Farmers Protest : दिल्ली परेड को लेकर महिलाओं को दी जा रही ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग
टोल टैक्स हाईवे पर महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग देखे देखा जा सकता है। इस ट्रेनिंग में संकरी गलियों से कैसे निकलना है, ब्रैकरो से ट्रैक्टरों को कैसे निकालना है यह भी सिखाया जा रहा है।;
हरिभूमि न्यूज : जींद (उचाना)
किसानों की मांगें न माने जाने पर 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड करने का ऐलान किया है। इस ट्रैक्टर परेड में ट्रैक्टरों की क्षेत्र से अधिक से अधिक भागीदारी को लेकर किसान नेता गांव-गांव जाकर जा रहे है। महिलाओं को भी ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
टोल टैक्स हाईवे पर महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग देखे देखा जा सकता है। इस ट्रेनिंग में संकरी गलियों से कैसे निकलना है, ब्रैकरो से ट्रैक्टरों को कैसे निकालना है यह भी सिखाया जा रहा है। पहले किसान महिलाओं के साथ बैठकर उन्हें ट्रैक्टर चलाना सिखा रहे है तो उसके बाद महिलाओं से अकेले ही ट्रैक्टर चलवाकर देखा जा रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि 26 को दिल्ली के राजपथ पर चारों तरफ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर नजर आएंगे। सेना को परेड की जगह ही नहीं मिलेगी चारों तरफ ट्रैक्टरों की परेड होगी।
महिला सरोज ने बताया कि पंजाब को जाने वाले नेशनल हाईवे पर टोल प्लाजा महिलाओं को ट्रैनिंग दी जा रही है। संकरी गलियों से कैसे निकलना है यह भी महिलाओं को सिखाया जा रहा है। ब्रेकरो से ट्रैक्टरों को कैसे निकालना है यह भी सिखाया जा रहा है। पहले किसान महिलाओं के साथ बैठकर उन्हें ट्रैक्टर चलाना सिखा रहे है तो उसके बाद महिलाओं से अकेले ही ट्रैक्टर चलवाकर देखा जा रहा है। 26 जनवरी को वे खुद ट्रैक्टर-ट्रालियां चलाकर दिल्ली पहुंचेगी और राजपथ पर परेड करेंगी।
महिलाओं का यह भी कहना है कि वे किसान की बेटी है और अब वे बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगी। सर्व जातीय खेड़ा खाप प्रधान सतबीर बरसोला, सर्व जातीय दाड़न खाप चबूतरा पालवां के महासचिव आजाद पालवां, किसान नेता वीरेंद्र ने बताया कि केंद्र सरकार अगर किसानों की मांग नहीं मानती है तो 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर चारों तरफ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर नजर आएंगे। सेना को परेड की जगह ही नहीं मिलेगी चारों तरफ ट्रैक्टरों की ही परेड होगी। आज बच्चे से लेकर महिला, युवा, बुजुर्ग तक दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे है। 50 से 'यादा किसान मौत का ग्रास वहां ठंड के चलते बन चुके है। केंद्र के नेता कोठियों में सो रहे है जबकि किसान ट्रालियों में सो रहा है। इस तरह से आंख मूंद कर केंद्र के नेता बैठे है जो पूरी तरह से किसान विरोधी उनकी मंशा को साबित करता है।