टोहाना में चल रहा किसानों का आंदोलन हुआ खत्म, प्रशासन के साथ बातचीत में बनी सहमति

टोहाना की घटनाओं के संबंध में विरोध करने वाले किसानों की मांगों को मान लिया गया है और सभी गिरफ्तार किसानों को टोहाना पुलिस स्टेशन में तीसरे दिन के बड़े विरोध के बाद हरियाणा प्रशासन द्वारा रिहा कर दिया गया। किसानों की रिहाई और उनके खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसानों के धरने का सोमवार को तीसरा दिन था।;

Update: 2021-06-07 14:16 GMT

हरिभूमि न्यूज : फतेहाबाद/टोहाना।

टोहाना में चल रही किसान बनाम सत्ता की लड़ाई को आखिरकार किसानों ने जीत लिया है। टोहाना की घटनाओं के संबंध में विरोध करने वाले किसानों की मांगों को मान लिया गया है और सभी गिरफ्तार किसानों को टोहाना पुलिस स्टेशन में तीसरे दिन के बड़े विरोध के बाद हरियाणा प्रशासन द्वारा रिहा कर दिया गया। किसानों की रिहाई और उनके खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसानों के धरने का आज तीसरा दिन था। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओप् के साथ बड़ी संख्या में किसान 6 और 7 जून की रात भी टोहाना थाने के बाहर आंदोलन करते रहे।

किसान नेताओ द्वारा टोहाना के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश में सभी पुलिस थानों के घेराव की घोषणा के बाद प्रशासन ने आधी रात को संयुक्त किसान मोर्चा के दो सदस्यों विकास सीसर और रवि आजाद को रिहा कर दिया। दोनों रिहा हुए किसान सोमवार सुबह टोहाना थाने के बाहर चल रहे प्रदर्शन में शामिल हुए। दोनों किसानों की रिहाई के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने यह निर्णय लिया कि हरियाणा के अन्य पुलिस थानों पर घोषित विरोध प्रदर्शन को रद्द किया जाएगा, लेकिन टोहाना थाने के बाहर चल रहा प्रदर्शन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी स्थानों, विशेषकर सिरसा, फतेहाबाद, जींद और हिसार जिलों के किसान से टोहाना थाने के बाहर चल रहे प्रदर्शन में हिस्सा लेने का आह्वान किया। संयुक्त किसान मोर्चा के इस आह्वान पर हजारों प्रदर्शनकारी टोहाना पहुंचे। हजारों किसानों के बढ़ते प्रतिरोध के बाद हरियाणा प्रशासन ने आज प्रदर्शन कर रहे किसानों की सभी मांगों को मान लिया और तीसरे गिरफ्तार किसान मक्खन सिंह को प्रशासन द्वारा रिहा कर दिया गया है। इसके बाद किसानों ने टोहाना में अपने आंदोलन को खत्म कर दिया है। किसानों ने कहा कि अब उनका आंदोलन दिल्ली बॉर्डर पर पूरी मजबूती के साथ जारी रहेगा।

गौरतलब है कि 1 जून को विधायक देवेन्द्र बबली और किसानों के बीच विवाद हो गया था। किसानों ने जहां विधायक पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया वहीं विधायक ने किसानों पर उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ने और इसमें उनके निजी सचिव के घायल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद किसानों ने टोहाना में एसडीएम कार्यालय का घेराव किया वहीं कुछ किसान विधायक निवास का घेराव करने के लिए उनके गांव बढ़ईखेड़ा पहुंच गए और गिरफ्तारियां दी। यहां से गिरफ्तार 26 में से 23 किसानों को तो प्रशासन ने रात को रिहा कर दिया जबकि तीन किसानों को जेल भेज दिया था। इस विवाद में पुलिस ने विधायक के निजी सचिव व चालक की शिकायत पर केस दर्ज किया वहीं सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का भी केस दर्ज किया गया था। इसके खिलाफ किसानों ने टोहाना अनाज मण्डी में प्रदर्शन किया।

किसानों के विरोध को देखते हुए गत दिवस विधायक ने अपने द्वारा कहे अशोभनीय शब्दों पर खेद जताया था और उनके द्वारा दर्ज करवाए केस वापस लेने की बात कही थी वहीं प्रशासन द्वारा दर्ज करवाए केसों की वापसी व जेल भेजे गए किसानों की रिहाई को लेकर बात नहीं बनी थी। इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेन्द्र यादव सहित अनेक किसान नेताओं ने टोहाना पहुंचकर सदर थाने पर धरना शुरू कर दिया था। इस दौरान प्रशासन के साथ कई दौर की बातचीत हुई लेकिन सहमति नहीं बन पाई। रविवार को दो किसान नेताओं रवि आजाद और विकास सीसर को जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन तीसरे किसान की रिहाई को लेकर किसान सदर थाने पर डटे रहे। सोमवार को धरने के तीसरे दिन आखिरकार प्रशासन और सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा। सोमवार को दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत में प्रशासन ने केस वापस लेने और तीसरे किसान को रिहा करने का आश्वासन दिया जिसके बाद किसानों ने टोहाना में आंदोलन को खत्म करने की घोषणा कर दी। धरने के समापन पर किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने हरियाणा के किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि यहां के किसानों ने भाजपा सरकार की नाक में दम कर दिया है। किसानों को अब ऐसा हरियाणा में नहीं पूरे देश में करना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोगों का राज, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए होता है लेकिन कुछ लोग बेईमान हो गए है जिस कारण आज पूंजीपतियों का राज, पूंजिपतियों के द्वारा और पंूजीपतियों के लिए हो गया है। उन्होंने कहा कि 9 जून को सभी आंदोलन स्थलों पर शहीद बंदा सिंह बहादुर की शहादत का दिन मनाया जाएगा।

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