26 फरवरी तक नारनौल वकीलों का रहेगा वर्क सस्पेंड, सुप्रीम कोर्ट के जजों से मिलेंगे

बैठक में यह भी तय किया गया है कि संघर्ष समिति इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों को भी अपने साथ रखने के लिए रणनीति बनाएगी और उनसे सहयोग लेगी। इसके अलावा बार एसोसिएशन की आगामी बैठक सोमवार को दोपहर 12 बजे होगी। जिसमें आगामी संघर्ष की रूपरेखा भी तय की जाएगी।;

Update: 2021-02-20 07:49 GMT

हरिभूमि न्यूज :  नारनौल

बार एसोसिएशन की बैठक वार रूम में हुई। इसकी अध्यक्षता प्रधान अशोक यादव अधिवक्ता ने की। बैठक में नारनौल जिला बचाओ संघर्ष समिति की आगामी रणनीति पर विचार विमर्श किया गया।

बैठक में बार एसोसिएशन का जो प्रतिनिधिमंडल हाई कोर्ट में अपना प्रतिवेदन देने गए थे। उनकी रिपोर्ट पर विचार किया गया और संघर्ष समिति के द्वारा अब तक किए गए सभी कार्यों और क्रियाकलापों पर भी विचार हुआ। विचार विमर्श के उपरांत तय पाया गया है कि संघर्ष समिति का धरना 26 फरवरी 2021 तक जारी रहेगा और संघर्ष समिति के सदस्य इसी दौरान माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गण से मुलाकात करेंगे। वहां अपने इन शिकायतों के निराकरण के लिए विभिन्न प्रशासनिक व कानूनी पहलुओं का अध्ययन करते हुए विचार-विमर्श करेंगे और संघर्ष समिति के द्वारा उठाए गए बिंदुओं से सभी संबंधित अधिकारीगण को अवगत कराएंगे। इसके अतिरिक्त यह भी तय किया गया है कि संघर्ष समिति इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों को भी अपने साथ रखने के लिए रणनीति बनाएगी और उनसे सहयोग लेगी। इसके अलावा बार एसोसिएशन की आगामी बैठक सोमवार को दोपहर 12 बजे होगी। जिसमें आगामी संघर्ष की रूपरेखा भी तय की जाएगी।

यह भी निर्णय हुआ है कि यदि आवश्यक हुआ तो विधिक सलाह के अनुसार संघर्ष समिति बार एसोसिएशन की तरफ से प्रधान व सचिव इस मामले को लेकर माननीय पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में अपना रिट पिटिशन भी दायर करें। यह भी निर्णय हुआ कि लगभग 800 वर्षों से जब जिला नारनौल चला आ रहा था और जिला मुख्यालय अभी तक नारनौल में ही चला आता है तो ऐसी सूरत में जिले का नाम पुन: बदलकर नारनौल ही रखा जाए और इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के लिए संघर्ष समिति अपनी रणनीति तय कर रही है।

बैठक में यह मांग रखी गई है कि सप्ताह में एक दिन पूरे जिला स्तर के अधिकारी नारनौल, अटेली, नांगल चौधरी, कनीना इत्यादि क्षेत्रों को छोड़कर केवल एक मात्र महेंद्रगढ़ कस्बे में अपना कार्यालय लगाएंगे तो पूरे जिले की जनता को उनके कायोंर् के लिए कोई अधिकारी ही उपलब्ध नहीं होगा। पूरे जिले की जनता को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा और यदि इस उदाहरण को पूरे हरियाणा के सभी उपमंडलों की जनता ने अपने क्षेत्र में लागू करवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिए तो सरकार को बहुत भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा और पूरे हरियाणा में लाखों कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रति सप्ताह करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। बार एसोसिएशन इसे तुरंत प्रभाव से वापस लेने की सरकार से मांग करती है।

Tags:    

Similar News