Night Curfew in Bahadurgarh : रात के समय सड़कों पर नहीं दिख रही नाइट कर्फ्यू की सख्ती, पुलिस कर रही खानापूर्ति
जी हां, झज्जर जिले में लगातार दूसरे दिन 10 संक्रमित मिलने के बावजूद बहादुरगढ़ की सड़कों पर नाइट कर्फ्यू का पालन होता नहीं दिख रहा;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
दिनोंदिन बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए शासन-प्रशासन ने भले ही रात को कर्फ्यू लगा दिया, लेकिन रात के समय शहर के कई इलाकों में इसका ज्यादा असर नहीं दिखाई दे रहा। ना तो पुलिस द्वारा सख्ती दिखाई जा रही है और न ही लोगों द्वारा स्वेच्छा से कर्फ्यू का पालन किया जा रहा है।
नया गांव चौक
जी हां, झज्जर जिले में लगातार दूसरे दिन 10 संक्रमित मिलने के बावजूद बहादुरगढ़ की सड़कों पर नाइट कर्फ्यू का पालन होता नहीं दिख रहा। हरिभूमि की रात्रि पड़ताल के दौरान मंगलवार रात को शहर में पुलिस की नाकाबंदी या चेकिंग नहीं दिखी। शहर के मुख्य चौराहों और रास्तों से पुलिसकर्मी नदारद रहे। हालांकि शहरवासियों ने तय समय पर समझदारी दिखाते हुए मार्केट को बंद और सार्वजनिक स्थानों को खाली कर दिया। लेकिन देर रात बस स्टैंड के बाहर यात्री सवारी वाहनों के लिए भटकते रहे। वाहन चालक यात्रियों को घर छोड़ने के लिए मनचाही रकम वसूलते दिखे। बता दें कि झज्जर-बहादुरगढ़ में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जनता शारीरिक दूरी व मास्क पहनने के नियमों की अनदेखी कर रही है। इसकी वजह से जिलाधीश श्याम लाल पूनिया ने 12 जनवरी की सुबह 5 बजे तक हर रात 11 बजे से 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू का आदेश किया है।
झज्जर-बहादुरगढ़ रोड
मंगलवार को नाइट कर्फ्यू की हकीकत जानने के लिए हरिभूमि की टीम सड़कों पर उतरी। इस समयावधि के दौरान मार्केट व सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ नही थी। इक्का-दुक्का लोग ही आ-जा रहे थे। शहर के बाईपास और दिल्ली-रोहतक रोड समेत कई सड़कों पर वाहन फर्राटा भरते रहे। लेकिन नाइट कर्फ्यू में पुलिस की शहर में नाकाबंदी नहीं दिखी। कुछ महत्वपूर्ण ठिकानों पर बेरिकेड्स तो नजर आए, लेकिन पुलिस नदारद थी। बेशक कुछ क्षेत्रों में पुलिस टीम गश्त भी कर रही थी। इसके बावजूद गली-मोहल्लों में चहल-पहल होती रही। पुलिस की नाकेबंदी के अभाव में सड़कों पर वाहन चालकों का बेरोकटोक आवागमन होता रहा। वहीं दूसरी ओर जानकर पहले ही कह रहे थे कि रात में कर्फ्यू लगाने से सिर्फ रात की पार्टियां रोकी जा सकती हैं, कोरोना नहीं। नाइट कर्फ्यू लगाने के पीछे कोई मेडिकल आधार नहीं है। यह सिर्फ प्रशासनिक फैसला है। संक्रमण रोकने के लिए सबसे ज्यादा फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क अनिवार्य होना चाहिए। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जितना संभव हो, लोगों के संपर्क में आने से बचें। बाजार बंद करने के लिए ऐसे समय का चयन करना चाहिए, जब सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठी होती है। यह भीड़ शाम 6 बजे से रात 8 के बीच होती है, क्योंकि इस दौरान लोग अपना काम खत्म कर ऑफिस आदि से बाजार में सामान लेने जाते हैं। इसी दौरान सबसे ज्यादा खतरा होता है। रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक सर्दियों में वैसे ही नाममात्र की आवाजाही होती है। वह नाइट कर्फ्यू में भी बेरोकटोक जारी है।