने की दिशा में सार्थक पहल करनी चाहिए। किसानों से यह भी अपील की गई है कि वे अपने आंदोलन को लेकर सतर्क व सजग रहें क्योंकि जिस प्रकार से पिछले दिनों हिंसा हुई थी, उससे यह अंदेशा है कि आंदोलन में अराजक तत्व घुस चुके हैं। ऐसे लोगों की मंशा सही नही है। ऐसे में किसानों को सावधान रहते हुए अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण व सीमित संख्या के साथ चलाना चाहिए, यह समस्त नागरिकों के हित में है।
सीएम आगमन पर गत 16 मई को पुलिस तथा आंदोलनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़प तथा आंदोलनकारियों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद आंदोलनकारी तथा प्रशासन आमने सामने हैं। इससे पहले मंडल आयुक्त के वार्ता निमंत्रण पर आंदोलनकारियों के कोई जवाब नहीं देने पर आंदोलन लंबा खिंचने के आसार हैं। आंदोलनकारी सोमवार को आयुक्त आवास पर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन को लेकर आरपीएफ बुला ली गई है। बताया जाता है कि देर शाम तक आरपीएफ की छह कम्पनियों में करीब 350 जवान शामिल हैं। इनमें से कई जवानों को पंजाबी धर्मशाला में आरपीएफ जवानों को ठहराया गया है। उधर, किसान सभा ने आज आयुक्त कार्यालय पर प्रस्तावित प्रदर्शन की सभी तैयारियां पूर्ण कर लेने का दावा किया है। किसान नेताओं ने कहा है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा और इसमें राष्ट्रीयस्तर के नेता भी भाग लेंगे।वहीं आयुक्त ऑफिस के बाहर आंदोलनकारियों के संभावित प्रदर्शन को लेकर प्रशासन ने 20 ड्यूटी मजिस्ट्रेट तैनात किए हैं।