उच्च शिक्षा विभाग का फरमान : अब हरियाणा में भी इन यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वालों की होगी जांच

सूबे में सभी राजकीय और राजकीय सहायता प्राप्त कालेजों में कार्यरत सरकारी और एक्सटेंशन लेक्चरर जिन्होंने वर्ष 2009 के बाद पीएचडी की है उनकी डिग्री की जांच संबंधी आदेश उच्च शिक्षा विभाग के महानिदेशक पंचकूला मुख्यालय ने दिए हैं।;

Update: 2022-02-15 11:33 GMT

चंडीगढ़। प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी, एमफिल और अन्य डिग्रियां लेकर नौकरी करने वाले अब स्कैनर पर हैं। इनके आधार पर नौकरी पा चुके लोगों पर पड़ोसी राज्यों हिमाचल, दिल्ली आदि में शिकंजा कसे जाने के बाद अब हरियाणा में उच्च शिक्षा विभाग ने इनकी जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सूबे के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कालेजों में एक्सटेंशन लैक्चरर जिनकी पीएचडी की डिग्री 2009 के बाद की है, उनकी जांच के आदेश दिए गए हैं। जिसके बाद से कुछ पीएचडी करने वालों की रातों की नींद हराम हो गई है।

जिन पांच यूनिवर्सिटी को लेकर राजस्थान में फिलहाल मामला गर्म है, उनमें ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चुरू के अलावा झुंझुनू की सिंघानिया विश्वविद्यालय झुंझुनू व श्रीधर विश्वविद्यालय झुंझुनू के साथ-साथ में सनराइज विश्वविद्यालय अलवर, जगदीश प्रसाद जाभरमल इबड़ेवाला विश्वविद्यालय झुंझुनू शामिल हैं। इसके साथ ही हरियाणा में अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वालों की भी जांच की बात कही गई है, जिसके बाद से इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल लोगों की नींद हराम हो चली है।

सूबे में सभी राजकीय और राजकीय सहायता प्राप्त कालेजों में कार्यरत सरकारी और एक्सटेंशन लेक्चरर जिन्होंने वर्ष 2009 के बाद पीएचडी की है उनकी डिग्री की जांच संबंधी आदेश उच्च शिक्षा विभाग के महानिदेशक पंचकूला मुख्यालय ने दिए हैं। इसके साथ ही जांच का जिम्मा संबंधित कालेजों के प्रिंसिपल को सौंपा है। राजस्थान की पांच प्राइवेट यूनिवर्सिटी को लेकर विशेष तौर पर ध्यान देने के साथ ही बाकी भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वाले इस तरह के शिक्षकों की डिग्री की बारीकी से पड़ताल करने के आदेश दिए गए हैं। जांच में क्या-क्या करना है, इस बारे में स्पष्ट निर्देश निदेशालय ने पत्र में प्रिंसिपल को भेजी है।

पत्र में निर्देश दिए हैं कि इस जांच के लिए कमेटी का गठन किया करने के अलावा संबंधित यूनिवर्सिटी से रिकार्ड एकत्रित कर रिपोर्ट निदेशालय को भेजने का स्पष्ट आदेश है। इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रहीं थी, जांच के आदेश जारी होने से सभी कालेजों में कार्यरत लैक्चरर और प्रोफेसरर्स की नींद हराम हो गई है। इस संबंध में लगभग डेढ़ साल पहले भी विभाग ने सभी एक्सटेंशन और सरकारी लेक्चरर और प्रो. की पीएचडी संबंधी दस्तावेज मांगे थे लेकिन जांच नहीं करवाई थी और जांच के लिए कोई दायरा भी तय नहीं किया गया था। फर्जी पीएचडी डिग्री पाए जाने पर एक्सटेंशन लेक्चरर का वेतन घटाए जाने से लेकर हटाने के प्रावधान हैं।

इसके अलावा रेगूलर लेक्चरर या प्रोफेसर की पदोन्नति पर भी शिकंजा कसा जाना पूरी तरह से तय है। विश्वविद्यालयों के अलावा अन्य विश्वविद्यालयों से पीचडी की डिग्री धारकों की रजिस्ट्रेशन की तारीख, फीस की रसीदों, कोर्स का समय, तारीख सहित विस्तृत ब्योरा, विभागीय कमेटी द्वारा सिनाप्सिस (सार) अप्रूवल तारीख, शोध पत्रों का प्रकाशन, पीएचडी करने के दौरान प्रकाशित शोधपत्रों का विवरण वह किस श्रेणी में हैं उसका ब्यौरा, पीएचडी के दौरान उसकी पोस्टिंग कहां-कहां पर रही। पत्र में साफ किया गया है कि शोधकर्ता का गाइड का विषय क्या था ? उसकी पोस्टिंग कहां-कहां कब-कब रही है? दो विषय विशेषज्ञ के मूल्यांकन की रिपोर्ट, वाइवा रिपोर्ट, वाइवा तारीख और पीएचडी नोटिफिकेशन की तारीख और उसकी प्रति मांगी भी मांगी है।

रजिस्ट्रार से सत्यापित कराए जाएंगे दस्तावेज

निदेशालय ने आदेश जारी कर दिए हैं कि जो रिपोर्ट भेजी जाए और संबंधित दस्तावेज संबंधित यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार द्वारा सत्यापित होने चाहिएं थे या उस व्यक्ति द्वारा जिसे संबंधित यूनिवर्सिटी के वीसी ने नियुक्त किया हो। यह भी कहा गया है कि यदि प्रक्रिया में कोई खामी पाई जाती है या वैरिफिकेशन व रिपोर्ट भेजने में खामी पाई तो विभाग संबंधित कालेज प्रिंसिपल को इसका जिम्मेदार माना जाएगा। अब यह पत्र जाने के बाद में कालेज के प्रिंसिपलों ने इस संबंध में जल्द ही कार्रवाई की शुरुआत करने के संकेत दिए हैं।

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