Social media पर फेक न्यूज वायरल करने वाले अब जल्दी होंगे सलाखों के पीछे

यह आदेश (order) 10 जुलाई से लेकर 24 जुलाई मध्य रात्रि 12 बजे तक प्रभावी रहेंगे। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म Platform का न्यूज चैनल के रूप में प्रयोग करना जनर्लिस्ट एक्टिविटी के तहत आता है।;

Update: 2020-07-10 14:40 GMT

करनाल। अब सोशल मीडिया (social media) पर फेक न्यूज वायरल करना या फिर बिना रजिस्टर्ड कोई न्यूज का संचालन करना मंहगा पड़ सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो वह जल्दी ही सलाखों के पीछे होगा। क्योंकि करनाल के जिलाधीश एवं जिला आपदा प्रबंधन के अध्यक्ष निशान्त कुमार यादव ने फेक न्यूज चलाने व बिना रजिस्टर्ड न्यूज का संचालन करने वालों पर चाबुक चला दिया है।   

जिले में कुछ व्यक्तियों द्वारा सूचना एवं जन सम्पर्क निदेशालय हरियाणा व सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के समक्ष अपने आपको पंजीकृत किए बिना गैर सत्यापित व भ्रामक तथ्यों (Confusing facts) के आधार पर समाचारों का सम्प्रेषण, सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म जैसे यू-ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, वाट‍्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम, पब्लिक एप व अन्य माध्यमों से किया जा रहा है और इससे समाज में कोरोना महामारी जैसे संकट के समय भ्रामक स्थिति बनना संभावित है। 

इसे देखते हुए यह नितान्त आवश्यक हो जाता है कि सोशल मीडिया को प्लेटफार्म पर न्यूज चैनल के संचालन के लिए किसी रेगुलेटरी बॉडी से पंजीयन कराया जाए तथा समूचित रूप से सत्यापन के आधार पर समाचार का प्रसार किया जाए। कोरोना संक्रमण की अवधि में इस तरह की गतिविधियों पर नियंत्रण जनहित व लोक स्वास्थ्य की दृष्टि से नितान्त आवश्यक है। जहां तक ऐसे मीडिया की संख्या की बात है, उसका निर्धारण करना मुश्किल है और तदानुसार ऐसे समस्त को, किसी प्रकार का व्यक्तिगत नोटिस दिया जाना संभव नहीं है।

जिलाधीश एवं जिला आपदा प्रबंधन के अध्यक्ष निशान्त कुमार यादव द्वारा उक्त परिस्थितियों के मद्देनजर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म जैसे-ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, व्हॉट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम, पब्लिक एप का न्यूज चैनल के रूप में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप संचालित गतिविधियों को तत्काल रूप से जनहित में प्रतिबन्धित किया गया है। उक्त आदेशों की अवहेलना करना भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188, 505(1), आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 54 तथा एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1957 की धारा 1 व 2 के तहत दण्डनीय होगा।

यह आदेश 10 जुलाई से लेकर 24 जुलाई मध्य रात्रि 12 बजे तक प्रभावी रहेंगे। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म का न्यूज चैनल के रूप में प्रयोग करना जनर्लिस्ट एक्टिविटी के तहत आता है। अत: इसकी अनुमति सूचना एवं जन सम्पर्क निदेशालय हरियाणा व सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से लिया जाना आवश्यक है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई नियमों की अवेहलना करता है तो उसे एक साल की सजा व जुर्माना वसूला जा सकता है। 

Tags:    

Similar News